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West Bengal Politics: नंदीग्राम के बाद अब विधानसभा में होगी ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी में टक्कर

ममता लगातार तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री निर्वाचित हुई हैं जबकि भाजपा ने सुवेंदु को विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना है। नंदीग्राम विधानसभा सीट पर सुवेंदु ने ममता को पराजित किया है। दोनों में वहां कांटे की टक्कर हुई थी। वही प्रतिस्पर्धा अब राज्य विधानसभा में देखने को मिलेगी।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 01:44 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 01:44 PM (IST)
West Bengal Politics: नंदीग्राम के बाद अब विधानसभा में होगी ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी में टक्कर
ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी में टक्कर

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी नंदीग्राम के बाद अब विधानसभा में आमने-सामने होंगे। ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री निर्वाचित हुई हैं जबकि सूबे में मुख्य विरोधी दल के रूप में उभरी भाजपा ने सुवेंदु अधिकारी को विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना है यानी विधानसभा में अब सुवेंदु ममता सरकार की खिलाफत करते दिखेंगे। नंदीग्राम विधानसभा सीट पर सुवेंदु ने ममता को पराजित किया है। दोनों में वहां कांटे की टक्कर हुई थी। वही प्रतिस्पर्धा अब राज्य विधानसभा में देखने को मिलेगी।

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विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के 213 सदस्य हैं जबकि सुवेंदु 75 भाजपा विधायकों का प्रतिनिधित्व करेंगे। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीती थी। चूंकि निशिथ प्रमाणिक व जगन्नाथ सरकार सांसद पद से इस्तीफा देकर विधायक नहीं बनेंगे इसलिए भाजपा के दो विधायक घट जाएंगे। ममता ने सुवेंदु पर विधानसभा में दबाव बनाए रखने के लिए उनके गढ़ से पार्टी के सात विधायकों को मंत्री बनाया है। इससे पहले अविभक्त मेदिनीपुर से कभी एक साथ इतने लोगों को मंत्री नहीं बनाया गया।

वाममोर्चा के समय अधिकतम छह लोगों को मंत्री बनाया गया था। जिन विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनमें बीरबाहा हांसदा, सोमेन महापात्र, अखिल गिरि, मानस भुइयां, हुमायूं कबीर, श्रीकांत महतो और शिउली साहा शामिल हैं। इतने दिनों तक अविभक्त मेदिनीपुर में अधिकारी परिवार का एकछत्र राज हुआ करता था।सुवेंदु भी एक समय ममता मंत्रिमंडल का अहम हिस्सा थे।

सुवेंदु के तृणमूल में रहते उनके क्षेत्र से कोई और उस तरह से आगे नहीं आ पाया था लेकिन उनके तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद ममता ने वहां के अन्य नेताओं को तवज्जो देना शुरू कर दिया है ताकि सुवेंदु के गढ़ में उनके प्रभाव को कम किया जा सके। 


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