हावड़ा नगर निगम समेत 100 पालिकाओं के प्रशासक बदले गए, तृणमूल कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद की नीति लागू
बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पार्टी के भीतर एक व्यक्ति एक पद की नीति को लागू करते हुए हाल में बड़े स्तर पर सांगठनिक फेरबदल किया। इसके बाद अब राज्य सरकार ने पालिका व निगम स्तर पर भी इस नीति को लागू किया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पार्टी के भीतर एक व्यक्ति एक पद की नीति को लागू करते हुए हाल में बड़े स्तर पर सांगठनिक फेरबदल किया। इसके बाद अब राज्य सरकार ने पालिका व निगम स्तर पर भी इस नीति को लागू किया है। इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने बड़ा फेरबदल करते हुए हावड़ा नगर निगम समेत राज्य भर में लगभग 100 पालिकाओं के प्रशासक व बोर्ड के सदस्यों को बदल दिया है। इन पालिकाओं में बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी को भंग कर नए प्रशासकों की नियुक्ति के साथ नई कमेटी गठित की गई है।
कई जगहों पर निगम व पालिका के प्रशासक पद पर मंत्री थे, उन्हें प्रशासक पद से हटा दिया गया है। हावड़ा नगर निगम के प्रशासक पद से सहकारिता मंत्री अरूप राय को हटाकर उनकी जगह डॉ सुजय चक्रवर्ती को जिम्मेदारी दी गई है। आसनसोल नगर निगम के प्रशासक बोर्ड में भी व्यापक स्तर पर बदलाव किया गया है और चार सदस्यों को हटाकर नए लोगों को जिम्मेदारी दी गई है। राज्य की शहरी विकास व नगर पालिका मामलों की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बताया कि राज्य भर में करीब 100 पालिकाओं में प्रशासक बदले गए हैं।
इनमें कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना जिले की 13 नगर पालिकाओं के प्रशासक बदले गए हैं। इनमें भाटपाड़ा, दमदम, उत्तर दमदम, गारुलिया, पानीहाटी, न्यू बैरकपुर, खड़दह आदि के प्रशासक बदल दिए गए हैं।खड़दह नगर पालिका के प्रशासक की पहले ही मौत होने के कारण नए प्रशासक नियुक्त किए गए हैं। वहीं, दमदम नगर पालिका के प्रशासक पद से हरेंद्र सिंह को हटाकर बरुण नटट् को लाया गया है।
बैरकपुर अंचल के सबसे संवेदनशील भाटपाड़ा के प्रशासक अरुण बनर्जी को हटाकर उनकी जगह गोपाल राउत को प्रशासक नियुक्त किया गया है। गारुलिया पालिका के प्रशासक पद से संजय सिंह को हटाकर उनकी जगह तृणमूल के पुराने नेता रमेन दास को जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह पानीहाटी में निर्मल घोष की जगह मलय राय को प्रशासक बनाया गया है। वैसे हुगली जिले में हिंदीभाषी बहुल इलाके में प्रशासक पद पर कोई खास बदलाव नहीं किया गया है। यहां ज्यादातर हिंदी भाषी ही प्रशासक पद पर हैं। वहीं, उत्तर बंगाल की बात करें तो सिलीगुड़ी को छोड़कर अन्य स्थानों पर व्यापक बदलाव किया गया है।