अब बच्चों को नहीं डरा पाएगा गणित!
पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा विभाग ने की है यह अनूठी पहल, गणितीय गणना को समझने के लिए विशेष प्रयोगशाला का निर्माण कराया गया है।
कोलकाता, जेएनएन। अक्सर बच्चे गणित के सवालों को देखकर डर जाते हैं। बहुत से बच्चों को गणित समझ में नहीं आता, जिसके कारण वे इससे किनारा करते हैं। रही बात परीक्षा में उत्तीर्ण होने की, तो निर्धारित सवालों का चयन कर उस पर मेहनत करते हैं और किसी तरह से परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं।
असल में गणित इतना भी कठिन नहीं है कि उसे बनाया व समझा न जा सके लेकिन बच्चे भारी भरकम फॉर्मूले और ज्यामितीय संरचना को देखकर घबरा जाते हैं। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए राज्य के शिक्षा विभाग की ओर से अनूठी पहल करते हुए गणितीय गणना को समझने के लिए एक विशेष अत्याधुनिक प्रयोगशाला का निर्माण कराया गया है। वहां प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के छात्र-छात्राओं के लिए उन फॉर्मूलों व ज्यामितीय संरचनाओं को सरल रुप में पेश किया गया है, जिससे कि छात्र-छात्राएं उन्हें आसानी से समझ सके और बिना घबराए गणित के सवालों को हल कर सके। शुक्रवार को शिक्षा विभाग की ओर से अत्याधुनिक गणितीय गणना प्रयोगशाला के बारे में जानकारी दी गई।
बताया गया कि गणित का डर महज एक तरह की धारणा है। अगर उचित शिक्षण विधियों को अपनाया जाए तो इसके खौफ का खात्मा निश्चित है। छात्रों के भय को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग के अधीन शिक्षा अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद की ओर से गणित प्रयोगशाला स्थापित की गई है।
इस प्रयोगशाला का उपयोग कर प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के छात्र-छात्रा गणित के सवालों को हल करने में पेश आने वाली दिक्कतों का सरलता से समाधान पा सकते हैं। लैब में रुलर, कम्पास, प्रोटेक्टर व अन्य उपकरणों के ज्यामिति, त्रिकोण व विभिन्न अन्य फॉर्मूले में उपयोग किए गए मॉडल रखे गए हैं। इतना ही नहीं, छात्र-छात्राओं को मनोवैज्ञानिक व व्यावहारिक तरीके से प्रेरित करने के लिए प्रयोगशाला की दीवारों पर सुप्रसिद्ध गणितज्ञों की तस्वीरें लगाई गई है ताकि बच्चे यह समझ सके कि वे भी बेहतर कर सकते हैं। प्रयोगशाला का कैसे उपयोग किया जाए, इसे लेकर एक निर्देश पुस्तिका भी है।
विशेषज्ञों की मानें तो इस तरह की प्रयोगशाला को किसी भी स्कूल में स्थापित किया जा सकता है। इसके लिए विभिन्न जिलों के शिक्षा संस्थानों के दो-दो शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के रुप में सबसे पहले इसे झाड़ग्राम जिले के एकलव्य मॉडल स्कूल में स्थापित किया जा रहा है और उसके बाद राज्यभर के स्कूलों में स्थापित किया जाएगा।