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बेबसी की इंतहा: मुकदमा लड़ने के लिए एक असहाय महिला खून बेचने को मजबूर!

हुगली के तारकेश्वर ग्रामीण अस्पताल में अचानक खून बेचने महिला के पहुंचने से मचा हड़कंप। महिला ने बताया कि वे अदालत में अपने पति एवं सास के खिलाफ महिला उत्पीड़न का मामला लड़ रही हैं।मुकदमा लड़ने के लिए उसके पास पैसे नहीं है।खून बेचकर कुछ रुपये अर्जित करने आई हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 11:08 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 11:08 AM (IST)
बेबसी की इंतहा: मुकदमा लड़ने के लिए एक असहाय महिला खून बेचने को मजबूर!
खून बेचने तारकेश्वर ग्रामीण अस्पताल पहुंचीं महिला, मुकदमे के कागजात दिखाती हुई।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। अदालत में अपने पति एवं सास के खिलाफ मुकदमा लड़ने के लिए पैसे को कथित रूप से खून बेचने पर मजबूर हुई एक असहाय महिला की दर्द भरी दास्तां सुनकर लोग हैरान हो गए। यह घटना उस समय सामने आई जब हुगली जिले के पुरसुरा इलाके की रहने वाली मधुमिता पाल तारकेश्वर ग्रामीण अस्पताल में अचानक अपना खून बेचने पहुंचीं। महिला की बात सुनकर अस्पताल में हड़कंप मच गया। अस्पताल प्रशासन ने बाद में महिला को वहां से समझा बुझाकर घर भेजा। इस दौरान महिला ने बताया कि वे अदालत में अपने पति एवं सास के खिलाफ महिला उत्पीड़न का मामला लड़ रही हैं। मुकदमा लड़ने के लिए उसके पास पैसे नहीं है। इसी के लिए वह खून बेचकर कुछ रुपये अर्जित करने आई हैं।

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बताया गया है कि पांडुआ की रहने वाली मधुमिता पाल का विवाह 10 साल पहले पुरसुरा थाना क्षेत्र के भागा मोड़ इलाके के रहने वाले दिलीप पाल के साथ हुआ था। इनके दो बच्चे भी हैं। मधुमिता का आरोप है कि विवाह के कुछ दिन बाद से ही उसके पति एवं सास दोनों मिलकर उस पर शारीरिक एवं मानसिक अत्याचार करना शुरू कर दिए थे। काफी दिनों तक अत्याचार बर्दाश्त करने के बाद पिछले साल नवंबर में मधुमिता ने पुरसुरा थाना में पति दिलीप पाल एवं सास के खिलाफ महिला उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था।

उसका कहना है कि पुलिस ने मामले में आनाकानी करते हुए इस केस को पांडुआ थाना में भेज दिया। इसके बाद मधुमिता का आरोप है कि पांडुआ थाना की पुलिस ने भी उसकी एक न सुनी। अंत में मधुमिता ने एक कानून के जानकार व्यक्ति की मदद से चुंचुड़ा अदालत में मामला दर्ज कराया। इसके बाद मुकदमे लड़ने के लिए खून बेच कर पैसा अर्जित करने के लिए आज वह अस्पताल आई थी। हालांकि अस्पताल में उसका खून नहीं लिया गया। अस्पताल प्रशासन ने मधुमिता को वहां से समझा बुझाकर घर भेजा।

मालूम हो कि तारकेश्वर ग्रामीण अस्पताल में खून लेने की कोई व्यवस्था नहीं है। मधुमिता का कहना है कि मैं अपने दो बच्चों के साथ पांडुआ में एक किराए का घर लेकर रह रही हूं। परिवार चलाने में काफी दिक्कतें हो रही है। मेरा कानून पर पूरा भरोसा है। मुझे आशा है कि मुझे न्याय मिलेगा। 


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