इस्लामपुर से मध्यकालीन युग की छह दुर्लभ मूर्तियां बरामद
- नेपाल तस्करी करने की थी तैयारी अधिकारियों की आंख में धूल झोंक कर तस्कर फरार - अंतरराष्ट
- नेपाल तस्करी करने की थी तैयारी, अधिकारियों की आंख में धूल झोंक कर तस्कर फरार
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूर्तियों की कीमत करीब 11 करोड़ रुपये
जागरण संवाददाता, कोलकाता : कोलकाता कस्टम विभाग ने मध्यकालीन सेन राजवंशी युग की छह दुर्लभ मूर्तियां जब्त की है। गत 29 जनवरी को इस्लामपुर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर छापामारी अभियान चला कर मूर्तियां जब्त की। हालांकि पुलिस की आंख में धूल झोंक कर तीन तस्कर भागने में सफल रहे। जब्त मूर्तियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 11 करोड़ रुपये आंकी गई है। मूर्तियों को नेपाल भेजने की तैयारी थी। कस्टम अधिकारियों का कहना है कि तस्करी में किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह का हाथ हो सकता है। हालांकि प्रतिमा बरामद होने के बावजूद पुलिस तस्करों को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है।
तस्करी की पहले ही मिल गई थी सूचना
कोलकाता कस्टम विभाग के प्रिवेंटिव शाखा की खुफिया टीम को सैकड़ों साल पुरानी दुर्लभ प्रतिमाओं के नेपाल तस्करी किए जाने की गुप्त सूचना मिली थी। इसी आधार पर इस्लामपुर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर तस्करों को पकड़ने के लिए पुलिस ने जाल बिछाया। पुलिस ने बताया कि गत 29 जनवरी की रात उक्त मार्ग से सिलीगुड़ी की ओर जा रही एक चार पहिया वाहन को देख उन लोगों ने संदेह के आधार पर उसे रोका था। पुलिस अभी गाड़ी के इधर-उधर ही घूम रही थी कि उसमें सवार चालक और दो अन्य तस्कर मौके का लाभ उठा कर फरार हो गए। तस्करों के भागने के बाद पुलिस ने गाड़ी की तलाशी ली, तो उसमें से एक-एक कर पत्थर की छह दुर्लभ मूर्तियां बरामद हुई। मूर्तियों को रूई से ढंक कर साड़ी से लपेटा गया था। जब्त मूर्तियों में कष्टि पत्थर से खुदाई की गई 42 और 25 लंबी भगवान विष्णु की उनके वाहन गरुण पर बैठे अवस्था वाली दो मूर्तियां थी। तीसरी मूर्ति गरुण की ही थी, जिस पर गुप्त युग के कुछ रहस्य अंकित थे। बाकि तीन मूर्तियों में दो टेराकोटा (पकी माटी) और भगवान बलराम और बुद्ध की थी। छठी मूर्ति भी कष्चि पत्थर की खुदाई की हुई पार्वती और उनके दोनों बच्चे गणेश-कार्तिक की थी। विशेषज्ञों ने बताया कि मूर्ति के निर्माण व उस पर खुदाई से सेन काल की उन्नत कला की झलक दिखती है। प्राथमिक पड़ताल से पता चला है कि जब्त मूर्तियों किसी व्यक्ति की निजी या पारिवारिक हो सकती है, क्योंकि देशभर में किसी भी संग्रहालय से इस तरह की मूर्ति चोरी की कोई खबर नहीं है। एक अधिकारी की मानें तो बंगाल या बिहार के कुछ गावों के बड़े लोगों के पास इस तरह की दुर्लभ मूर्तियां हैं, लेकिन वहां से भी चोरी की कोई खबर नहीं है। पुलिस पता लगाने में जुटी है कि कहीं मूर्तियों को नेपाल के रास्ते यूरोप या अमेरिका आपूर्ति करने की योजना तो नहीं थी।