बिहार की महिला के पेट से निकला 11 किलो का ट्यूमर, हावड़ा के डॉक्टर ने जटिल ऑपरेशन को दिया अंजाम
जटिल ऑपरेशन चार घंटे तक चला ऑपरेशन महिला की हालत स्थिर तीन महीने पहले मरीज की डिलीवरी भी हुई थी। बिहार के औरंगाबाद जिले की रहने वाली 26 वर्षीय एक महिला के पेट से जटिल ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने 11 किलो का ट्यूमर निकाला है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बिहार के औरंगाबाद जिले की रहने वाली 26 वर्षीय एक महिला के पेट से जटिल ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने 11 किलो का ट्यूमर निकाला है। हावड़ा के शिवपुर स्थित एक निजी अस्पताल श्री जैन हॉस्पिटल व रिसर्च सेंटर में शनिवार शाम को इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। यह ऑपरेशन करीब चार घंटे तक चला। वरिष्ठ सर्जन व कोलकाता स्थित राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में सहायक प्रोफेसर डॉ सिराज अहमद ने यह ऑपरेशन किया। औरंगाबाद के रसूलबाग गांव की रहने वाली मरीज सबीला परवीन की हालत फिलहाल स्थिर है। पांच-छह दिनों तक डॉक्टरों की निगरानी में अस्पताल में रखने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी।
पैंक्रियाज व रीढ़ की हड्डी के ठीक बीच में था ट्यूमर
ऑपरेशन को अंजाम देने वाले डॉ सिराज अहमद ने बताया कि यह ट्यूमर सात से आठ महीने का है। तीन महीने पहले मरीज की डिलीवरी भी हुई थी। ट्यूमर पैंक्रियाज व रीढ़ की हड्डी के ठीक बीच में था, जिसका ऑपरेशन बेहद ही जटिल था। इसी कारण ऑपरेशन में करीब चार घंटे का समय लगा। उन्होंने कहा कि मरीज की स्थिति अभी स्थिर है।
बिहार में डॉक्टरों ने ऑपरेशन से कर दिया था इन्कार
स्वजनों ने बताया कि सबीला पिछले कई दिनों से लगातार उल्टी और पेट दर्द से पीड़ित थी। तीन महीने पहले उन्होंने बेटी को भी जन्म दिया था। यह उनकी दूसरी संतान थी। डिलीवरी के कुछ दिनों बाद उन्हें टाइफाइड हो गया। इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गईं। हालांकि कुछ दिन बाद ही पेट फूलना शुरू हो गया और काफी कम समय में यह अधिक फूल गया। औरंगाबाद में अल्ट्रा सोनोग्राफी कराने के बाद पेट में ट्यूमर होने का पता चला। चूंकि ट्यूमर बहुत बड़ा था इसलिए वहां के कई डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया। इसके बाद स्वजन महिला को लेकर यहां आ गए।
सबीला का मायका हावड़ा के पीलखाना में ही है। महिला के स्वजनों ने हावड़ा के वरिष्ठ सर्जन डॉ सिराज अहमद से संपर्क किया। फिर शनिवार सुबह मरीज को श्री जैन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और शाम को उनका ऑपरेशन कर दिया गया। डॉक्टर ने बताया कि डिलीवरी के समय ही ट्यूमर का पता लगना चाहिए था। उन्होंने बताया कि समय पर ऑपरेशन नहीं होने से जान को भी खतरा था।