किसान व आलू पर फिर सियासी घमासान
पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत राजनीतिक हलकों में पुलवामा प्रकरण से उपजे भा
जेएनएन, खड़गपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत राजनीतिक हलकों में पुलवामा प्रकरण से उपजे भावनाओं के ज्वार के बीच शुक्रवार को आलू व किसान एक बार फिर सियासत के केंद्र में आ गए। चुनावी मौसम का अहसास करते हुए अलग-अलग राजनैतिक संगठनों ने शुक्रवार को किसानों के मुद्दे पर पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
माकपा समर्थित अखिल भारतीय कृषक समिति के बैनर तले शुक्रवार को माकपा नेताओं ने चंद्रकोणा रोड में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 60 पर आलू फेंक कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। प्रदर्शन का नेतृत्व मेघनाथ भुइयां आदि ने किया। नेताओं ने कहा कि मूल रूप से यह जिला धान और आलू उत्पादक है। ज्यादातर किसानों की आजीविका इसी पर निर्भर है, लेकिन सरकारी नीतियों के चलते किसानों की माली हालत खराब है, क्योंकि उन्हें उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। कई मामलों में तो उन्हें नुकसान भी झेलना पड़ता है। इस परिस्थिति से बचाने के लिए अविलंब सरकार को अपनी नीतियां बदलनी होगी। आलू का समर्थन मूल्य बढ़ाना होगा। अन्यथा किसानों की हालत दिनोंदिन बद से बदतर होती चली जाएगी। मांगे न माने जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी के साथ प्रदर्शनकारी राजमार्ग से हटे। दूसरी ओर इसी मुद्दे पर राजनैतिक दल एसयूसीआइ के किसान संगठन आलू किसान संग्राम समिति के बैनर तले संगठन के कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय मेदिनीपुर स्थित कलेक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व प्रभंजन जाना, प्रदीप मल्लिक, असित सरकार आदि ने किया। वक्ताओं ने कहा कि 50 डिसीमल जमीन पर आलू की पैदावार में 20 हजार रुपये का खर्च आता है। यही आलू जब किसान ढाई रुपये किलो की दर से बेचते हैं तो उन्हें लागत की करीब आधी राशि का नुकसान झेलना पड़ता है। किसानों को इस परिस्थिति से निकालने के लिए सरकार को आलू पर समर्थन मूल्य बढ़ाना होगा। वहीं किसानों के पुराने ऋण माफ कर उन्हें नए कर्ज देने की व्यवस्था भी करनी होगी। अन्यथा बड़े स्तर पर आंदोलन होगा।