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Khargeswar Temple In Kharagpur: जिसके लिए है चर्चित शहर का नाम, आखिर कब तक रहेगा उपेक्षित

बंगाल में चुनावी रण के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिमी मेदिनीपुर के खड़गपुर में हैं। अधिकांश लोग इसे आइआइटी की वजह से जानते हैं लेकिन इसका अपना पौराणिक महत्व है। यहां प्राचीन खड़गेश्वर शिवालय है। श्री चैतन्य महाप्रभु पुरी जाने के दौरान यहां रुके थे

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 12:00 PM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 12:14 PM (IST)
Khargeswar Temple In Kharagpur: जिसके लिए है चर्चित शहर का नाम, आखिर कब तक रहेगा उपेक्षित
आखिर कब तक उपेक्षित रहेगा खगड़पुर का खड़गेश्वर मंदिर। जागरण

अनूप कुमार, खड़गपुर। पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर जिले का सबसे प्रमुख शहर खड़गपुर का खड़गेश्वर मंदिर अपने ही शहर में गुमनाम है। लोग खड़गपुर शहर के रेलवे हब, आइआइटी के लिए तो जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि यहां एक प्रसिद्ध व ऐतिहासिक शिवालय खड़गेश्वर धाम है, जिसके नाम से इस शहर का नाम खड़गपुर पड़ा। स्थानीय युवक व एबीवीपी से जुड़े छात्र अरिंदम चक्रवर्ती बताते हैं, दरअसल इसके पीछे मुख्य वजह है कि यहां पूर्व में वामफ्रंट व बाद में टीएमसी की सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कभी इस ऐतिहासिक स्थल के विकास पर ध्यान नहीं दिया। शहर में दर्जनों भव्य मंदिर बन गए, लेकिन इस स्थल की स्थिति दशकों से यथावत है। मंदिर के अलावा यहां सिर्फ एक चबूतरा है।

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खड़गपुर शहर के ईन्दा मोड़ से करीब दो सौ मीटर आगे पीडब्ल्यूडी रोड में जाने के बाद एक संकरी गली में करीब 100 मीटर जाकर स्थल तक पहुंचा जा सकता है। यह शिवालय ट्रस्ट के अधीन संचालित है। मंदिर से सटे ट्रस्ट के अधीन एक पुस्तकालय व दो-तीन कमरे का बांग्ला स्कूल भी है। मंदिर ट्रस्ट से जुड़े जिश्नु आचार्य और मंदिर के सचिव सूर्यकांत देव बताते हैं, खड़गुपर शहर में एक ही देशांतर में खड़गेश्वर, रूपेश्वर व झारेश्वर शिवालय है। रूपेश्वर मंदिर श्रीकृष्णपुर और झारेश्वर मलिंचा में है। मंदिर काफी प्राचीन है। यह कब कैसे बना, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता।

महाभारत में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इसी जंगली इलाके में पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान आए थे। कुंती पुत्र भीम ने यहीं राक्षसी हिडिंबा की शादी की थी। हिडिंबा ने यहीं पर पांच पांडव को छिपाकर रखा था। यहां का प्रसिद्ध कंशावती नदी का उल्लेख महाभारत काल में मिलता है, जो आज भी इस इलाके की सबसे बड़ी नदी है।

खड़गेश्वर मंदिर से थोड़ी दूरी पर यहां एक हिडिंबेश्वरी का मंदिर भी है। सूर्यकांत देव बताते हैं, बांग्ला लेखक रोमापद चौधरी की किताब ‘प्रथम प्रहर’ में इसका उल्लेख मिलता है। उन्होंने इस स्थान के बारे में एक शोधपरक किताब लिखी थी। कहा यह भी जाता है कि श्री चैतन्य महाप्रभु ने नवोद्वीप से जगन्नाथ पुरी जाने के क्रम में चार दिनों तक यहीं रुककर हरिनाम संकीर्तन किया था।

जिश्नु आचार्य बताते हैं, मेदिनीपुर बाढ़ग्रस्त इलाका है, लेकिन मेदिनीपुर इलाके में खड़गपुर सबसे ऊंचे स्थान पर है, इसीलिए रेलवे के लिए इस स्थल को चुना गया। इसी तरह मेदिनीपुर शहर और डीएम ऑफिसर सबसे ऊंचे स्थल पर है। दोनों इलाके कभी बाढ़ से प्रभावित नहीं होते हैं। ब्रिटिश रॉयल आर्मी के एक अधिकारी ने यहां की भौगोलिक संरचना पर एक खोजपरक पुस्तक लिखी थी, जो आइआइटी खड़गपुर के लाइब्रेरी में है। बहरहाल खड़गेश्वर मंदिर का अपेक्षित विकास नहीं होने से इलाके के लोग नाराज है। स्थानीय निवासी शायन माइति, इंद्रजीत गांगुली कहते हैं अब इस इलाके को हेरिटेज के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।


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