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सात फरवरी से शुरू होगा 'पाड़ाय शिक्षालय'

- धुपगुड़ी के बारघड़िया ग्राम पंचायत के बांस बागान में पढ़ाया जा रहा है बच्चों को - शिक्ष्

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 06:52 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 06:56 PM (IST)
सात फरवरी से शुरू होगा 'पाड़ाय शिक्षालय'
सात फरवरी से शुरू होगा 'पाड़ाय शिक्षालय'

- धुपगुड़ी के बारघड़िया ग्राम पंचायत के बांस बागान में पढ़ाया जा रहा है बच्चों को

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- शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग की ओर से जारी किया निर्देश संवादसूत्र, धुपगुड़ी : राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के घोषणा के आधार पर आगामी सात फरवरी से 'पाड़ाय शिक्षालय' शुरू होने जा रहा है। इसका मतलब है कि अब इलाके में शिक्षा विभाग की ओर से छात्र-छात्राओं को शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। सोमवार को राज्य के शिक्षा मंत्री ने इसकी घोषणा की है।

गौरतलब है कि कोरोना के कारण पिछले दो सालों से स्कूल बंद पड़े है। बीच में नौ से लेकर 12 कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल खोला गया। लेकिन प्राथमिक व हाई स्कूलों में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई नहीं हुई। उसके बाद आन लाइन की परीक्षा हुई, लेकिन वह भी सही रूप से छात्र नहीं पढ़ पाए। लेकिन अब स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए 'पाड़ाय शिक्षालय' शुरू होने जा रहा है।

इससे बहुत पहले से ही धुपगुड़ी के बारघड़िया ग्राम पंचायत के अधीन बारघरिया बटतली स्वर्णमयी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बांस बागान के बच्चों को पढ़ाते आ रहे है। अब इस दिन शिक्षा मंत्री के घोषणा के बाद अब शिक्षक खुश नजर आ रहे है। सोमवार दोपहर 12 बजे स्कूल के पास जाकर देखने पर वहां पर बांस बागान में प्रकृति पाठशाला चलते हुए देखा गया। स्कूल के तीन शिक्षक द्वितीय श्रेणी के 39 बच्चों को कोविड नियमों को मानकर पढ़ाते हुए देखे गए।

गौरतलब है कि इस विद्यालय को 2017 साल में निर्मल विद्यालय पुरस्कार, 2018 में शिशु मित्र विद्यालय पुरस्कार व 2019 साल में सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिसिएशन पुरस्कार मिल चुका है। केवल यही नहीं विद्यालय के प्रधान शिक्षक जय बसाक को 2019 साल में पश्चिम बंग सरकार की ओर से शिक्षा रत्‍‌न का सम्मान भी मिल चुका है। इस दिन शिक्षक जय बसाक ने कहा कि हमारे छात्र-छात्राओं के अधिकांश अभिभावक शिक्षित नहीं है। ऐसे में हमलोगों ने अनुभव किया, कि स्कूल में क्लास नहीं होने से बच्चे की शिक्षा की स्थिति और खराब होती जा रही थी। जिसके बाद पिछले शिक्षा वर्ष से ही हमलोगों ने बच्चों को पढ़ाने का फैसला लिया, जो अभी भी चल रहा है। यहां पर करीब 80 फीसदी छात्र उपस्थित रहते है।


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