यह वोटिंग मशीन नहीं पड़ने देगी फर्जी वोट, ऐसे करेगी काम
voting machine. यह वोटिंग मशीन फर्जी मतदान पर पूरी तरह रोक लगा देगी। अब चुनाव आयोग के समक्ष इसका प्रदर्शन किया जाना है।
दुर्गापुर, हृदयानंद गिरि। पश्चिम बंगाल के इंजीनियरिंग छात्रों ने ईवीएम की तर्ज पर एंटी रिगिंग वोटिंग मशीन (एआरवीएम) विकसित की है। दावा है कि यह मशीन फर्जी मतदान पर पूरी तरह रोक लगा देगी। वोटर के फिंगर प्रिंट का मिलान न होने पर वोटर कार्ड मशीन में ही फंस जाएगा और अलार्म बज उठेगा। चुनाव आयोग के समक्ष इसका प्रदर्शन किया जाना है। मशीन को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और इंजीनियरिंग काउंसिल ऑफ इंडिया ने मान्यता दे दी है।
पांच हजार रुपये में बनी
चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर कब्जा और फर्जी मत पड़ने की शिकायतें अकसर मिलती हैं। प्रचलित ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के दुरुपयोग की आशंका जता मतदान की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। दुर्गापुर के बंगाल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के दो छात्रों दीपायन नंदी और चंदन गोप ने सीनियर लैब इंस्ट्रक्टर समीर बसाक की देखरेख में यह उपकरण विकसित किया है। फर्जी मतदान और बूथ पर कब्जा रोकने में इसे कारगर बताया जा रहा है। मशीन का नाम एंटी रिगिंग वोटिंग मशीन- एआरवीएम रखा गया है। इसकी कंट्रोल यूनिट बेहद आधुनिक है। दीपायन और चंदन ने बताया कि कॉलेज की ओर से इस मशीन को चुनाव आयुक्त को दिखाने की योजना है। ताकि चुनाव आयोग यदि उचित समझे तो इसका उपयोग चुनावों में कर सके। मशीन को बनाने में महज पांच हजार रुपये खर्च हुए।
ऐसे करेगी काम
मशीन के कंट्रोल यूनिट में खास बात यह है कि वोटर की पहचान से जुड़ा कोई भी विवरण गलत हुआ तो उसका वोटर कार्ड मशीन में फंस जाएगा। फर्जी मतदाता को यह तुरंत पकड़ लेगी। मशीन की कंट्रोल यूनिट में एक मदर बोर्ड (डाटा रखने के लिए), फिंगर प्रिंट स्कैनर (अंगुली का निशान लेने के लिए), टीएफटी डिस्प्ले (प्रक्रिया को दर्शाने के लिए), मिनी कीबोर्ड, सर्वोमोटा (पहचान पत्र डालने के लिए) का इस्तेमाल किया गया है। इस मशीन में बूथ के मतदाताओं का डिजिटल विवरण पहले से फीड करना होगा, ताकि इसके आधार पर मशीन असल मतदाता की पहचान सुनिश्चित कर सके।
इस तरह होगा मतदान
पीठासीन अधिकारी मतदाता का कार्ड नंबर इस मशीन में डालेंगे, अगर मतदाता उस केंद्र का होगा तभी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। इसके बाद सर्वोमोटा में मतदाता पहचान पत्र को डाला जाएगा। पहचान पत्र सही होने पर फिंगर प्रिंट का मिलान किया जाएगा। मिलान हो जाने पर ही मतदाता मताधिकार का प्रयोग कर सकेगा। अगर कोई जानकारी गलत हुई फर्जी मतदाता को तुरंत पकड़ा जा सकेगा। अगर कोई दूसरी बार मतदान करने जाता है तो भी पकड़ में आ जाएगा।
मील का पत्थर साबित होगी
कॉलेज के सीनियर लैब इंस्ट्रक्टर समीर बसाक ने बताया कि निष्पक्ष मतदान में यह कंट्रोल यूनिट बेहद कारगर सिद्ध होगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, इंजीनियरिंग काउंसिल ऑफ इंडिया और इंडियन सोसाइटी फॉर टेक्निकल एजुकेशन द्वारा सितंबर में आयोजित छात्र विश्वकर्मा अवार्ड में इस मशीन को राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान हासिल हुआ है। हमारे देश के लिए यह मशीन मील का पत्थर साबित होगी।
छात्रसंघ चुनाव में होगा इस्तेमाल
कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में इस मशीन का उपयोग हम करेंगे। उसके बाद इसे चुनाव आयोग के अधिकारियों को दिखाएंगे। जल्द ही इसे पेटेंट भी करा लेंगे।
-डॉ. एसी गांगुली, निदेशक, बंगाल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग।