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बैद्यनाथ की गलियां - मुकम्मल तैयारियों के बीच बाबा मंदिर में शुरू हो पूजा की व्यवस्था

प्राथमिकता तय करके ही कोई भी व्यवस्था बहाल करे। बाबा मंदिर के खुलने से देवघर की अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौटेगी और इसका इंतजार सबको है। सरकार को चाहिए कि इस मसले पर बिहार सरकार से भी समन्वय बनाए ताकि श्रावणी मेला स्वरूप को तय करने में सहूलियत हो। अजय कुमार नेता कांग्रेस

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 06:06 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:06 PM (IST)
बैद्यनाथ की गलियां - मुकम्मल तैयारियों के बीच बाबा मंदिर में शुरू हो पूजा की व्यवस्था
बैद्यनाथ की गलियां - मुकम्मल तैयारियों के बीच बाबा मंदिर में शुरू हो पूजा की व्यवस्था

देवघर : केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर से आठ जून से धार्मिक स्थलों को खोले जाने की हरी झंडी दिये जाने के बाद झारखंड में मंदिरों को खोलने को लेकर राज्य सरकार के स्तर से अब तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिये जाने के कारण ऊहापोह की स्थिति बरकरार है। खासकर देवघर के लोगों को यह उम्मीद थी कि केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद सोमवार को राज्य सरकार से अनलॉक-1 में जारी एडवायजरी के तहत धार्मिक स्थलों को खोले जाने को लेकर भी स्थिति स्पष्ट करेगी लेकिन राज्य सरकार के स्तर से इस पर सस्पेंस बरकरार है। हालांकि राज्य सरकार ने झारखंड के सभी जिलों के आला प्रशासनिक अधिकारियों से मंदिरों की अद्यतन स्थिति व खासकर कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के मद्देनजर रिपोर्ट मांगी है। इधर देवघर में सावन के निकट आने का दबाव भी तेजी से बढ़ रहा है। श्रावणी मेला देवघर के लिए खास मायने रखता है। देवघर की पूरी अर्थव्यवस्था इस मेले पर टिकी है। यहां के बारे में एक प्रचलित कहावत है कि देवघर के लोग दो महीना सावन और भादो में कमाते हैं और 10 माह तक ठाट से बैठ कर खाते हैं। बहरहाल, बाबा मंदिर का पट खुले इस पर सबकी हामी तो है लेकिन इसके साथ ही यहां के लोगों का स्पष्ट मानना है कि पहले सरकार व प्रशासन सुरक्षा की पुख्ता तैयारी कर ले तब ही मंदिर खोलने की व्यवस्था बहाल हो। सुनिए क्या कहते हैं लोग -

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वर्जन

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सरकार तमाम बिदुओं पर जानकारी एकत्र कर रही है। राज्य के सभी मुख्य मंदिरों के बारे में खासकर सुरक्षा के मद्देनजर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मिलने के बाद व्यापक जनहित में राज्य की सरकार फैसला करेगी। हड़बड़ी में कोई फैसला खतरनाक हो सकता है। खासकर कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार को पूरी तैयारी के बाद ही निर्णय लेना चाहिए ताकि इसका दुष्परिणाम नहीं भुगतना पड़े। उम्मीद है सरकार धार्मिक स्थलों को खोलने की दिशा में पूरी तैयारी के साथ सकारात्मक निर्णय लेगी।

मुन्नम संजय, जिला अध्यक्ष, कांग्रेस

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श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति है। केंद्र सरकार के स्तर से आठ जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की सहमति दे दी गई है लेकिन इसके साथ ही किसी भी तरह की राजनीतिक, सामाजिक अथवा धार्मिक आयोजन व रैलियों पर प्रतिबंध जारी रखी गई है। श्रावणी मेला में लाखों श्रद्धालु की भीड़ उमड़ती है। जाहिर है इसकी वजह से असमंजस की स्थिति होना लाजिमी है। मेरा मानना है कि श्रावणी मेला देवघर के लिए आर्थिक-व्यवसायिक तौर पर मेरूडंड बन चुका है। ऐसे में मेला को टालने की जगह सीमित और व्यवस्थित भीड़ नियंत्रण और व्यवसायिक गतिविधियों के साथ इसके आयोजन पर फोकस अभी से शुरू कर देना चाहिए।

आलोक मल्लिक, संप क्षेत्रीय उपाध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, देवघर

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कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर सरकार ठोस निर्णय ले। बाबा मंदिर पर श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां बड़ी संख्या में आते हैं। खासकर यहां श्रावणी मेला में लाखों की भीड़ उमड़ती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि धर्म और आस्था की रक्षा के साथ सुरक्षा की प्राथमिकता तय करके ही कोई भी व्यवस्था बहाल करे। बाबा मंदिर के खुलने से देवघर की अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौटेगी और इसका इंतजार सबको है। सरकार को चाहिए कि इस मसले पर बिहार सरकार से भी समन्वय बनाए ताकि श्रावणी मेला स्वरूप को तय करने में सहूलियत हो।

अजय कुमार, नेता, कांग्रेस

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