West Bengal: तीन सौ से ज्यादा स्क्रब टाइफस से ग्रसित, सिरदर्द, ठंड व हल्के बुखार से होती है शुरुआत
राज्य अभी डेंगू के प्रकोप से उभरा भी नहीं है कि इतने में स्क्रब टाइफस की दस्तक ने एक बार फिर से राज्य स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ाने का काम किया है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। राज्य अभी डेंगू के प्रकोप से उभरा भी नहीं है कि इतने में स्क्रब टाइफस की दस्तक ने एक बार फिर से राज्य स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ाने का काम किया है। जिसको देखते हुए विभाग की ओर से रेगुलर रिपोर्ट संग्रह को मेडिकल टीम को काम में लगाया है, ताकि इस बीमारी से ग्रसित मरीजों की सटीक संख्या हासिल की जा सके।
विभाग की ओर से जारी निर्देश में साफ कर दिया गया है कि इस बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या के साथ ही इसके कारणों का भी पता लगाया जाए, ताकि आगे इसके रोकथाम को आवश्यक कदम उठाए जा सके। साथ ही जिलों में भी विशेष निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में करीब तीन सौ से अधिक मामले सामने आए हैं व मरीजों के रक्त परीक्षण के उपरांत इस संक्रमण से उनके ग्रसित होने की भी पुष्टि की गई है। इसके अलावा महानगर के बेहाला, लेकटाउन, साइंस सिटी समेत दक्षिण 24 परगना के सोनारपुर व बारूईपुर इलाकों में स्क्रब टाइफस से करीब तीन सौ से अधिक मरीजों के ग्रसित होने की बात कही जा रही है। इधर, एक ओर जहां डेंगू से निपटने को कोलकाता नगर निगम ड्रोन उड़ा रहा है तो वहीं अब स्क्रब टाइफस निगम की नींद उड़ा सकती है।
पहाड़ों की बीमारी समझी जानेवाली स्क्रब टाइफस अब मैदानी इलाकों में भी तेजी से पांव पसार रही है। राज्य में इस संक्रमण से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं मुर्शिदाबाद जिले में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। हुगली निवासी सुदीपा नंदी (32) की गत बुधवार को इसकी चपेट में आने से मौत हो गई थी।
मुर्शिदाबाद, हुगली के साथ ही अब कोलकाता और हावड़ा में भी स्क्रब टाइफस दस्तक दे चुका है। चिकित्सकों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में इसका अधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। साथ ही पालतू जानवरों के संपर्क में आने से इस बीमारी के होने की संभावना जाहिर की जा रही है। आम तौर पर बच्चे ही स्क्रब टाइफस की चपेट में आ रहे हैं। गत वर्ष भी महानगर समेत राज्यभर में स्क्रब टाइफस के मामले देखे गए थे। गत वर्ष नवंबर में कोलकाता के वार्ड संख्या 32 यानी उल्टाडांग में कई लोग स्क्रब टाइफस की चपेट में आए थे, जबकि दो लोगों की मौत भी हुई थी। वार्ड में फैले इस संक्रमण की रोकथाम को निगम की ओर से मेडिकल कैंप की व्यवस्था भी की गई थी।
चिकित्सकों के अनुसार पशुओं में पाए जाने वाले इस बैक्टीरिया को पिस्सू या माइट के नाम से जाना जाता है। पशुओं के शरीर पर रहनेवाला पिस्सू जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने लगते हैं। स्क्रब टाइफस की शुरुआत सिरदर्द, ठंड और हल्के बुखार से होती है। समय पर इलाज न मिलने पर तेज बुखार के साथ सिरदर्द भी बढ़ने लगता है।
हालांकि, निगम के चिकित्सक चूहों को भी इस बीमारी का वाहक बता रहे हैं। निगम के चिकित्सकों की मानें तो कीट (पिस्सू) चूहों के शरीर पर भी पाया जाता है। ऐसे में जिन इलाकों में चूहों की संख्या अधिक है, वहां स्क्रब टाइफस के फैलने की संभावना बनी रहती है। यह खटमल से भी छोटा बैक्टीरिया है, जहां भी काटता है, वहां निशान बन जाता है। बरसात से लेकर सर्दियों के आने तक इसका प्रकोप जारी रहता है। यह बैक्टीरिया पार्क की घास और आसपास की झाड़ियों में भी पाया जा सकता है।