West Bengal: शांतिनिकेतन में लगने वाले पौष मेला में इस बार स्टाल का आवंटन ऑन लाइन किया जाएगा
West Bengal Poush Melaशांतिनिकेतन में लगने वाले पौष मेला में इस बार स्टाल का आवंटन ऑन लाइन किया जाएगा।
वीरभूम, जागरण संवाददाता। शांतिनिकेतन में लगने वाले पौष मेला में इस बार स्टाल का आवंटन ऑन लाइन किया जाएगा। आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रशासन आइआइटी खड़गपुर की मदद लेगा। इस काम में प्रयोग होने वाले विशेष साफ्टवेयर को चलाने के लिए विश्वभारती के पांच कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए खड़गपुर भेजा जाएगा। मेला समाप्त होने के बाद स्टालों को हटाने के लिए सीआइएसएफ की मदद लेने पर भी विचार चल रहा है।
सूत्रों के अनुसार गत वर्ष पौष मेला के बाद ही विश्वभारती विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस वर्ष मेला का संचालन नहीं करने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही विश्व प्रसिद्ध पौष मेला को लेकर संशय के बादल मंडरा रहे थे। काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार विश्वभारती प्रशासन ने अपने निर्णय को वापस ले लिया है। इसके बाद ही बीते शनिवार को पौष मेला को लेकर विश्वभारती केंद्रीय कार्यालय में कुलपति विद्युत चक्रवर्ती की अध्यक्षता में शांतिनिकेतन ट्रस्ट, विश्वभारती कर्मचारी परिषद पदाधिकारियों की बैठक हुई।
तय किया गया कि बीते वर्षो की तरह इस वर्ष भी पौष मेला का धूमधाम से आयोजन किया जाएगा। मेला में सुरक्षा व्यवस्था और मेला समाप्त होने के बाद स्टालों को हटाने के सीआइएसएफ की मदद लेने पर चर्चा की गई। इस बाबत कुलपति ने केंद्र सरकार के साथ भी बातचीत की। बैठक में खास निर्णय भी लिया गया। मेला परिसर को साफ सुथरा एवं प्रदूषण मुक्त रखने के लिए भी अहम निर्णय लिए गए।
सूत्रों के अनुसार इस दफा पौष मेला में स्टाल आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऑन लाइन आवेदन लिया जाएगा। इस काम के लिए आइआइटी खड़गपुर की मदद ली जाएगी। इसके लिए आइआइटी द्वारा एक विशेष साफ्टवेयर तैयार किया जाएगा। खास तकनीक वाले साफ्टवेयर को चलाने का प्रशिक्षण लेने के लिए विश्वभारती प्रशासन अपने पांच कर्मचारियों को खड़गपुर भेजेगा।
गौरतलब है कि पौष मेला से गंदगी व प्रदूषण फैलने को आधार बनाकर सुभाष दत्त नामक पर्यावरणविद ने नेशनल ग्रीन टिब्यूनल में मामला दायर किया था जिसकी सुनवाई अभी भी चल रही है। गत वर्ष 4 जून को कोर्ट ने विश्वभारती प्रशासन को नोटिस जारी कर निर्देश दिया था कि वे पौष मेला नहीं कर सकते। इसके बाद ही पौष मेला को लेकर संशय के बादल मंडरा रहे थे।