बोर्ड सदस्य ने लिया पेयजल आपूर्ति व्यवस्था का जायजा
-वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बेहद कम -शहर के लोगों को पानी मिलने में हो रही है परेश
-वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बेहद कम
-शहर के लोगों को पानी मिलने में हो रही है परेशानी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शहर में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था का मंगलवार को सिलीगुड़ी नगर निगम के बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स के सदस्य अलोक चक्रवर्ती ने जायजा लिया। उन्होंने फूलबाड़ी में महानंदा बैराज स्थित सिलीगुड़ी नगर निगम के ड्रिंकिंग वाटर इंटेक प्वाइंट व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का मुआयना किया। विभागीय अधिकारियों से पूरी वस्तुस्थिति की जानकारी ली। इस अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि पहले की पेयजल आपूर्ति व्यवस्था अब आज के शहर के लिए बहुत पुरानी हो चुकी है। सो, अब शहर के वर्तमान विस्तार और जनसंख्या वृद्धि के मद्देनजर नए सिरे से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की जानी बेहद जरूरी है। इसे लेकर नगर निगम की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। शहर से थोड़ी दूर गजलडोबा के मेगा वाटर प्रोजेक्ट से अब सिलीगुड़ी शहर को पेयजल आपूर्ति की उन्नत व्यवस्था की जाएगी। उसे लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1994 में जब सिलीगुड़ी नगर निगम बना था तब ही पेयजल आपूर्ति योजना के कार्यो की शुरुआत हुई। मगर, वह योजना उससे पहले यानी नगर पालिका के समय की ही थी। उस योजना का कार्य वर्ष 1999 में पूरा हुआ। तब से शहर में नगर निगम की ओर से पेयजल आपूर्ति शुरू हुई। पर, तब शहर की आबादी बड़ी सीमित थी जो कि अब बेतहाशा बढ़ गई है। गत एक दशक में सिलीगुड़ी में कम से कम 10 गुना जनसंख्या वृद्धि हुई है। मगर, उसकी तुलना में पेयजल आपूर्ति के संसाधनों का विकास बहुत ही कम हो पाया है। अभी सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र में केवल होल्डिंग नंबर ही एक लाख से ज्यादा हैं और घर व प्रतिष्ठानों-संस्थानों को मिला कर देखें तो घरेलू एवं वाणिज्यिक सभी प्रकार के कुल 38000 वाटर कनेक्शन हैं। इसके अलावा सार्वजनिक नलकों की बातें करें तो 1700 सार्वजनिक नलके हैं जहां से सार्वजनिक रूप में लोग पेयजल प्राप्त करते हैं। इनकी संख्या भी बढ़ानी भी जरूरी है। 72 मिलियन लीटर पेयजल की जरूरत
नगर निगम के आकलन के अनुसार शहर को रोजाना 72 मिलियन लीटर पेयजल की जरूरत है। मगर, मात्र 44 मिलयिन लीटर पेयजल ही मिल पा रहा है। फूलबाड़ी में जो 55 मिलियन लीटर जल भंडारण क्षमता वाला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है उससे सिलीगुड़ी नगर निगम को केवल 44 मिलियन लीटर ही जल मिलता है। बाकी जल नॉर्थ बंगाल मेडिल कॉलेज एंड हॉस्पिटल एवं अन्य कुछेक ग्रामीण क्षेत्रों को जाता है। पेयजल आपूर्ति किए जाने हेतु वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में 15 ओवरहेड वाटर रिजर्वर हैं जो कि पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे और कम से कम 15 ओवरहेड वाटर रिजर्वर की आवश्यकता है।
और रिजर्वर की आवश्यकता
वहीं, वर्तमान में ग्राउंड लेवेल रिजर्वर (जीएलआर) की संख्या चार है जो कि और चार होनी चाहिए। अभी तक नगर निगम का 90-92 प्रतिशत इलाका ही जल आपूर्ति के दायरे में आ चुका है। बाकी आठ-10 प्रतिशत इलाके को भी इस दायरे में लाना जरूरी है।
कब आया प्रस्ताव
वर्ष 2011 में राज्य सरकार की ओर से यहां गजलडोबा में मेगा वाटर प्रोजेक्ट का प्रस्ताव आया। उस 355 करोड़ की परियोजना में सिलीगुड़ी शहर को भी शामिल रखा गया। उसे लेकर राज्य सरकार के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के पुराने व नए सभी मंत्रियों संग नगर निगम अधिकारियों की कई बार बैठकें भी हुई। पर, वह परियोजना अभी तक ठंडे बस्ते में ही है। अब उस पर कार्य शुरू हुआ है।