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Unesco World Heritage: दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा मिलने के बीस साल पूरे

विश्व विख्यात दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा मिलने की 20 वीं सालगिरह पर गुरुवार को दार्जिलिंग में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 03:38 PM (IST)
Unesco World Heritage: दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा मिलने के बीस साल पूरे
Unesco World Heritage: दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा मिलने के बीस साल पूरे

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। विश्व विख्यात दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा मिलने की 20 वीं सालगिरह पर गुरुवार को दार्जिलिंग में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। काफी संख्या में लोगों की मौजूदगी में दार्जिलिंग से समारोह पूर्वक एक स्पेशल ट्रेन को घूम के लिए हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।

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डीएचआर की महत्ता पर जागरुकता बढ़ाने के उद्देश्य से घूम से दार्जिलिंग के बीच एक दौड़ (फन फॉर रन) का भी आयोजन किया गया। जिसमें आम जनता के साथ भारी संख्या में स्कूली बच्चों ने भी भाग लिया। स्थानीय कलाकारों द्वारा डीएचआर के संबंध में एक कला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस अवसर दार्जिलिंग चौरास्ता पर एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसे देख कर उपस्थित लोग रोमांचित हो गए।

इस अवसर पर डीएचआर पर एक कॉपी टेबल बुक का भी विमोचन किया गया। रोलिंग स्टॉक रेलवे बोर्ड के सदस्य राजेश अग्रवाल, एनएफ रेलवे के महाप्रबंधक संजीव राय, कटिहार डिवीजन के डीआरएम कुमार वर्मा, जीटीए के सचिव डेविड प्रधान, जीटीए के सांस्कृतिक मामले के निदेशक बी. के. घीसिंग के अलावा रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उपस्थित मेहमानों ने घूम स्थित डीएचआर म्यूजियम का भी भ्रमण किया। इसके पहले उपस्थित सभी लोगों की मौजूदगी में दार्जिलिंग स्टेशन परिसर में एक प्रतीकात्मक राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।

डीएचआर का निर्माण कार्य वर्ष 1879 में हुआ शुरू :

2 फीट (610 मिमी) चौड़ी गेज की डीएचआर का निर्माण कार्य वर्ष 1879 में आरम्भ हुआ था। यह मार्च, 1880 में तिनधरिया तक पहुंचा एवं अप्रैल, 1881 में घूम तक अपनी उपस्थित दर्ज किया। अंत में पहली ट्रेन चार जुलाई 1881 को दार्जिलिंग पहुंची। प्रारंभिग क तौर पर इसमें चार परिपूर्ण लूप तथा चार जेड-रिवर्स थे। वर्तमान समय में डीएचआर में तीन लूप एवं छह जेड-रिवर्स हैं। यूनेस्को ने डीएचआर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे प्रथम एवं अब तक पहाड़ यात्रीवाही रेलवे का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। वर्ष 1881 में शुरू हुई यह रेल उत्कृष्ट सुंदर पहाड़ी क्षेत्र में एक प्रभावी रेल लिंक की स्थापना की समस्या का यह एक सरल अभियांत्रिकी समाधान है। यह वर्तमान में भी पूरी तरह परिचालनगत है एवं इसके मूल विशेषताएं अभी भी बरकरार है।

कटिहार डिवीजन के डीआरएम वर्मा ने उम्मीद व्यक्त किया कि विश्व धरोहर की घोषणा की 20वीं सालगिरह मनाया जाना राष्टरीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के मद्देनजर डीएचआर को और भी बढ़ावा मिलने में मददगार साबित होगा।

विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

रन फॉर फन में सैकड़ों की संख्या में दौड़े बच्चे

डीएचआर- कुछ खास बातें

5 दिसम्बर 1999 को यूनेस्को ने वल्र्ड हेरिटेज घोषित किया था

डीएचआर अंतर्गत न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक तेरह स्टेशन हैं

पुरानी नैरो गेज ट्रेनें सिर्फ वाष्प इंजन द्वारा संचालित होती थी

वर्तमान में वाष्प एवं डीजल इंजन दोनों से चलती है ट्रेनें 


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