प्लेन में उड़े बिना आसमान से धरती को देखना है तो यहां पहुंचें
जैसे स्वर्ग को किसी ने उठाकर धरती पर लाकर रख दिया हो। बिल्कुल ऐसा ही नजारा है। कुछ स्थान तो ऐसे हैं, जहां आप आकाश में होने का अनुभव करेंगे। जानिए कहां है यह जगह...
सिलीगुड़ी [राजेश पटेल]। प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी का एक शेर बहुत प्रसिद्ध है। मेरे हुजरे में नहीं, कहीं और रख दो। आसमां लाए हो ले आओ, जमीन पर रख दो। सही में आसमान को किसी ने लाकर सिक्किम में रख ही दिया है। यहां एक स्थान ऐसा है, जहां टहलते हुए आप आकाश में टहलने का अनुभव करेंगे। अपने पैरों के नीचे धरती की खूबसूरती को निहार पाएंगे। यह है नॉर्थ ईस्ट का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थन सिक्कीम का पेलिंग। यहां भारत का पहला स्काई वॉक है।
यहीं पर चेनरेजिग की 137 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई गई है। यह स्थल गत वर्ष एक नवंबर से पर्यटकों के लिए खुल गया है। पश्चिम सिक्किम के पेलिंग में बने तीर्थ स्थल में 7200 मीटर की ऊंचाई में चेनरेजिग की अब तक की सबसे बड़ी प्रतिमा लगाई गई है।
यहां पर एक स्काईवॉक का भी निर्माण किया गया है। धरती से काफी ऊंचाई पर शीशे की फर्श पर चलना एक अलग रोमांच की अनुभूति कराता है। इस पर से नीचे का नजारा बहुत ही खूबसूरत लगता है। ऐसा लगता है मानो आसमान पर चहलकदमी कर रहे हों।
पेलिंग तेजी से लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनता जा रहा है। 6,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित इसी जगह से दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंघा को सबसे करीब से देखा जा सकता है। यह स्थान तो खूबसूरत है ही, पेलिंग के अन्य आकर्षण हैं सांगा चोइलिंग मोनास्ट्री, पेमायंगत्से मोनास्ट्री और खेचियोपालरी लेक।
पेलिंग जाने का रास्ता
पेलिंग जाने के लिए आपको पहले सिक्किम की राजधानी गंगटोक पहुंचना होगा। इसके लिए आपको न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के बाद सड़क मार्ग का सहारा लेना होगा। सिलीगुड़ी से गंगटोक की दूरी करीब 116 किलोमीटर है। पहाड़़ी रास्ता होने के कारण यह दूरी तय करने में करीब चार घंटे लग जाते हैं। गंगटोक से पेलिंग जाने में करीब पांच घंटे लगेंगे। हालांकि अभी गत वर्ष सितंबर में ही गंगटोक के पास पैक्यांग में हवाई अड्डा चालू हुआ है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद किया था। यदि सीधे हवाई मार्ग से गंगटोक पहुंचें तो पेलिंग जाने में समय की काफी बचत होगी।
सिक्किम में घूमने लायक अन्य स्थल
नाथुला दर्रा : 14,200 फीट की ऊंचाई पर, नाथुला दर्रा भारत-चीन सीमा पर स्थित है। यह सिक्किम को चीन के तिब्बत क्षेत्र से जोड़ता है। यह सफर अपने आप में आनंद देने वाला अनुभव है। धुंध से ढंकी पहाड़ियां, टेढ़े-मेढ़े रास्ते और पहाडों से झरते झरने यह रास्ता तो अद्भुत है। इस जगह जाने के लिए पर्यटकों के पास परमिट होना चाहिए।
रूमटेक गुफा : यह गुफा विश्व की श्रेष्ठतम गुफाओं में से एक है जो कि गंगटोक से 37 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां दो गुफाओं के मध्य एक छोटी गुफा है। यहां दो स्वर्ण मृग, स्वर्ण स्तूप, धर्मचक्र, सोने के बुद्ध, बेशकीमती जवाहरात व चित्र आदि दर्शनीय हैं।
सोम्गो लेक : यह झील एक किलोमीटर लंबी, अंडाकार है। स्थानीय लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं। मई और अगस्त महीने के बीच झील के पास का इलाका बेहद खूबसूरत हो जाता है। दुर्लभ किस्मों के फूल यहां देखे जा सकते हैं। इनमें बसंती गुलाब, आइरिस और नीले-पीले पोस्त शामिल हैं। सर्दियों में झील का पानी जम जाता है।
एनके मोनास्ट्री या गुफा : यहां पर देवी देवताओं की सुंदर व भव्य मूर्तियां, पुस्तकालय तथा उनसे संबंधित मुखौटे आदि देखने को मिलते हैं। निकट ही स्थित डियर पार्क पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी देखी जा सकती है। जो दर्शनाथी सिक्किम शैली में रचे-बसे वस्त्र व लकड़ी का सामान खरीदने के इच्छुक हैं, उनके लिए यह बहुत अच्छी जगह है। यह स्तूप तिब्बतियों का तीर्थस्थल है।
केचपुरी : यह एक प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण झील है। इस झील का अपना विशेष आकर्षण है, और वह आकर्षण यह है कि इसके जल में नहाने वाले को व्याधियों से तो मुक्ति मिलती ही है, साथ ही पुण्यफल का भागी भी होता है।