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निगम चुनाव से पहले तृणमूल में गुटबाजी चरम पर

-स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं कई पूर्व पार्षद -एसजेडीए की बैठक में निखिल सहनी ने दिख्

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 10:12 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 10:12 PM (IST)
निगम चुनाव से पहले तृणमूल में गुटबाजी चरम पर
निगम चुनाव से पहले तृणमूल में गुटबाजी चरम पर

-स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं कई पूर्व पार्षद

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-एसजेडीए की बैठक में निखिल सहनी ने दिखाए कड़े तेवर

-अतिक्रमण हटाने और सैनिटाजिंग में भेदभाव का आरोप

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : छह माह के अंदर सिलीगुड़ी नगर निगम और सिलीगुड़ी महकमा परिषद का चुनाव होना है। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेता लगातार जोर लगाए हुए है। लगातार विपक्ष के पार्षदों को पार्टी में शामिल कराया जा रहा है। लेकिन ठीक इसके विपरीत तृणमूल कांग्रेस के अंदर गुटबाजी और शीतयुद्ध छिड़ा हुआ है। इसमें एक गुट तृणमूल कांग्रेस के पुराने नेताओं की है। दूसरे गुट में पीके टीम के सदस्य हैं और तीसरा गुट अभिषेक बनर्जी का है। जल्द ही चौथे गुट के रुप में मुकुल रॉय का खेमा भी तैयार हो रहा है। शहर से लेकर पंचायत तक कई गुट बने हुए हैं। इस गुट के नेता एक दूसरे पर दोषारोपण कर स्वयं को अच्छा सिद्ध करने में लगे हैं। तृणमूल के पार्षदों का आरोप है कि प्रशासनिक बोर्ड में दो को छोड़ अन्य तृणमूल पार्षदों को कोई महत्व ही नहीं दिया गया। दूसरे दलों से आने वाले पार्षदों को इन दिनों ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। जैसा विधानसभा चुनाव में भाजपा में देखने को मिलता था। इसका नजारा पिछले दिनों एसजेडीए बोर्ड के बैठक में भी देखने को मिला। एसजेडीए बोर्ड सदस्य व तृणमूल कांग्रेस पार्टी के जिला संयोजक निखिल साहनी ने अपने ही बोर्ड पर सवाल उठा दिया। उनहोंने कहा कि सिलीगुड़ी में सैनिटाइज क्यों नहीं कराया गया। क्यों यहां के बदले जलपाईगुड़ी में सैनिटाइज कराया गया। जहां तक एसजेडीए के तहत अतिक्रमण का सवाल है हार्कर्स कॉर्नस में ही अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा है। उसे क्यों नहीं हटाया गया। अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर भी पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की जाती है। इसे रोकने के लिए एसजेडीए आवश्यक कदम उठाए। कई पार्षदों ने याद दिलाया कि इसी प्रकार से गुटबाजी चलती रही तो जिस तरह से कृष्णचंद्र पाल के समय अलग अलग पैनल बनाकर बोर्ड पर कब्जा का प्रयास विफल हुआ उसी प्रकार आगे भी होगा। तृणमूल को यह नहीं भुलना चाहिए कि नेता तो उनके साथ आ रहे हं,ै परंतु क्या मतदाता का मन वह बदल पा रहे हैं। जिस प्रकार पंचायतों में एक के बाद आपसी कलह है उसे ठीक किए बिना चुनावी नैया पार लगाना मुश्किल होगा। हालांकि टीएमसी जिलाध्यक्ष ने किसी भी प्रकार की गुटबाजी से इंकार किया है। कुछ खास बातें

1.एक गुट तृणमूल कांग्रेस के पुराने नेताओं की है

2.दूसरे गुट में प्रशांत किशोर यानि पीके टीम के सदस्य हैं

3.तीसरा गुट पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी का है

4.जल्द ही चौथे गुट के रुप में मुकुल रॉय का खेमा तैयार हो रहा है


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