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लोकसभा में उठेगा अलग राज्य का मुद्दा, खुले में सांस लेने के लिए चाहिए उत्तर बंगाल

जब राज्यपाल सांसद और विधायक सुरक्षित नहीं वैसे राज्य का विभाजन जरूरी आजादी के बाद से उत्तर बंगाल को किया जाता रहा है उपेक्षित सांसद और विधायकों के साथ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मिल कर रखेंगे अपनी बात खुले में सांस लेने के लिए चाहिए उत्तर बंगाल

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 04:20 PM (IST)
लोकसभा में उठेगा अलग राज्य का मुद्दा, खुले में सांस लेने के लिए चाहिए उत्तर बंगाल
लोकसभा में उठेगा अलग राज्य का मुद्दा

अशोक झा, सिलीगुड़ी। बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हो रही राजनीतिक हिंसा का शोर अभी थमा ही नहीं कि अलीपुरद्वार के भाजपा सांसद जॉन बारला उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग शुरू कर दी है। मंगलवार को दैनिक जागरण से विशेष बातचीत करते हुए सांसद व आदिवासी विकास परिषद के बड़े नेता जॉन बारला स्पष्ट कहा कि खुले में सांस लेने के लिए जरूरी हो गया है उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाया जाए। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में राज्यपाल सांसद विधायक सुरक्षित नहीं है। वैसे राज्य का रहना ना रहना एक बराबर है।

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तीसरी बार सत्ता में आने के बाद बंगाल सरकार अपने निशाने पर भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता जनप्रतिनिधि और नेताओं को ले रखी है। जो भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करेगा उसे इसी प्रकार की सरकारी संहिता से वंचित रखने की साजिश की जा रही है। विपक्ष के जप्रतिनिधियों के विकास के सपनों को जमीन पर उत्तर में नहीं देने साजिश चल रही है। जॉन बारला ने कहा कि बंगाल सरकार उत्तर बंगाल जिले से सबसे ज्यादा राजस्व वसूलती है। लेकिन इसके विकास पर कभी ध्यान नहीं दिया। जनप्रतिनिधियों की बात छोड़ो राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी पालन नहीं होता। यह नियम कानून तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर बनता और बिगड़ता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब तक गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेता विमल गुरुंग तृणमूल कांग्रेस के विरोधी थे तब तक वह एक राष्ट्रीय द्रोही और अपराधी बनकर दर बदर की ठोकरें खा रहे थे। जैसे ही उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा उन्हें पुलिस की सुरक्षा में दार्जिलिंग वापस बुलाया गया। उन्होंने कहा कि इसका भुक्तभोगी मैं खुद हूं। लोकसभा चुनाव से पहले मुझे पार्टी में मिलाने के लिए पुलिस से प्रताड़ित किया गया। इसका प्रयास आज तक जारी है।

काफी लंबे समय से चल रहा अलग राज्य की मांग

सरकार की नीतियों के कारण ही हमेशा से उपेक्षित रहने वाला उत्तर बंगाल 110 वर्षों से अलग राज्य मांग के आंदोलन में झुलस रहा है। इसमें चाहे गोरखालैंड की मांग हो या कामतापुर राज्य की। ऐसे आंदोलन का समाधान नहीं कर के उसे राज्य सरकारों ने कुचलने का काम किया। एक बार फिर से बंगाल में चुनाव जीत के साथ ही राजनीतिक हिंसा में स्थानीय लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं उत्तर बंगाल का सर्वांगीण विकास हो और यह पूर्वोत्तर के साथ कदम से कदम मिलाकर चले। इसीलिए दार्जिलिंग, कुचबिहार, अलीपुरद्वार, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, मालदा, दार्जिलिंग व कालिम्पोंग को अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाय। वह इतने पर ही वह नहीं रुके कहा समय रहते केंद्र सरकार बंगाल की ओर ध्यान नहीं देगी तो इसका हाल भी काश्मीर जैसा हो रहा है।

देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से क्षेत्र महत्वपूर्ण

भाजपा सांसद जॉन बारला का कहना है कि उत्तर बंगाल सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। इसका चिकन नेक कॉरिडोर करीब 22 किमी के दायरे में फैला है। ये कॉरिडोर नेपाल, भूटान और बांग्‍लादेश के बीच फैला है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर 1947 में बंगाल विभाजन के बाद असतित्‍व में आया था। 1975 में सिक्किम जब भारतीय राज्‍य बना तो भारत को उत्‍तर-पूर्व स्थित चुंबी वैली में चीन पर निगाह रखने के लिए एक रणनीतिक बढ़त हासिल हो गई थी। चिकन नेक पर असम राइफल्‍स, पश्चिम बंगाल पुलिस, भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल की कड़ी निगाह रहती है। बांग्लादेशी घुसपैठ के बाद रोहिंग्या मुसलमानों की लगातार घुसपैठ सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही है। इसके खिलाफ कार्रवाई के बदले राज्य सरकार इसे प्रश्रय दे रही है। राज्य में आतंकियों और उग्रवादियों के गहरी पैठ बनी हुई है। एशिया में देश की सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र को अलग राज्य बनाना जरूरी है।

अलग राज्य की मांग पर मुख्यमंत्री नाराज

उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का टेंशन बढ़ गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी राज्य में चुनाव हारने के बाद इसे बांटने की साजिश कर रही है लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

क्या कहते हैं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता वह दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट का कहना है कि बंगाल का विभाजन होगा यह समय बताएगा। लेकिन जिस प्रकार देश के हाथों बंगाल फिसलता जा रहा है यह एक गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि मैं उत्तर बंगाल के लोगों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी  ने दार्जिलिंग तराई डुवार्स क्षेत्र के स्थाई राजनीतिक समाधान पीपीपी का जो वादा किया है उसे जरूर पूरा करेगा। लोकसभा चुनाव पूर्व सबके सामने होगा।

राजनीति के गलियारे में बंगाल विभाजन की चर्चा तेज

भारतीय जनता पार्टी के साथी ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कांग्रेस तथा अन्य क्षेत्रीय संगठनों के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि हो ना हो बंगाल का विभाजन होगा?। चर्चा है कि जम्मू कश्मीर की तरह बंगाल को तीन हिस्सों में बांटने की तैयारी चल रही है। घुसपैठ बाहुल्य मालदा, मुर्शिदाबाद ,उत्तर दिनाजपुर दक्षिण दिनाजपुर को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश। तथा उत्तर बंगाल के अन्य 5 जिलों दार्जिलिंग, कालिमपोंग ,अलीपुरद्वार कुचविहार तथा जलपाईगुड़ी को मिलाकर अलग राज्य बनाया जा सकता है।

संविधान को जानने वाले यह भी कहते हैं कि राज्य विभाजन के लिए विधानसभा से प्रस्ताव पारित करना कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। इस बात को सुप्रीम कोर्ट भी बता चुकी है।

देखना होगा कि असफल हो पता है या नहीं? क्योंकि संविधान मैं यह अधिकार अगर संसद के पास है तो बंगाल में इसको लेकर सड़कों पर लोगों को उतारने की कूबत बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को है। देखना दिलचस्प होगा कि 2024 के पहले अलग राज्य की मांग को लेकर बंगाल में क्या घमासान मचता है?  


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