चाय बागान का भविष्य फिर एक बार अंधकारमय बन गया है
श्रमिक की समस्या के कारण चाय बागान फिर से बंद हो गया है । अब चाय बागान की समस्या को लेकर अब सरकार ही उचित निर्णय लेंगा ।
संवाद सूत्र, नागराकाटा। नागराकाटा ब्लॉक स्थित ग्रासमोड़ चाय बागान का भविष्य फिर एक बार अंधकारमय बन गया है । श्रमिकों के काम में नहीं आने का आरोप लगाते हुए चाय बागान संचालन कर रहे नए प्रबंधन भी बागान छोड़कर चले गए। इस घटना से चाय बागान श्रमिक हतास होने के साथ ही 1225 श्रमिकों का भविष्य में अधर में लटक गया है।
गौरतलब है कि गत 23 जुलाई को चाय बागान के तत्कालिन प्रबंधन एचएमपी पोद्दार बागान छोड़कर चले गए थ। फिर 16 अगस्त को चाय श्रमिकों के आर्थिक अवस्था को देखते हुए सिलगुड़ी की नए कंपनी ने चाय बागान संचालन का जिम्मा उठाया, लेकिन बुधवार को करीब एक महीने बाद फिर एक बार प्रबंधन बागान छोड़कर चले गए। चाय बागान के भाजपा नेता पूरण भुजेल ने बताया कि नए संचालक का आरोप बिल्कुल गलत है।
चाय बागान में श्रमिक नियमित रूप से काम करने आ रहे हैं। संचालक बार-बार स्टॉफ व सब स्टॉफ अधिक होने की बात कह रहे थे। उनलोगों ने चाय बागान के दोनों श्रमिक संगठन को एक साथ लेकर समस्या का समाधान करने का सुझाव दिया था लेकिन संचालक ने ऐसा नहीं।
नए संचालक जब आए थे तो श्रमिकों के जनवरी का बकाया राशि भुगतान किया । लेकिन उस दिन से आज तक साप्ताहिक वेतन नहीं दिया गया। 12 सितंबर को वेतन देने की बात कही गई थी, लेकिन इससे पहले ही संचालक बागान छोड़कर चले गए। वे लोग संगठन की ओर से जल्द से जल्द बागान खोलने की मांग करते हैं।
तृणमूल ब्लॉक अध्यक्ष अमरनाथ झा ने बताया कि श्रमिक की समस्या के कारण चाय बागान फिर से बंद हो गया है । चाय बागान में 60 से लेकर 70 श्रमिक ही काम में आया करते थे । इसी कारण से संचालक चाय बागान को बंद कर चले गए। अब चाय बागान की समस्या को लेकर अब सरकार ही उचित निर्णय लेंगा ।