आखिरकार बात करने से ही बनेगी बात
-इलाज के लिए दर निर्धारण पर हो उचित फैसला -निजी अस्पतालों पर नकेल कसने की भी जरूरत ----
-इलाज के लिए दर निर्धारण पर हो उचित फैसला
-निजी अस्पतालों पर नकेल कसने की भी जरूरत -----------
कुछ खास सुझाव
-अस्पतालों की सूची और बीमारी के इलाज की सुविधा के नाम सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों के सामने प्रदर्शित हो
-निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सही तरीके से मॉनिटरिंग करने की जरूरत
- बहाना बनाकर इलाज करने से मना करने वाले अस्पतालों पर हो कड़ी कर्रवाई
-सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पताल के प्रवेश द्वार पर स्वास्थ्य साथी शिकायत बॉक्स लगे
-शिकायत बॉक्स पर दो जिम्मेदार अधिकारियों के फोन नंबर भी दिए जाएं जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य के नागरिकों के लिए सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में पाच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज कराने को लेकर शुरू महत्वाकाक्षी योजना स्वास्थ्य साथी कार्ड में कई खामियां सामने आ रही है। इसमें मुख्य शिकायत है निजी अस्पताल वाले स्वास्थ्य साथी कार्ड धारक मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं कर रहे। यहां तक कि इलाज के अभाव में दो मरीजों की मौत तक हो चुकी है। दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया और उसके बाद इन खामियों को दूर करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। आम लोगों का कहना है कि इस योजना के तहत कार्ड बनवाने, गैर सरकारी अस्पतालों को इस योजना में शामिल करने समेत इसके क्रियान्वयन को लेकर राज्य सरकार को ठोस पहल करनी चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। बगैर ठोस योजना के ही बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य साथी कार्ड बनाने का काम शुरू कर दिया गया। अब इसका सीधा प्रभाव मरीजों व उनके परिजनों पर पड़ रहा है। निजी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने की शिकायत लगातार मिल रही है। स्वास्थ्य साथी कार्डधारक दो मरीजों की मौत पिछले 20 दिन में होना, इस व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है।
स्वास्थ्य साथी योजना के तहत निजी अस्पताल प्रबंधन द्वारा बहाना बनाकर मरीजों को भर्ती करने से इनकार करने संबंधी मिल रही शिकायतों के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता सोमनाथ चटर्जी का कहना है की स्वास्थ्य साथी योजना के तहत सरकार द्वारा इलाज के लिए निर्धारित दर के संबंध में यदि कोई शिकायत है तो अस्पताल प्रबंधन को सरकार अथवा स्वास्थ्य विभाग के साथ बैठक कर समस्या का समाधान कर लेना चाहिए जिससे कि मरीजों को इसका खामियाजा न भुगतना पड़े। सरकार और प्रशासन के दबाव में आकर निजी अस्पताल सरकारी योजना के तहत मरीजों के इलाज के लिए अपने अस्पताल को शामिल करने की हामी भर लेते हैं, लेकिन मोटी कमाई नहीं हो पाने की डर से ऐसे मरीजों को भर्ती करने में आनाकानी करने लगते हैं। ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। उनका कहना है कि जिन अस्पतालों को स्वास्थ्य साथी योजना में शामिल किया गया है,उसकी लगातार मॉनिटरिंग होनी चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि लिस्टेड अस्पतालों में सही ढंग से मरीजों को भर्ती किया जाता है कि नहीं, किस तरह के डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं, मरीज व मरीज के परिजन चिकित्सा व्यवस्था से खुश है कि नहीं, इन सब की नियमित ढंग से निगरानी होनी चाहिए। किसी तरह की कमी पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाई की जानी चाहिए। उनका कहना था कि सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य साथी योजना में कौन-कौन से अस्पतालों को शामिल किया गया है तथा किस अस्पताल में कौन-कौन सी बीमारी की चिकित्सा होगी इसकी मुकम्मल सूची सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों के मुख्य द्वार के सामने प्रदर्शित किया जाना चाहिए। जिससे मरीजों के परिजनों को आसानी से समझ में आ जाए कि यहां मरीज का इलाज हो पाएगा या नहीं। इसके अलावा सभी अस्पतालों के प्रवेश द्वार पर स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में स्वास्थ्य साथी शिकायत पेटिका भी लगाई जानी चाहिए। जिससे मरीज के परिजन उसमें अपनी शिकायत पत्र डाल सकें। जिसे स्वास्थ विभाग के अधिकारी शिकायत पत्रों को देखकर अस्पताल के खिलाफ जरूरी कार्रवाई कर सकें। वहीं शिकायत पेटिका पर स्वास्थ्य विभाग के किसी दो जिम्मेदार अधिकारी का फोन नंबर भी दिया जाना चाहिए, ताकि अस्पताल में जाने के दौरान अस्पताल प्रबंधन द्वारा किसी तरह की समस्या खड़ी की जाए, तो मरीज अथवा मरीज के परिजन तुरंत उस नंबर पर फोन कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। कोरोना काल में भी हुई मनमानी
इधर,मिली जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के दौर में भी स्वास्थ्य विभाग ने सिलीगुड़ी व आसपास के विभिन्न निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए 10 प्रतिशत सीट रिजर्व रखने का आदेश दिया गया था। लेकिन सभी अस्पताल इस निर्देश की अवहेलना करते हुए मरीजों को भर्ती करने से इनकार करते रहे। ------------
इस योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिले, इसके लिए व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य साथी कार्ड बनाए जा रहे हैं। सिलीगुड़ी के विभिन्न निजी अस्पतालों को इस योजना में शामिल किया गया है। अभी और निजी अस्पतालों को शामिल किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। मरीजों के भर्ती करने संबंधी समस्या ना हो, इसके लिए ग्रीवांस सेल भी तैयार हो रहा है।
-गौतम देव,पर्यटन मंत्री ।----------------
दाíजलिंग जिले के सभी निजी अस्पतालों को स्वास्थ्य साथी योजना में शामिल किया जाएगा। स्वास्थ्य साथी कार्ड धारक मरीज जिस अस्पताल में भर्ती होना चाहेंगे,उनकी चिकित्सा होगी। इसके बाद भी अगर कोई अस्पताल प्रबंधन मरीजों को भर्ती करने में आनाकानी करे तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। -शशांक सेठी,जिला अधिकारी,दार्जिलिंग