सिर्फ झंकार मोड़ ही नहीं,तस्करों के अब कई ठिकाने
-पुलिस से बचने के लिए ड्रग्स आन व्हील का अपनाया तरीका -आपूर्ति के लिए महंगे बाइक वाले युवा नि
-पुलिस से बचने के लिए ड्रग्स आन व्हील का अपनाया तरीका
-आपूर्ति के लिए महंगे बाइक वाले युवा निशाने पर जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : फैशन और भोजन के साथ तो अब शराब की भी होम डिलीवरी की जा रही है। ऐसे में फिर ड्रग्स तस्कर भला कैसे पीछे कैसे रह सकते हैं। इसलिए तस्करों ने कुछ ही मिनटों में ड्रग्स की आपूर्ति के लिए ड्रग्स आन व्हील का तरीका अपनाया है। इसके लिए बाइकर्स को निशाना बनाया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि ड्रग्स आन व्हील के जरिए तस्कर कानूनी पेंच से भी बचने में कामयाब हो रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो सिलीगुड़ी में नशा तस्करों के चार मुख्य ठिकाने हैं। पहले नशे का कारोबार शहर के झंकार मोड़ से कंट्रोल हुआ करता था। लेकिन कारोबार की तेज रफ्तार से कई ठेक और कई मुखिया बन बैठे हैं। जो पहले झंकार मोड़ वाले सरगना से माल खरीदकर बेचते थे, वे लोग अब स्वयं ही तस्कर बन गए हैं। अपने नाम पर मादक का खेप मंगाकर बेच रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी में ब्राउन शुगर, कोकेन, हेरोईन, डोडा और अफीम और अवैध कफ सिरप का अधिकांश खेप मुर्शिदाबाद, लालगोला और मालदा इलाके से भेजा जाता है। वहीं गांजा कूचबिहार से मंगाया जाता है। इसके अतिरिक्त नशीला टेबलेट और दवा भारत-म्यांमार सीमांत से चिकेन नेक के रास्ते सिलीगुड़ी पहुंचाया जा रहा है। खुराक के अनुसार पुड़िया बनाकर ग्राहक तक पहुंचाना ही तस्करों की सबसे बड़ी परेशानी है। पुलिस को डाल-डाल देख डिलीवरी के लिए नशा तस्कर पात-पात वाली तरकीब निकालते हैं। निर्माण श्रमिक, स्कूल-कालेज की छात्र-छात्राएं और गृहणियों को पहले नशे के जाल में फांसकर डिलीवरी का मोहरा बनाते हैं। लेकिन काफी मात्रा में मादक लेकर चलने वाला प्यादा घबराहट व अन्य कई कारणों से पुलिस के रडार पर चढ़ता है। बल्कि एक व्यक्ति के पास से भारी मात्रा में मादक मिलने से पुलिस की आंख भी गड़ती है। लेकिन छोटी सी पुड़िया सिर से लेकर पैर तक कहीं भी छिपाकर दुपहिया से ग्राहक तक पहुंचाना काफी आसान और सुरक्षित भी है। इसी को ध्यान में रखकर नशा तस्करों ने ड्रग्स आन व्हील का फार्मूला अपनाया है। बाईकर्स क्यों होते हैं तस्करों के टार्गेट
सिलीगुड़ी शहर और सटे आस-पास के इलाकों में ग्राहक तक मादक पहुंचाने के लिए बाइकर्स का सहारा लिया जा रहा है। वर्तमान समय में मंहगी बाइक पर रंग-बिरंगे महंगे कपड़े और एसेसरीज के साथ गर्लफ्रेंड को बिठाकर तेज गति से उड़ना ही तो युवाओं का शौक है। लेकिन महंगी बाइक का प्रति महीने ईएमआइ भी तो जुटानी पड़ती है। जितनी महंगी बाइक उतना ही कम उसका माइलेज के अनुपात में महंगा ईंधन और पीछे बैठी गर्लफ्रेंड के महंगी डिमांड पूरी करना आसान नहीं है। लेकिन नशा कारोबार के जरिए डिमांड के अनुसार रुपया जुटाना एक शार्टकट तरीका है। सूत्रों की माने तो वर्तमान के नशा बाजार में ब्राउन शुगर की सबसे अधिक डिमांड है। बताते हैं कि इसकी कीमत 2 करोड़ रुपए प्रति किलो है। जबकि नशे की खुराक लेने वाला ग्राहक अधिकतम एक से दो ग्राम पाउडर मंगवाता है। एक ग्राम पाउडर की पुडि़या को सिलीगुड़ी शहर के किसी भी कोने तक पहुंचाने के लिए पांच हजार रुपया मुहैया कराया जाता है। रुपए के लालच में साइकिल रिक्शा, वैन चालक, ई-रिक्शा चालक, टेप्मो चालक तक नशा डिलीवरी कर रहे हैं। बल्कि ठेक तक ग्राहक को लाने और वापस पहुंचाने का काम ई-रिक्शा और टेम्पो वाले अधिक करते हैं। अभिभावक हों जागरूकत तो बनेगी बात
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के आला अधिकारियों ने बताया कि नशा कारोबार के खिलाफ पुलिस ने मुहिम छेड़ रखी है। महंगे अरमान पूरे करने के लिए रुपए का लालच देकर नशा कारोबारी नव-युवकों को मोहरा बना रहे हैं तो इस पर अभिभावकों को ध्यान देने की जरुरत है। बच्चों के फ्रेंड सर्कल, उनकी चाल-ढाल, उनके फिजूल खर्चे पर निगरानी रखने की आवश्यकता है।