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रेगुलेटेड मार्केट बना वायु प्रदूषण का मुख्य केंद्र, पूरा शहर धुआं-धुआं

-मछली मंडी में जारी है थर्मोकोल जलाने का दौर -सब कुछ जानकर भी प्रशासन और पुलिस ने

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 09:20 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:20 PM (IST)
रेगुलेटेड मार्केट बना वायु प्रदूषण का मुख्य केंद्र, पूरा शहर धुआं-धुआं
रेगुलेटेड मार्केट बना वायु प्रदूषण का मुख्य केंद्र, पूरा शहर धुआं-धुआं

-मछली मंडी में जारी है थर्मोकोल जलाने का दौर

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-सब कुछ जानकर भी प्रशासन और पुलिस ने साधी चुप्पी

-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को है शिकायत का इंतजार

-अब नगर निगम ने दी परिसेवा बंद करने की धमकी मोहन झा

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी शहर में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। पिछले कुछ वर्षो से पूरा शहर प्रदूषण की चपेट में है। खासकर वायु प्रदूषण काफी अधिक है। ऐसी परिस्थिति में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट सिलीगुड़ी शहर में वायु प्रदूषण का मुख्य केंद्र बन गया है। एक तरफ सिलीगुड़ी नगर निगम प्लास्टिक व थर्मोकोल के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में थर्मोकोल व प्लास्टिक का अंबार लगता है। प्लास्टिक व थर्मोकोल बंद नहीं करने पर निगम ने रेगुलेटेड मार्केट में परिसेवा बंद करने का निर्णय लिया है।

ग्लोबल वार्मिग के साथ प्रदूषण भी विश्व स्तरीय समस्या है। इस समस्या ने सिलीगुड़ी को भी जकड़ लिया है। ठोस कार्यवाई नहीं होने से समस्या लगातार बढ़ रही है। यहां तो अब शुद्ध हवा में सांस लेना मुश्किल है। सिलीगुड़ी का वातावरण प्रभावित होने के कई कारण हैं। इसी कारणों मे से एक सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट को माना जा सकता है। इसे यदि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण भी मानें तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ऐसा नहीं है कि इसके बारे में किसी को पता नहीं है। नगर निगम से लेकर पुलिस और प्रशासन को इसकी पूरी जानकारी है। उसके बाद भी इस समस्या को दूर करने की कोई पहल नहीं की जा रही है।

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट उत्तर बंगाल में कच्चे माल का सबसे बड़ा थोक बाजार है। सिर्फ उत्तर बंगाल ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य सिक्किम व असम के साथ पड़ोसी देश नेपाल व भूटान के भी कच्चा माल कारोबारी काफी हद तक सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट पर ही आश्रित है। जितना बड़ा यह बाजार है उसी अनुपात में प्रदूषण भी है। हांलाकि इसमें सबसे अधिक भागीदारी सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में ही स्थित मछली मंडी की है। रेगुलेटेड मार्केट के मछली मंडी में दक्षिण भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ पड़ोसी राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश के झांसी, मध्य प्रदेश के कटनी आदि से मछलियां आती है। बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश से सटे इलाके मालदा व उत्तर दिनाजपुर से भी मछलियां इस बाजार में भेजी जाती है।

हर दिन आते हैं थर्मोकोल के 12 हजार बक्से

मछली मंडी में 70 के करीब स्टॉल हैं। यहां रोजाना मछलियों से लदी 35 से 40 ट्रकें पहुंचती है। एक ट्रक में मछलियों से भरे 300 से अधिक थर्मोकोल के बक्से लदे होते हैं। इससे साफ है सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में रोजाना दस हजार से बारह हजार थर्मोकोल के बक्से पहुंचते हैं। इनमें से कुछ बक्से मछली के साथ उत्तर बंगाल के विभिन्न हिस्सों के साथ सिक्किम, असम, नेपाल व भूटान भेज दिए जाते हैं। बाकी बचे थर्मोकोल के बक्से को मार्केट परिसर में ही फेंक दिया जाता है। जिससे मछली मंडी का पूरा इलाका थर्मोकोल के बक्से से भर जाता है। दस से पंद्रह दिन में थर्मोकोल के ये बक्से व्यापारी व ग्राहकों के लिए जी के जंजाल बन जाते हैं। यही वजह है कि दस से पंद्रह दिन के अंतराल पर थर्मोकोल के बक्सों के ढेर में मछली कारोबारी आग लगा देते हैं। हवा में सांस लेना मुश्किल

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में जलने वाले थर्मोकोल के बक्से से निकलने वाले काले धुएं को शहर के किसी भी कोने से देखा जा सकता है। सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट, चंपासारी व आस-पास का इलाका काले धुएं से ढंक जाता है। लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसकी शिकायत कई बार सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट कमिटी और सिलीगुड़ी नगर निगम से की गई है। लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार रेगुलेटेड मार्केट के मछली मंडी में थर्मोकोल के बक्सों को जलाने की शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर बोर्ड की ओर से अवश्य कार्यवाई की जाएगी।

इस संबंध में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट कमिटी के सचिव अनिल शर्मा व चेयरमैन सह जिला शासक दीपाप प्रिया पी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क स्थापित नहीं हो पाया। एयर क्वालिटी इंडेक्स 51 के पार

दार्जिलिंग जिला व सिलीगुड़ी शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 51 के पार है। हांलाकि इस आंकड़े को सुरक्षित नहीं लेकिन संतोषजनक कहा जा सकता है। फिर भी बीमार और संवेदनशील लोगों के लिए यह खतरनाक है। अस्थमा जैसे मरीजों के लिए सांस लेना मुश्किल होगा। इसके अलवा फेफड़ा, धड़कन व अस्थमा जैसी बीमारी होने की भी संभावना बनी रहती है। थर्मोकोल वातावरण के लिए काफी खतरनाक

विशेषज्ञों की माने तो प्लास्टिक व थर्मोकोल वातावरण के लिए काफी खतरनाक है। इसके जलने से निकलने वाला धुंआ वायुमंडल के ओजोन परत को प्रभावित करती है। ओजोन परत सूर्य से निकलने वाली पैरा बैगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकता है। बढ़ते प्रदूषण से ओजोन परत में कई छेद पाए गए है। यही ग्लोबल वार्मिग व बढ़ते चर्म रोग का कारण है।

हम भी चाहते हैं समस्या का हल- सचिव

सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट मछली मंडी व्यवसाई कमिटी के सचिव बापी चौधरी ने बताया कि दूर से आने वाली मछली थर्मोकोल के बक्से में अधिक समय तक रहती है। थर्मोकोल के बक्से में बर्फ भी जल्दी नहीं पिघलता है। वढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए हम भी थर्मोकोल का विकल्प चाहते हैं। लेकिन इसके लिए सरकार को कदम बढ़ाना होगा। थर्मोकोल के बक्से बाहर से आते हैं। थर्मोकोल व प्लास्टिक सिलीगुड़ी में निषेध है। थर्मोकोल को नष्ट करने के लिए हमने कई बार सिलीगुड़ी नगर निगम से रिसाइक्लिंग की व्यवस्था करने का आवेदन किया। निगम की ओर से सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में कूड़ा-करकट को रिसाइक्लिंग करने की कोई व्यवस्था नहीं है। कड़ी कार्यवाई जरूरी-डिप्टी मेयर

सिलीगुड़ी नगर निगम के डिप्टी मेयर राम भजन महतो ने बताया कि यह एक बड़ी समस्या है। थर्मोकोल का बक्सा नहीं मंगाने के लिए कई बार मार्केट प्रबंधन से कहा गया है। मंडी में थर्मोकोल के बक्सों को जलाने से निकलने वाला धुंआ वातावरण को काफी प्रभावित करता है। इस विषय को लेकर फिर से मार्केट कमिटी के साथ बैठक की जाएगी। इसके बाद सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट को मुहैया कराए जाने वाली निगम परिसेवाओं को बंद कर दिया जाएगा।


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