Siliguri News: ममता दीदी को लिखे पत्र से भी नहीं बनी बात, अब सिलीगुड़ी के पर्यटन व्यवसायी हैं आक्रोशित
सिलीगुड़ी टूरिज्म इंडस्ट्री की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा था। मेला और शादी आदि की ही तरह कोविड गाइडलाइन के साथ टूरिस्ट स्पॉट को खोलने की गुहार लगाई। व्यापारियों को उम्मीद थी कि दीदी उनकी समस्याओं पर विचार करेंगी। मगर अब निराशा के बाद व्यापारी आक्रोशित हैं।
सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। कोविड की तीसरी लहर और मिनी लॉकडाउन के कारण उत्तर बंगाल के पर्यटन व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। हर ओर से निराशा के बाद जिंदा रहने के लिए व्यापारियों ने अब आंदोलन के साथ ही अदालत का दरवाजा खटखटाने की ठानी है। कोविड और मिनी लॉकडाउन ने पर्यटन उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है। ऐसे में व्यापारियों की मांग है कि जिस तरह कोरोना से बचाव के मानको का पालन करते हुए मेला-विवाह जैसे आयोजनो को अनुमति दी गई है, उसी तरह पर्यटन व्यापार को जिंदा रखने के लिए पर्यटन स्थलों को भी नियमो के तहत खोला जाए। इस संबंध में सिलीगुड़ी टूरिज्म इंडस्ट्री की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा था। व्यापारियों को उम्मीद थी कि दीदी उनकी समस्याओं पर विचार करेंगी। मगर अब निराशा के बाद व्यापारी आंदोलन के मूड में हैं।
होटल खुले मगर पर्यटन स्थलों पर ताला
कोरोना की पहली लहर ने एकाएक पर्यटन व्यापार की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया। दूसरी लहर के बाद व्यारियों मे उम्मीद की आस जगी ही थी कि तीसरी लहर में संक्रमण की रफ्तार पर्यटन जगत पर फिर से हावी हो गया है। तीसरी लहर कि रफ्तार को ध्यान मे रखते हुए वर्ष 2022 के शुरुआत मे ही पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने मिनी लॉकडाउन जारी कर दिया। हालांकि मिनी लॉकडाउन के दूसरे चरण मे सरकार ने मेला और विवाह जैसे भीड़-भाड़ वाले आयोजनो मे अतिरिक्त छूट दिया है। हालांकि पर्यटन से जुड़े होटल, वाहनो की आवाजही पर कोई निषेध नहीं लगाया है, लेकिन पर्यटन स्थलों पर फिर से ताला जड़ दिया है।
बुकिंग कैंसिल करा रहे लोग, पर्यटन पर संकट गहराया
बंगाल सफारी, जंगल, राष्ट्रीय उद्यान, जूओलॉजिकल पार्क व पर्यटन के लिए अन्य रमणीय टूरिस्ट स्पॉट को बंद करने की वजह से फरवरी महीने तक की सारी अग्रिम बुकिंग को पर्यटकों ने रद कर दिया है। बल्कि मार्च और अप्रैल के लिए कराई अग्रिम बुकिंग को पर्यटक रद करने लगे हैं। ऐसे मे पर्यटन व्यापार से जुड़े टूर एंड ट्रैवल्स ऑपरेटर्स, होटल व होम स्टे गाइड आदि की आमदनी पर संकट गहरा गया है। इसलिए पर्यटन व्यापार से जुड़े व्यापारिक संस्थाओ ने जिंदा रहने के लिए अदालत से गुहार लगाने का निर्णय लिया है। आवश्यकता के अनुसार कोरोना विधि-निषेध का पालन करते हुए पर्यटन स्थलों को खोलने के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के मूड में भी हैं।
पर्यटन उद्योग पर सरकार का ध्यान नहीं
हिमालयन हॉस्पिटेलिटी ट्रैवल डेवलपमेंट नेटवर्क संस्था के सचिव सम्राट सान्याल ने बताया कि अब पीठ दीवार से सट गया है। कोई भी सरकार पर्यटन जगत कि ओर ध्यान नहीं दे रही है। वर्ष की शुरुआत में ही राज्य सरकार द्वारा जारी मिनी लॉकडाउन के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखा था। उम्मीद थी कि अगली निर्देशिका मे पर्यटन व्यापारियों के हितो को भी ध्यान मे रखा जाएगा। लेकिन हमारी ओर कोई ध्यान नहीं है। इसलिए अब व्यापार के साथ पर्यटन व्यापारियो के परिवार को जिंदा रखने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रहे हैं। उन्होने आगे बताया कि पर्यटन स्थलों पर फिर से सरकारी ताला लटकाने के बाद से पर्यटक अपनी अग्रिम बुकिंग रद्द करा रहे हैं। जबकि वाहनों के साथ होटल और कार्यालय का रखरखाव, कर्मचारियों का वेतन, बिजली व इंटरनेट बिल और सरकारी टैक्स का भुगतान तो करना ही पड़ रहा है। ऐसे मे जिंदा रहने के लिए अदालत से अपील करने के सिवा हमारे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
टैक्स पर रियायत नहीं
वहीं ईस्टर्न हिमालया ट्रैवल्स एंड टूर ऑपरेटर्स एसोशिएशन के अध्यक्ष देवाशीष मैत्र ने बताया कि पानी सिर के ऊपर पहुँच गया है। विवाह और मेले का आयोजन नियम बनाया जा सकता है, लेकिन पर्यटन व्यापार को बचाने के लिए नियम नहीं बनाया जा रहा है। टैक्स वसूलने मे कोई रियायत नहीं बरती जा रही है, और दूसरी तरफ पर्यटन स्थलों को बंद रखकर व्यापारियों को नुकसान कि खाई मे लगातार धकेला जा रहा है। अदालत से गुहार लगाने के साथ हम आंदोलन करने पर भी विचार कर रहे हैं।