बिहार से शराब के शौकीनों का शहर में आना जारी
- ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ी नशेड़ियों की चहलकदमी -सड़क किनारे की शराब दुकान देर रात तक गुलजार - स
- ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ी नशेड़ियों की चहलकदमी
-सड़क किनारे की शराब दुकान देर रात तक गुलजार
- संयुक्त रूप से कार्रवाई करेगी दोनों राज्यों की पुलिस
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शराब पीने के लिए बिहार के सीमावर्ती इलाके के लोगों का सिलीगुड़ी आना जारी है। इसके अलावा बिहार के शराबी राज्य के अन्य स्थानों पर भी शराब पीने के लिए जा रहे हैं। शराब की तलाश में ऐसे लोगों को दर-दर भटकते देखा जा सकता है। हां इन दिनों उनको एक एक खास परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अंगूरी का ठिकाना राहगीरों से पूछना अब पियक्कड़ों की मजबूरी हो गई है। बंगाल में ज्यादातर बोर्ड बांग्ला भाषा में या फिर अंग्रेजी में लिखे होते हैं। शराब पीने वाले ज्यादातर लोग इसको लेकर असमंजस में रहते हैं। जो लोग शराब पीने के लिए बिहार से शहर में आ रहे हैं,वह ठिकाना बदल-बदल कर शराब पीते हैं। एक दिन शहर में रहकर नशा टूटने के बाद वापस लौटते हैं। उन्हें डर लगा होता है कि अगर वे पीकर लौटे और किसी ने शिकायत की तो पकड़े जाएंगे। बिहार में शराब पीते पकड़े गए तो खैर नहीं है। वहां बड़ा कड़ा कानून है। बिहार से सटे नेपाल में भी बिहार से बड़ी संख्या में शराबी सिर्फ शराब पीने के लिए जाते है। कई बार तो वह लौटते समय पकड़े भी जाते हैं। यहां उल्लेखनीय है कि सड़क हादसे में बेतहाशा वृद्धि के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय व राज्य राजमार्ग से शराब की दुकान पाच सौ मीटर दूर हटाने को कहा है। जबकि इस निर्देश का सही तरीके से पालन नहीं हो पाया। बंगाल मे तो जैसे इस निर्देश की औपचारिकता पूरी की गई है। यहीं कारण है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 31 ए, 31, 55 और 34 में शराब की दुकानें ाच सौ मीटर की परिधि में अभी भी हैं। सड़क का स्वरुप बदल दिया गया है। अब तो छोटी-छोटी दुकानों में शराब धड़ल्ले से बेची जा रही है। आरोप है कि ऐसा आबकारी विभाग और पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है। आबकारी विभाग की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जद में स्थित शराब की इन दुकानों के अनुज्ञप्ति धारकों को नोटिस के जरिये यह बता दिया गया है कि उन्हें अब नए ठिकाने की तलाश करनी होगी। कुछ दुकानों को हटाया भी गया। जबकि उत्तर दिनाजपुर, बालुरघाट, मालदा, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार तथा कूचबिहार जिलों में इन नियमों को तो पालन ही नहीं किया गया। नियम के अनुसार इसमें किसी प्रकार की हीला-हवाली होगी तो अनुज्ञप्ति धारकों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होगा। इन सबके बावजूद शराब के अनुज्ञप्ति धारक ऐसे जगह को ही तवज्जों दे रहे हैं,जहा पियक्कड़ों का पहुंचने में आसानी हो। इस बात का अहसास व्यवसायियों को है कि जरा भी चूक हुई तो नशेड़ियों के जेहन में उनकी दुकान चस्पा नहीं हो पाएगी। शहरी तो दूर अब तो शराब व्यवसायी ग्रामीण क्षेत्रों में भी ठिकाना बना चुके हैं। सड़क किनारे दुकानों में शराब की बिक्री धड़ल्ले से होती है। आश्चर्य की बात है कि शराब पीकर वाहन चलाना कितना खतरनाक है सभी चालकों को पता है उसके बाद भी वे सड़क किनारे वाहन लगाकर शराब का सेवन करने से नहीं चूकते। यही कारण है कि दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है। यातायात पुलिस के आलाधिकारी की मानें तो शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। दार्जिलिंग ग्रामीण डीएसपी अचिंत गुप्ता का कहना है कि बिहार से आकर बंगाल में शराब पीकर हुड़दंग मचाने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। ऐसे तत्वों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में अवैध शराब दुकानों पर छापेमारी की जा रही है। पिछले एक साल में बड़े पैमाने पर शराब की जब्ती की गई है। बिहार पुलिस से भी संपर्क साधा गया है। शराबी तत्वों के खिलाफ दोनों राज्यों की पुलिस संयुक्त कार्रवाई कर रही है।