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MS Dhoni: जानिए, धौनी की वह बात जो फिल्म में नहीं दिखाई गई!

MS Dhoni. धौनी के खेल गुरु केशव बनर्जी ने बताया कि धौनी तब 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। उनकी बोर्ड परीक्षा का समय था। उसी दौरान धौनी की कलाई टूट गई।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 06:48 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 06:48 PM (IST)
MS Dhoni: जानिए, धौनी की वह बात जो फिल्म में नहीं दिखाई गई!
MS Dhoni: जानिए, धौनी की वह बात जो फिल्म में नहीं दिखाई गई!

इरफ़ान-ए-आज़म, सिलीगुड़ी। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धौनी के जीवन पर आधारित फिल्म 'एमएस धोनी - द अनटोल्ड स्टोरी' में यूं तो उनके जीवन के अनेक पहलुओं को दिखाया गया पर एक पहलू नहीं दिखाया गया। वैसे भी दो-तीन घंटे की समय-सीमा की फिल्म में किसी के भी जीवन के हरेक पहलू को दिखा पाना संभव भी नहीं है। मगर, यहां एमएस धौनी के जीवन के जिस पहलू की बात होने जा रही है, वह आज के आधुनिक युग के अभिभावकों और विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपयोगी व मार्गदर्शक साबित हो सकती है। स्कूल लाइफ में धौनी के स्पोर्ट्स टीचर रहे केशव बनर्जी ने इसका खुलासा किया है।

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पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में एक स्कूल के लांचिंग समारोह में शिरकत करने आए धौनी के खेल गुरु केशव बनर्जी ने इस अनछुए पहलू का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि धौनी तब 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। उनकी बोर्ड परीक्षा का समय था। उसी दौरान धौनी की कलाई टूट गई। मैंने उससे पूछा कि अब कैसे होगा? परीक्षा कैसे दोगे? तब, धौनी ने कहा कि सर, बहन से पढ़वाऊंगा और सुन-सुन कर याद करूंगा। फिर परीक्षा दूंगा। मैंने देखा कि धौनी को परीक्षा का ज्यादा तनाव नहीं था। मैंने उसके पिता से पूछा क्या होगा? वह भी बोले, मुझे 100 में 100 नंबर नहीं चाहिए। बस मेरा बच्चा पास हो जाए। यही काफी होगा। खैर, धौनी ने परीक्षा दी और अच्छे नंबरों से पास भी हुए।

इस पहलू के हवाले से धौनी के गुरु केशव बनर्जी ने मुद्दे की बात रेखांकित की कि धौनी क्यों कामयाब हुए? क्योंकि वह तनाव लेकर नहीं चलते थे और न ही उनके पिता ने उन पर कोई अतिरिक्त दबाव डाला। हरेक  अभिभावक और विद्यार्थियों को इस पहलू से जीवन-मंत्र लेना चाहिए।

महेंद्र सिंह धौनी के बचपन के खेल गुरु केशव बनर्जी।

केशव बनर्जी ने यह भी बताया कि धौनी जब पांचवीं कक्षा में थे, तब से वह उसे खेल शिक्षक हैं। वह फुटबाॅल कोच हैं। धौनी को भी फुटबॉल का ही प्रशिक्षण दिया। धौनी स्कूल की फुटबॉल टीम में अच्छे गोलकीपर थे। एक दफा लोकल क्लब के क्रिकेट मैच के लिए अच्छा सा विकेट-कीपर नहीं मिल पा रहा था। तब केशव बनर्जी के मन में धौनी का ख्याल आया। उन्होंने सोचा कि यह लड़का अच्छा गोलकीपर है। जब बड़े से फुटबॉल को रोक ही लेता है तब छोटे से क्रिकेट गेंद को भी पकड़ ही लेगा यानी विकेट कीपिंग भी अच्छी कर ही लोगा। सो, उन्होंने धौनी को मना कर क्रिकेट के मैदान पर उतार ही दिया। उसके बाद तो फिर धौनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। क्रिकेट में धौनी की लगन इतनी हो गई कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए पूरे तीन घंटे हाॅल में बैठे रहने की बाध्यता के चलते उन्हें बेचैनी रही क्योंकि उन पर मैच खेलने की बेताबी छाई हुई थी।

तब, उनके खेल गुरु केशव बनर्जी ने ही प्राचार्य से बोल कर धौनी के लिए विशेष व्यवस्था करवा कर उन्हें तीन घंटे से पहले ही परीक्षा हाॅल से जा पाने की मंजूरी दिलाई। धौनी गए। क्रिकेट मैच खेला। उसके बाद से धौनी क्रिकेट के बेताज बादशाह हो गए। देश ही नहीं दुनिया भर में छा गए। सारी ऊंचाइयों को छुआ। इतनी ऊंचाई पर जाने के बावजूद धौनी आज भी अपने खेल गुरु केशव बनर्जी को भूले नहीं हैं। उन्हें ही अपनी एमएस धौनी क्रिकेट एकेडमी का मेंटर बना रखा है। इसके अलावा भी वह हर कदम पर अपने गुरु के साथ ही रहते हैं। 

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