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स्कूल खुलवाने की मांग ने और पकड़ा जोर

-सड़क पर उतरे विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि -डीआई के मार्फत राज्य के शिक्षा मंत्री को भेजा ज्ञ्‍

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 08:48 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 08:48 PM (IST)
स्कूल खुलवाने की मांग ने और पकड़ा जोर
स्कूल खुलवाने की मांग ने और पकड़ा जोर

-सड़क पर उतरे विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि

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-डीआई के मार्फत राज्य के शिक्षा मंत्री को भेजा ज्ञापन

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: लंबे समय से बंद स्कूल - कॉलेज व विश्वविद्यालयों को खोलने की माग को लेकर अब सड़क पर उतर कर आदोलन किया जा रहा है। गुरूवार को ऑल बंगाल सेव एजुकेशन कमेटी की ओर से सिलीगुड़ी शैक्षणिक जिला डीआई के माध्यम से राज्य के शिक्षामंत्री को एक ज्ञापन भेजा गया। इससे इससे पहले एक पदयात्रा की गई। पदयात्रा करते हुए डीआई कार्यालय के समक्ष कमेटी के बैनर तले सभी एकत्रित हुए थे। यहां धरना देते हुए प्रदर्शन किया गया तथा आखिर में डीआई को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के माध्यम से कहा है कि पश्चिम बंगाल में बंद स्कूल ,कॉलेज व विश्वविद्यालयों को तुरंत खोलने की पहल राज्य सरकार को करनी होगी। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर एक छलावा करने की कोशिश की जा रही है। इस तरह की व्यवस्था से कहीं कुछ होने वाला नहीं है। कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के विद्यालय पिछले 2 सालों से बंद हैं। ऑनलाइन के नाम पर बच्चों को पढ़ाने का जो दावा किया जा रहा है वह खोखला साबित हुआ है। ऑनलाइन के जरिए बच्चे के पल्ले कुछ नहीं पड़ने वाला है। सच्चाई यह है कि राज्य में जिम खुल चुके हैं, सिनेमा हाल व शॉपिंग मॉल चल रहे हैं । बाजार हॉट लग रहे हैं ऐसे में सिर्फ स्कूलों का न खुलना कहीं न कहीं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है, जो बंद होनी चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार को नई शिक्षा नीति 2020 को तुरंत वापस लेना चाहिए। इस शिक्षा नीति में भी शिक्षक व विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर कोई खास पहल नहीं की गई है। इससे शिक्षक व विद्यार्थी का किसी भी रूप में भला नहीं होने वाला है। बताते चलें कि 1 सप्ताह पहले ही पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने स्कूल खोलने के मुद्दे पर मीडिया में अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा था कि प्राथमिक वर्ग के बच्चों के लिए पड़ाय शिक्षालय जैसे अभियान शुरू किए जा रहे हैं। इससे बच्चों को स्कूलों तक आने की जरूरत नहीं होगी बल्कि उनके पाड़ा में जाकर शिक्षक पढ़ाएंगे। 8 फरवरी से इसे राज्य में लागू करने की बात कही गई है, लेकिन शिक्षा मंत्री के इस राय से राज्य के अभिभावक, शिक्षक व विद्यार्थी सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि यह महज एक छलावा सिद्ध होगा। इससे विद्यार्थियों का कुछ भला नहीं होने वाला है। वही इन दिनों विभिन्न संगठनों द्वारा राज्य सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है ताकि जल्द से जल्द स्कूलों को खुलवाया जा सके। हर दिन किसी न किसी संगठन की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री को ज्ञापन भेजकर स्कूलों को खोलने की अपील की जा रही है। इस दिशा में रैली ,धरना व प्रदर्शन किए जा रहे हैं।


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