फीस अदायगी में छूट की अपील पर प्राइवेट स्कूलों की मिश्रित प्रतिक्रिया
-कहा अपील अच्छी है पर व्यावहारिकता के पहलुओं का ख्याल भी जरूरी -दार्जिलिंग जिला तृणमूल क
-कहा, अपील अच्छी है पर व्यावहारिकता के पहलुओं का ख्याल भी जरूरी
-दार्जिलिंग जिला तृणमूल काग्रेस अध्यक्ष रंजन सरकार ने की थी अपील
-यथोचित रूप में अपील पत्र न मिलने से भी स्कूल वालों में भ्रम की स्थिति
-कहा, तमाम कुछ के बावजूद वे बच्चों-अभिभावकों के यथासंभव सहयोग को प्रस्तुत जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी:कोरोना व लॉकडाउन की इस संकटकालीन परिस्थिति में प्राइवेट स्कूल विद्यार्थियों के अभिभावकों से बस फीस न लें। इसके साथ ही स्कूल फीस अदा करने में मोहलत भरी राहत दें। वहीं एडमिशन अवधि भी बढ़ाएं। दार्जिलिंग जिला तृणमूल काग्रेस अध्यक्ष रंजन सरकार की इस अपील पर शहर के प्राइवेट स्कूलों की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन का कहना है कि मानवीय दृष्टिकोण से यह अपील अच्छी है पर वास्तविकता के धरातल पर इसकी व्यावहारिकता के पहलुओं पर भी गौर किया जाना चाहिए। ज्यादातर स्कूलों का कहना है कि हमारे शिक्षकों व कर्मचारियों का परिवार उनके वेतन पर निर्भर है और उनके वेतन के लिए स्कूल प्रबंधन सीधे-सीधे स्कूल फीस अदायगी पर ही निर्भर करता है। इसलिए वास्तविकता के धरातल पर इस व्यावहारिक पहलू को भी मद्देनजर रखा जाना चाहिए। वहीं यथोचित रूप में अपील पत्र न मिलने से भी स्कूल वालों में भ्रम की स्थिति है। ज्यादातर स्कूल वालों ने कहा कि उन्हें अपील का न कोई पत्र मिला है न ईमेल। वे लोग विभिन्न मीडिया के माध्यम से ही यह जान पाए हैं। इसके साथ ही लगभग हर स्कूल ने यही कहा कि जिन कक्षाओं की नामाकन प्रक्त्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, स्वाभाविक है कि उसके लिए अवधि बढ़ाई जाएगी।
सिलीगुड़ी मॉडल हाईस्कूल (गुरुंग नगर) के प्राचार्य डॉ. एस. एस. अग्रवाल ने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण से देखें तो उक्त अपील अच्छी है पर इसमें व्यावहारिकता के पहलुओं को भी मद्देनजर रखा जाना चाहिए। वैसे इस अपील को लेकर हम असमंजस में हैं कि क्या यह राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की नीतियों का भी हिस्सा है क्या? खैर, गौर करने की जरूरत है कि यदि लॉकडाउन पीरियड तक स्कूल वाले स्कूल फीस न लेंगे तो फिर शिक्षक-कर्मचारियों को वेतन कैसे देंगे? इस संकटकालीन परिस्थिति में उनके परिवार वालों का क्या होगा? रही बात बस फीस माफ करने की तो यह भी गौर किया जाना चाहिए कि ज्यादातर स्कूल थर्ड पार्टी वेंडर के माध्यम से ही बस चलवाते हैं। जहा साल भर का करार होता है। बस चले न चले हमें वेंडर को पैसे अदा करने ही पड़ते हैं जिसमें कि बस चालक व सहायक आदि के वेतन व अन्य खर्चे शामिल हैं। इसलिए बस फीस पूरे माफ कर देना या स्कूल फीस अदायगी के लिए लंबी मोहलत दे पाना व्यावहारिकता के धरातल पर संभव नहीं हो पाएगा। इसके बावजूद हम स्कूल वाले अपने बच्चों व उनके अभिभावकों के हरसंभव सहयोग के प्रति तत्परता के साथ प्रस्तुत हैं। जो अभिभावक सक्षम हैं उन्हें ससमय ही फीस अदा करनी चाहिए। यह भी गौर करना चाहिए कि महीने-महीने ही फीस अदा कर देना आसान होगा या दो-तीन महीने की फीस एक बार अदा करना। इन सबके बावजूद हमारा रुख पूरी तरह सहयोगी व लचीला रहेगा। जो अभिभावक असक्षम होंगे उन्हें हर संभव सहयोग के प्रति हम स्कूल वाले तत्पर हैं। इसके साथ ही बच्चों की शिक्षा भी हम प्रभावित नहीं होने देंगे। अभी ऑनलाइन पठन-पाठन की व्यवस्था की जा रही है। लॉकडाउन के बाद अकादमिक कैलेंडर पुनर्नियोजित किया जाएगा। आगामी सारी छुट्टियों में कटौती कर, अभी जो प्रभाव पड़ा है उसकी भरपाई की जाएगी।
डीएवी स्कूल (फूलबाड़ी) की प्राचार्या तापसी पाल बणिक ने कहा कि हम यथासंभव रूप में लचीला रुख अपनाएंगे। वैसे अभी तक किसी अभिभावक ने कोई रिआयत का आवेदन नहीं दिया है। ज्यादातर अभिभावकों ने फीस अदा भी कर दी है। हमारे स्कूल में तो वैसे भी स्कूल फीस की अदायगी की तिथि 31 मार्च से बढ़ा कर 15 अप्रैल कर दी गई है।
सक्षम लोगों को फीस समय पर ही अदा करना चाहिए, वरना, स्कूल के शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन कैसे अदा होंगे? हा, अब जो एकदम से असक्षम होंगे वैसे अभिभावकों पर विचार किया जाएगा। पर, अभी तक ऐसा कोई आवेदन नहीं आया है। रही बात बस फीस माफ करने की तो वह संभव नहीं है। बस सेवा प्रदाता वेंडर को हमें राशि देनी ही पड़ती है। फिर भी, इसमें कहा तक रिआयत दी जा सकती है उस पर हम विचार करेंगे।
जहा तक संभव होगा अभिभावकों का सहयोग किया जाएगा
एचबी विद्यापीठ (खालपाड़ा) की प्राचार्या अर्चना शर्मा ने भी कहा कि इस बाबत हमें अब तक कोई सर्कुलर नहीं मिला है। इसके बावजूद वर्तमान संकटकालीन स्थिति की नजाकत को समझते हुए हम लोग अपने स्तर पर यथासंभव रूप में अपने बच्चों व उनके अभिभावकों के सहयोग के प्रति प्रस्तुत हैं। पूरे दो-तीन महीने तक तो फीस नहीं टाली जा सकती, क्योंकि फिर स्कूल के शिक्षक व कर्मचारियों के वेतन कहा से अदा होंगे। जो सक्षम हैं उन्हें समय पर ही फीस अदा करनी चाहिए। असक्षम लोगों को हर संभव रूप में मोहलत देने का प्रयास करेंगे।
दार्जिलिंग पब्लिक स्कूल के निदेशक विजय कुमार शाह ने कहा कि स्कूल एक परिवार की तरह होता है। इसे परिवार की तरह ही चलाया जाता है। अभी जो संकटकालीन परिस्थिति है उसमें परिवार के हर एक सदस्य को एक दूसरे के प्रति सहयोगी रवैया अपनाना जरूरी है। हम हर प्रकार के सहयोग को प्रस्तुत हैं। स्कूल फीस अदायगी में मोहलत भी यथासंभव दी जाएगी। वहीं, चूंकि अभी बस नहीं चल रही हैं, इस वजह से पूरी फीस नहीं ली जाएगी लेकिन जो खर्चे हैं उसके आधार पर बस फीस ली जाएगी। जो सक्षम हैं उन्हें समय पर ही फीस अदा करनी चाहिए। असक्षम लोगों को यथासंभव मोहलत दी जाएगी। पैसे के लिए, हम अपने बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं होने दे सकते।
टेक्नो इंडिया ग्रुप ऑफ पब्लिक स्कूल की प्राचार्या नंदिता नंदी ने भी कहा कि इस बाबत हमें कोई अपील पत्र नहीं मिला है। इसके बावजूद हमारा स्कूल प्रबंधन आवश्यक निर्णय लेकर जितना मुमकिन हो सकेगा विद्यार्थी-अभिभावक हित में उतना जरूर करेगा।
लिट्ल एंजेल्स स्कूल के निदेशक दीपक न्योपाने ने कहा कि हम लोग हर संभव रूप में तैयार हैं। मगर सिक्के के दोनों पहलू पर गौर करना जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग जिला तृणमूल काग्रेस अध्यक्ष रंजन सरकार ने उपरोक्त अपील की थी। प्राइवेट स्कूलों को यथोचित रूप में अपील करने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कुछेक स्कूल तक हमने स्वयं अपनी बात पहुंचाई। वहीं, मीडिया के माध्यम से भी अन्य स्कूलों तक यह बात पहुंची। मैंने कोई फीस माफ कर देने की बात नहीं की है। बस, स्कूल फीस अदायगी में थोड़ी मोहलत व बस फीस में यथासंभव रियायत की अपील की है। यह वर्तमान संकटकालीन परिस्थिति में मानवीय दृष्टिकोण के तहत मेरी अपील मात्र है। इसे मानना न मानना स्कूलों के ऊपर है। वैसे मुझे खुशी है कि मेरी अपील को ज्यादातर स्कूलों ने सकारात्मक रूप में लिया है व यथासंभव मोहलत व रिआयत देने की बात कही है।
ऐसी बात सरकारी स्तर पर बेहतर होती: अशोक भट्टाचार्य जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग जिला तृणमूल काग्रेस अध्यक्ष रंजन सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों से, स्कूल फीस अदायगी में मोहलत व बस फीस में छूट की अपील पर वरिष्ठ माकपा नेता व सिलीगुड़ी के विधायक एवं मेयर अशोक भट्टाचार्य ने कहा है कि ऐसी कोई बात सरकारी स्तर पर होती तो बेहतर होती। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। किसी एक क्षेत्र विशेष के लिए ही नहीं बल्कि राज्य भर में ऐसी सुविधा सरकार की ओर से सुनिश्चित कराई जानी चाहिए।
कोरोना व लॉकडाउन की इस संकटकालीन घड़ी में इस बाबत हमने खुद राज्य सरकार से अपील भी की है। हमने यहा तक भी कहा है कि वह लोगों को इस संकटकालीन घड़ी में बिजली बिल अदायगी में छूट दे। कम से कम तीन महीने का बिजली बिल माफ किया जाए। जैसे कि सिलीगुड़ी नगर निगम ने लोगों को अगले तीन महीने तक किसी शुल्क अदायगी में विलंब शुल्क व उस पर लगने वाले ब्याज को माफ कर दिया है। मेरी यह भी अपील रहेगी कि कहीं भी किसी अभिभावक की शुल्क अदायगी में अक्षमता के कारण उसके विद्यार्थी की शिक्षा बाधित न हो।
इस बारे में दार्जिलिंग जिला तृणमूल काग्रेस अध्यक्ष रंजन सरकार का कहना है कि मैंने कोई फीस माफ कर देने की बात नहीं कही है। बस, स्कूल फीस अदायगी में थोड़ी मोहलत व बस फीस में यथासंभव रिआयत की अपील की है। यह वर्तमान संकटकालीन परिस्थिति में मानवीय दृष्टिकोण के तहत मेरी अपील मात्र है। इसे मानना न मानना स्कूलों के ऊपर है। वैसे मुझे खुशी है कि मेरी अपील को ज्यादातर स्कूलों ने सकारात्मक रूप में लिया है व यथासंभव मोहलत व रिआयत देने की बात कही है।