कोरोना को बना रहे हथियार, यूं कर रहे प्रचार!
-कई उम्मीदवारों के कोविड-19 पॉजिटिव हो जाने के मद्देनजर प्रचार करने वालों से कन्नी काट
-कई उम्मीदवारों के कोविड-19 पॉजिटिव हो जाने के मद्देनजर प्रचार करने वालों से कन्नी काट रहे मतदाता
-ऐसे में सीधे-सीधे प्रचार न कर सैनिटाइजेशन के बहाने प्रचार करने लगे हैं उम्मीदवार जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : नगर निगम चुनाव जारी है। पहले 22 जनवरी को इसका मतदान होना था व 25 जनवरी को मतगणना होनी थी। मगर, कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने फिलहाल इसे टाल दिया है। अब, 12 फरवरी को मतदान होना है व 15 फरवरी को मतगणना होनी है। इधर, चुनाव प्रचार जोरों पर था। पर, कोरोना ने उसे प्रभावित कर दिया है। कुछ उम्मीदवार व उनके कार्यकर्ता कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) पॉजिटिव पाए गए हैं। सो, अब चुनाव प्रचार जटिल हो गया है। कहीं भी किसी भी दल का कोई उम्मीदवार प्रचार करने जा रहा है तो आम मतदाता दूर से ही कन्नी काट ले रहे हैं। मानो, 'जान है तो जहान है'। मगर, राजनीतिक घाघ भी भला कहां पीछे रहने वाले हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार की नई तरकीब निकाल ली है। क्या तृणमूल कांग्रेस, क्या माकपा, क्या भाजपा या कांग्रेस, हरेक राजनीतिक दल के लोग अब चुनाव प्रचार के इसी नायाब तरीके को अपनाने लगे हैं। शहर के विभिन्न इलाकों में बुधवार को भी विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों ने इसी तरकीब को अपनाते हुए अपना चुनाव प्रचार किया।
वह कि, अब वे अपने इलाकों में चुनाव प्रचार करने नहीं बल्कि सैनिटाइजेशन करने जाते हैं। यूं तो ऊपर से ऊपर से यह समाजसेवा लगता है। पर, लगे हाथ यह चुना प्रचार भी हो जा रहा है। क्योंकि, इस सैनिटाइजेशन के दौरान उम्मीदवार अपने राजनीतिक दल के चिन्ह वाला खादा या मफलर अपने गले में लगाए रखना नहीं भूलते। वहीं, उनके साथ-साथ चलने वाले उनके कार्यकर्ता व समर्थक भी अपने हाथों में दलीय झंडा लिए रहना भी नहीं भूलते हैं। यहां तक कि, जिस वाहन द्वारा सैनिटाइजेशन किया जाता है उस पर भी दलीय झंडा या चुनाव चिन्ह लगा रहता है। इस तरह एक पंथ दो काज कर राजनीतिक दलों के लोग आम के आम गुठली के दाम भी वसूल ले रहे हैं। अब, यह सब उपाय कितना काम आएगा वह तो 15 फरवरी को जनादेश ही बताएगा।