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दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन में नियमों की अनदेखी, नदी की अटकी सांस

दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन में नियमों की अनदेखी एक तो पूजा आयोजकों ने अच्छी तरह से दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया है और दूसरे नियमों को ताक पर रख कर समस्त पूजन सामग्रियों को भी नदी में ही विसर्जित कर दिया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 03:05 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 03:05 PM (IST)
दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन में नियमों की अनदेखी, नदी की अटकी सांस
इस घाट पर दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन इस प्रकार किया गया है कि नदी पट गई है।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। दुर्गा पूजा की मूर्तियों के विसर्जन के मद्देनजर नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने हेतु ग्रीन ट्रिब्यूनल व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों का एक ओर जहां सिलीगुड़ी शहर में अच्छा पालन हो रहा है वहीं दूसरी ओर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी खूब धज्जियां भी उड़ रही हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण डाबग्राम दो नंबर ग्राम पंचायत अंतर्गत साहू नदी के थारू घाट पर नजर आया है। इस घाट पर दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन इस प्रकार किया गया है कि नदी पट गई है।

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इसकी वजह यह है कि एक तो पूजा आयोजकों ने अच्छी तरह से दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया है और दूसरे, नियमों को ताक पर रख कर फूल, बेल पत्र आदि समस्त पूजन सामग्रियों को भी नदी में ही विसर्जित कर दिया है। इसके चलते थारू घाट पर साहू नदी की सांस अटक कर रह गई है। एक ओर जहां नदी का पानी प्रदूषित हो गया है वहीं अब उक्त घाट पर नए विसर्जन के लिए नदी में जगह बची ही नहीं रह गई है। इसे लेकर अन्य विसर्जन करने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

 दुर्गा पूजा की मूर्तियों के विसर्जन के मद्देनजर नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने हेतु ग्रीन ट्रिब्यूनल व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों का एक ओर जहां सिलीगुड़ी शहर में अच्छा पालन हो रहा है वहीं दूसरी ओर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी खूब धज्जियां भी उड़ रही हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण डाबग्राम दो नंबर ग्राम पंचायत अंतर्गत साहू नदी के थारू घाट पर नजर आया है।

इस घाट पर दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन इस प्रकार किया गया है कि नदी पट गई है। इसकी वजह यह है कि एक तो पूजा आयोजकों ने अच्छी तरह से दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया है और दूसरे, नियमों को ताक पर रख कर फूल, बेल पत्र आदि समस्त पूजन सामग्रियों को भी नदी में ही विसर्जित कर दिया है। इसके चलते थारू घाट पर साहू नदी की सांस अटक कर रह गई है। एक ओर जहां नदी का पानी प्रदूषित हो गया है वहीं अब उक्त घाट पर नए विसर्जन के लिए नदी में जगह बची ही नहीं रह गई है। इसे लेकर अन्य विसर्जन करने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

वन विभाग के बैकुंठपुर डिविजन के वन क्षेत्र अंतर्गत साहू नदी का ऐसा बुरा हाल देख कर आम लोगों में भी खासा रोष है। वहीं, स्थानीय ग्राम पंचायत भी काफी चिंतित है। इस बारे में उक्त घाट प्रभारी व स्थानीय पंचायत सदस्य भूपेश राय का कहना है कि दुर्गा मूर्तियों के विसर्जन के नियमों का लोग पालन नहीं कर रहे हैं। इसीलिए, नदी की ऐसी दयनीय दशा हो गई है। आखिर, हम कर भी क्या सकते हैं? इस दिशा में लोगों को खुद भी तो सजग होना चाहिए। उन्होंने बताया कि, अभी चूंकि दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन जारी है, इसीलिए नदी की सफाई नहीं की जा रही है। पहले दिन सोमवार को लगभग 67 मूर्तियों का विसर्जन हुआ।

वहीं, दूसरे दिन मंगलवार को भी लगभग 50 मूर्तियां विसर्जित की गईं। अभी बुधवार व गुरुवार को भी विसर्जन का सिलसिला जारी रहेगा। इन चार दिनों के बाद ही एक बार जेसीबी मशीन लगवा कर नदी की सफाई करवाई जाएगी। इसके लिए चार दिनों का इंतजार क्यों? हर दिन विसर्जन के बाद सफाई क्यों नहीं? इस बारे में उनका जवाब है कि जेसीबी द्वारा नदी की सफाई करवाना कम खर्चीला नहीं होता है। इसमें बहुत रुपये लगते हैं। यह खर्च ग्राम पंचायत के लिए वहन कर पाना आसान नहीं है। इसीलिए मूर्तियों के चारों दिन विसर्जन के बाद ही एक बार में ही सफाई करवाई जाएगी। 


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