रैट टेस्ट के लिए लंबी कतार,कर्मचारी मात्र एक
-काफी देर तक इंतजार के बाद भी नहीं आती है बारी -बगैर जांच कराए ही लौट जाते हैं काफी
-काफी देर तक इंतजार के बाद भी नहीं आती है बारी
-बगैर जांच कराए ही लौट जाते हैं काफी लोग
-सामान्य चिकित्सा कराने में हो रही है परेशानी
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से अधिक मरीज आते हैं रैट टेस्ट के लिए
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से अधिक मरीज बारी नहीं आने पर वापस लौट जाते हैं एक्सक्लूसिव मोहन झा, सिलीगुड़ी : कोरोना महामारी के दूसरे दौर ने पूरे देश में तबाही मचा रखी है। इस बार कोरोना ने पहले दौर से अधिक भयावह स्थिति पैदा कर दिया है। सिलीगुड़ी व आस-पास के इलाकों में भी औसतन तीन सौ नए मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। कोरोना टेस्ट के लिए भी रोजाना लोगों की भीड़ अस्पतालों व जांच केंद्रों पर उमड़ रही है। लेकिन उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में रैपिड एंटीजेन टेस्ट (रैट) के लिए सिर्फ एक कर्मचारी की नियुक्ति की गई है। जिसकी वजह से कोरोना जांच प्रभावित हो रही है। कोरोना टेस्ट के लिए कतारबद्ध सैंकड़ों लोगों को नंबर नहीं आने पर वापस लौटना पड़ रहा है। रैट टेस्ट नहीं हो पाने के कारण मरीजों का सामान्य चिकित्सा कराने में भी परेशानी हो रही है। जानकारी के मुताबिक कोरोना की जांच के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में वायरस रिसर्च डायग्नॉस्टिक लेबोरोटरी (वीआरडीएल) है। बीते वर्ष कोरोना के आगमन के शुरुआती दौर में सिलीगुड़ी समेत पूरे उत्तर बंगाल के लोगों का स्वैब सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजा जाता था। फिर आनन-फानन में उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में वीआरडीएल लैब बनाया गया। कोरोना के दूसरे स्ट्रैन के इस दौर में भी उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के वीआरडीएल लैब में औसतन चौदह सौ लोगों के स्वैब की जांच रोजाना की जा रही है। जिसमें से ग्यारह प्रतिशत से अधिक लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों की जल्द पहचान किए जाने को लेकर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन ने आने वाले सभी रोगियों का पहले रैपिड एंटीजेन टेस्ट (रैट) की व्यवस्था की है। मेडिकल कॉलेज के आपातकाल के मार्फत भर्ती होने वाले मरीज हों या आउटडोर में डॉक्टर से सलाह लेने पहुंचे मरीज, सभी का रैट से गुजरना अनिवार्य है। लेकिन रैट के लिए सिर्फ एक पारा मेडिकल स्टॉफ को तैनात किया गया है। उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इमरजेंसी और आउटडोर मिलाकर रोजाना तीन सौ से अधिक मरीज यहां आते हैं। कोरोना के इस माहौल में सिर्फ रैपिट एंटीजेन टेस्ट के लिए दो सौ से अधिक लोग कतारबद्ध हो रहे हैं। जबकि इन सभी की रैपिड एंटीजेन टेस्ट करने की जिम्मेदारी मात्र एक पारा मेडिकल कर्मचारी पर है। जिसकी वजह से रैट के लिए कतारबद्ध हुए करीब सौ से डेड़ सौ लोग रोजाना वापस लौट रहे हैं। कोरोना के इस दूसरे दौर की स्थिति के मद्देनजर कतारबद्ध होने के बाद टेस्ट कराए बिना लौटने वाले लोगों में स्वाभाविक रुप से उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के प्रति नाराजगी है। क्या कहते हैं ओएसडी डॉ सुशांत राय
कर्मचारी के अभाव की वजह से रैपिड एंटीजेन टेस्ट के लिए कतारबद्ध होने के बाद भी वापस लौटने की बात को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन ने भी स्वीकार किया है। इस संबंध में उत्तर बंगाल में कोरोना वायरस के मामले को देखने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त ओएसडी डॉ. सुशांत कुमार राय ने बताया कि रैट की पूरी जिम्मेदारी एक ही कर्मचारी पर होने की वजह से कार्यभार काफी ज्यादा बढ़ गया है। बल्कि जांच कराने आने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रैपिड एंटीजेन टेस्ट के लिए और कर्मचारियों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। क्या है रैट टेस्ट
रैट टेस्ट को रैपिड एंटीजेन टेस्ट कहा जाता है। इससे कोरोना होने की जानकारी मिल जाती है। यदि इसमें रिपोर्ट पॉजिटिव हो तो कन्फर्म करने के लिए स्वैब टेस्ट के लिए भेजा जाता है। मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा कराने आने के लिए रैट टेस्ट अनिवार्य है। चाहे किसी भी बीमारी की चिकित्सा कराने क्यों ना आएं। रैट टेस्ट नेगेटिव होने के बाद ही मरीज की चिकित्सा की जाएगी।