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भाजपा आ रही बंगाल के सत्ता में,हर जुल्म का होगा हिसाब : राजू बिष्ट

हाईलाइटर .. उत्तर बंगाल दो पार्ट में बंटा है। एक नार्थ ईस्ट की सीमाओं से लगा है जिसमें दाíजलिं

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 02:54 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 02:54 PM (IST)
भाजपा आ रही बंगाल के सत्ता में,हर जुल्म का होगा हिसाब : राजू बिष्ट
भाजपा आ रही बंगाल के सत्ता में,हर जुल्म का होगा हिसाब : राजू बिष्ट

हाईलाइटर ..

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उत्तर बंगाल दो पार्ट में बंटा है। एक नार्थ ईस्ट की सीमाओं से लगा है, जिसमें दाíजलिंग, कलिम्पोंग, अलीपुरद्वार, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी जिले हैं। दूसरे हिस्से में डाउन नार्थ हिस्सा है,जिसमें मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, उत्तर दिनाजपुर और दक्षिण दिनाजपुर जिले आते हैं। यहां चौथे चरण यानि 10 अप्रैल में चुनाव प्रारंभ होने है। यहां के आठ जिलों में कुल आठ लोकसभा और 54 विधानसभा सीटें है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कुल आठ में सात सीटें जीती थीं। बंगाल चुनाव में भाजपा का राजवंशी, गोरखा और आदिवासी मुख्य वोट बैंक है। यहां 45 लाख राजवंशी 15 लालाख गोरखा और 16 लाख से अधिक आदिवासी मतदाता है। जो करीब 45 विधानसभा सीटों पर अपना दबदबा रखते है। यही कारण है कि भाजपा ने बंगाल में 200 पार तो उत्तर बंगाल में 54 में 50 सीटों पर चुनाव जीतने का लक्ष्य रखा है। चुनावी मुद्दों को लेकर दैनिक जागरण की ओर से हमारे मुख्य संवाददाता अशोक झा ने दार्जिलिग के सांसद सह भाजपा के युवा राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट से खुलकर हर बिंदु पर बातचीत की। इसका प्रमुख अंश ..

जागरण : बंगाल में किस आधार पर सत्ता में आने का दावा भाजपा कर रही है?

राजू बिष्ट : देखिए बंगाल विधानसभा का चुनाव भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के साथ नहीं है। 2021 का चुनाव तृणमूल के साथ बंगाल की जनता की है। जनता ने मन बना लिया है लोक सभा में हाफ और विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस को साफ करके दम लेगी।

जागरण : इसका प्रमुख कारण क्या है?

सांसद राजू बिष्ट: यह स्पष्ट है कि आजादी के बाद से पहले 34 वर्षो तक वामपंथी और पिछले 10 वर्षो तक तृणमूल कांग्रेस ने क्षेत्र की जनता के अधिकारों का हनन करने का काम किया है। शांति,सुरक्षा, रोजी-रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा की आवश्यकता होती है परंतु यह इतने वर्षो में ध्वस्त हो गयी है। यहां आजादी के बाद जमीन पर बसे लोगों को शुद्ध पीने का पानी और जमीन का अधिकार तक नहीं मिला। नॉर्थ बंगाल के बंद चाय बागानों में भूख और कुपोषण के कारण 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई, तो उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार करने से बिल्कुल इनकार कर दिया। मुझे लगता है कि वह चाय बागानों की जमीनी हकीकत से पूरी तरह अनजान हैं। बंगाल की स्थित जंगल राज जैसी हो गयी है। यही कारण है कि लोग सरकार को उखाड़ फेकने को आतुर है। बंगाल के पूर्वजों ने कभी यह सोचा भी होगा कि इस जमीन पर इतनी निम्न स्तर की राजनीति भी होगी? पहले वामपंथियों ने और अब टीएमसी सरकार ने जो स्थिति पैदा कर दी है वह न केवल विचारनीय है बल्कि निंदनीय है। राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा कि पिछले चुनावों से बेहतर प्रदर्शन करेगी बल्कि प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी। आज पूरे देश में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विकास और सुशासन के लिए पसंद किया जाता है, बंगाल के लोग भी अब वही विकास और सुशासन चाहते हैं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, बंगाल के लोग हिंसा, हत्या, भाई-भतीजावाद, कट-मनी और भ्रष्टाचार की राजनीति से थक चुके हैं। बंगाल के लोग विकास के पूर्ण अभाव से जूझ रहे हैं, वे पुलिस राज और टीएमसी गुंडों की तानाशाही से परेशान हैं। यही कारण है कि टीएमसी दिन-प्रतिदिन और अधिक हिंसक होती जा रही है क्योंकि वे समझ रहे हैं कि उन्होंने आम लोगों का विश्वास और भरोसा खो दिया है, इसलिए वे दिन पर दिन हताश हो रहे हैं।

जागरण : अगर मान भी ले भाजपा सत्ता में आती है तो क्या आप मुख्यमंत्री के दौर में है?

सांसद राजू बिष्ट : नहीं. नहीं, मैं तो इस दौड़ में नहीं हूं लेकिन हां बंगाल में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार है। बंगाल का मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह होगा। जो बंगाल से आपराधिक जंगलराज का खात्मा करेगा।

जागरण : आप कई सभाओं में कह चुके है कि कम्युनिस्ट से ज्यादा क्रुर और खतरनाक है तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी। आखिर कैसे? जबकि ममता बनर्जी का आरोप है कि भाजपा बंगाल का अशांत कर रही है।

सांसद राजू बिष्ट : तृणमूल कांग्रेस नेत्री ममता बनर्जी द्वारा भाजपा पर बंगाल को अशात करने के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सीपीआईएम की शून्य विकास और अधिकतम हिंसा की राजनीति से तंग आकर, बंगाल के लोगों ने 2011 में बदलाव के लिए मतदान किया था। ममता बनर्जी को को चुना था। सत्ता में आने के बाद, ममता बनर्जी सीपीआईएम से अधिक क्रूर और तानाशाह हो गई है। टीएमसी पूरे बंगाल में व्यापक हिंसा में लिप्त है, पिछले कुछ वर्षो में उन्होंने 150 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की है, 2017 में उन्होंने दार्जीलिंग हिल्स में 11 से ज्यादा निर्दोष गोरखाओं की हत्या कर दी, आज बंगाल में हिंसा की हद है कि टीएमसी सरकार ने 2018 के बाद से राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ अपराध के आकड़ों को साझा करने से भी इनकार कर दिया है। 2018 के एनसीआरबी के आकड़ों के अनुसार, बंगाल में देश में हत्या के मामलों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है, सबसे ज्यादा हिंसक गतिविधियों की शिकायतें, सबसे अधिक हिंसक अपराध वाले राज्यों में बंगाल का तीसरा स्थान है। इसको लेकर वह क्या कहेगी।

जागरण : जुल्मों से पीड़ितों का कैसे इंसाफ दिलाएंगे

सांसद राजू बिष्ट : दो मई के बाद सत्ता में भाजपा के आते ही पहले कैबिनेट में एसआइटी गठित की जाएगी। इसमें सभी जुल्मों का हिसाब होगा। पहाड़ हो या तराई डुवार्स सभी जुल्मों का निष्पक्ष हिसाब होकर रहेगा।

जागरण : पहाड़ में आपके पुराने साथी बिमल गुरुंग ममता को सत्ता में लाने की बात करते है ऐसे में पहाड़ पर भाजपा की जीत कैसे होगी?

सांसद राजू बिष्ट : पहाड़ के लोग अब सीधे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से जुड़े हुए है। अब वहां के लोगों को कोई बहका कर वोट नहीं ले सकता। गृहमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहाड़ का दौरा करने वाले है। प्रधानमंत्री स्वयं पहाड़ के लोगों को संबोधित करेंगे। पहाड़ के सभी तीनों सीटों पर भाजपा की विजयी होगी। डबल इंजन की सरकार आएगी और समस्या का निदान होगा।

जागरण : ममता बनर्जी तो मां माटी मानुष की बात करती है उसका मायने भी भाजपा बदल दे रहा है क्यों?

सांसद राजू बिष्ट : राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के नाते मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा। आकड़े है कि सबसे अधिक लोग बंगाल से लापता है। 64,832 महिलाएं बंगाल से गायब है। महिलाओं के खिलाफ कनविक्शन रेट लगभग 23 प्रतिशत है मगर पश्चिम बंगाल में सिर्फ 5.3 प्रतिश्त ही है। यहा आईएसआई नेटवर्क के कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है,जमात-ए-मुजाहिदीन, अलकायदा के आतंकवादियों को बंगाल में सुरक्षित पनाह मिली है। टीएमसी नेताओं ने अपने घरों में बम बनाने के चक्कर में खुद को उड़ा लिया है।

जागरण : भाजपा जयश्री राम का नारा लगाकर बंगाल में धु्रवीकरण करने की कोशिश कर रही है क्या यह सच है?

सांसद राजू बिष्ट : बिष्ट ने कहा कि बंगाल में ध्रुवीकरण तो हो रहा है लेकिन सम्प्रदाय, जाति या धर्म के आधार पर नहीं किन्तु मोदी जी का सुशासन बनाम ममता जी का कुशासन के आधार पर। सब जानते हैं कि ममताजी 30 प्रतिशत फिक्स डिपोजिट की राजनीति कर रही हैं। जबकि भाजपा 100 प्रतिशत की राजनीति करती आई है। हमारा मूल मंत्र ही है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है। ममताजी के शासन में हमारी सेना के शहीद परिवार के सदस्यों को 2 लाख और 5 लाख का मुआवजा दिया गया है, जबकि मक्का, मस्जिद दुर्घटना में मरने वालों के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। अब बताइए, ध्रुवीकरण की राजनीति में कौन लिप्त है? रोहिंग्या और बाग्लादेशी घुसपैठियों को राज्य में स्वतंत्र रूप से बसने की अनुमति है, सिर्फ इसलिए कि वे एक विशेष धर्म से संबंधित हैं। क्या यह ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है? बंगाल में, सभी इमामों को कई वर्षो से 2500 रुपये का मासिक वजीफा मिलता है, लेकिन केवल कुछ मुट्ठी भर हिंदू पुजारियों को पिछले कुछ महीनों से प्रति माह 1000 रुपये दिए जाते हैं। क्या यह टीएमसी द्वारा ध्रुवीकरण का प्रयास नहीं है? ममता जी ने युवाओं को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने जय श्रीराम का जाप किया था, वह ध्रुवीकरण था या नहीं? ममता बनर्जी को जयश्री राम से परेशानी नहीं होनी चाहिए। बंगाल में रामराज्य आ रहा है तो जय श्रीराम तो गूंजने वाला है।

जागरण : गृहमंत्री ने बंगाल के थ्री टी के बदले थ्री वी का नारा दिया है आखिर वह क्या है?

सांसद राजू बिष्ट : देखिए गृहमंत्री अमित शाह ने डुवार्स की जनसभा में मैं मौजूद था उन्होंने कहा था कि दीदी खुद नंदीग्राम से चुनाव हार रही हैं। ममता दीदी के तीन टी तानाशाही, तोलाबजी और तुष्टिकरण के मॉडल की जानकारी दी थी। कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके बदले थ्री वी यानि विकास विश्वास और व्यापार के आधार पर सरकार चलाते है।

जागरण : चाय श्रमिकों के लिए भाजपा के पास क्या प्लान है?

सांसद राजू बिष्ट : उन्होंने कहा कि चाय बागान राज्य सरकार के दायरे में आते हैं। चाय बागानों से राजस्व निचोड़ लेने के बावजूद बंगाल सरकार ने इंडस्ट्री के लिए कुछ नहीं किया। तृणमूल काग्रेस की सरकार में चाय बागान और श्रमिक दोनों पीड़ित हैं। राज्य सरकार ने 2011 से 2019 के बीच कौन सी योजना चाय बगानों की बेहतरी के लिए लाच की। पिछले दस वर्षो से, सरकार ने चाय बागान के श्रमिकों की दुर्दशा की तरफ से आखें बंद कर ली हैं। चुनाव आने पर वर्ष 2020 में सरकार ने जो चाय सुंदरी स्कीम लाच की, वह भी कागजों पर सिमट कर रह गयी।

उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल के सासदों के सामूहिक प्रयासों के कारण ही केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों की शुरूआत की। 1950 के पुराने और शोषणकारी श्रम अधिनियम को समाप्त कर दिया। यह उत्तर बंगाल के सासदों की वजह से चार लेबर कोड बने हैं। जो चाय बागान, सिन्कोना बागान श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करेंगे।

जागरण : आरोप है कि भाजपा सीएए एनआरसी के नाम पर लोगों को डरा रही है?

संासद राजू बिष्ट : ऐसा नहीं है। ममता बनर्जी चाहती है कि बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठिया राज करें यह नहीं होने वाला। जो बांग्लादेश पाकिस्तान समेत अन्य देशों से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार बनकर यहां आए है उन्हें सीएए के तहत जरुर स्वीकार किया जाएगा। एनआरसी तो असम के लिए कोर्ट के निर्देश पर बंगाल में यह दुष्प्रचार मात्र है।


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