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चमत्कार की आस में ये गरीब परिवार अपने बेटे को दिनभर मिट्टी खोद कर गड्ढे में रख देता हैं

जिस उम्र में बच्चों का चलना-फिरना शुरू हो जाता है उस उम्र से ही नेहाल शारीरिक रूप से कमजोर है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 03:49 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 03:49 PM (IST)
चमत्कार की आस में ये गरीब परिवार अपने बेटे को दिनभर मिट्टी खोद कर गड्ढे में रख देता हैं
चमत्कार की आस में ये गरीब परिवार अपने बेटे को दिनभर मिट्टी खोद कर गड्ढे में रख देता हैं

संवाद सूत्र, नागराकाटा। जिस उम्र में बच्चों का चलना-फिरना शुरू हो जाता है, उस उम्र से ही नेहाल शारीरिक रूप से कमजोर है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाता है। अभी भी वह हाथ व घुटने के बल किसी तरह एक जगह से दूसरे जगह जाता है। वह ठीक से बात भी नहीं कर पाता है।

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नेहाल लुकसान चाय बागान के गुआबाड़ी श्रमिक मोहल्ले का पांच वर्षीय बच्चा है। उसकी पैर की क्षमता बढ़ाने के लिए उसके गरीब माता-पिता उसे दिनभर मिट्टी खोद कर गड्ढे में रख देते हैं। दिनभर नेहाल रोता रहता है। और उसके माता-पिता मजदूरी की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं। रो-रो कर जब नेहाल का बुरा हाल हो जाता है तो उसकी बड़ी बहन नेहा अपने भाई को थोड़ी देर के लिए गड्ढे से बाहर निकालती है। लेकिन दोबारा उसे उस गड्ढे में घुसा दिया जाता है।

बेटे के इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ आदिवासी दंपति का मानना है कि अगर नेहाल को मिट्टी खोद कर गड्ढे में रख दिया जाए तो वह उससे बाहर निकलने की कोशिश करेगा। और ऐसा करने पर हो सकता है कि उसकी पैर में ताकत आ जाए और वह चलने-फिरने लगे।

गरीब आदिवासी दंपति का नाम भरत उरांव व रेणुका उरांव है। लुकसान चाय बागान बंद होने के कारण भरत व रेणुका दोनों ही बेरोजगार हो गए हैं। भरत की सास बेजेनिया उरांव परिवार में एकमात्र कमाने वाली महिला है। इस गरीब आदिवासी दंपति की नौ वर्षीय बेटी नेहा ने आज तक स्कूल नहीं देखा। आदिवासी दंपति का कहना है कि जहां एक वक्त की रोटी जुगाड़ करना मुश्किल हो जाता है, वहां बेटे को बड़ा डॉक्टर दिखना व उसका इलाज का खर्च उठाने के बारे में सोचना भी संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई उनकी मदद के लिए आगे आए तो अच्छा होगा। लुकसान ग्राम पंचायत के प्रधान मनोज मुंडा से मदद के लिए उनलोगों ने एकबार मुलाकात की थी। मीडिया के सामने पंचायत प्रधान ने जल्द कदम उठाने का आश्वासन दिया हैं।

जलपाईगुड़ी शिशु सुरक्षा अधिकारी सुब्रत भद्र ने कहा कि नेहाल व नेहा के बारे में सूचना मिलते ही सोमवार को शिशु सुरक्षा कमेटी के ब्लॉक व ग्राम स्तरीय प्रतिनिधि आदिवासी दंपती के घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद नेहाल को किस तरह की मदद की जरूरत होगी, उस दिशा में आवश्यक कदम उठाया जाएगा। स्वयंसेवी संस्था सीनी के जलपाईगुड़ी जिलाक के संयोजक दिग्विजय नाहा ने कहा कि और पहले सहयोग के लिए पहल करने से अच्छा होता। नागराकाटा के ब्लॉक स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अभिषेक मंडल ने कहा कि सरकारी योजना के माध्यम से चिकित्सा का बंदोबस्त किया जाएगा। नागराकाटा के शिशु विकास परियोजना अधिकारी कृष्णकांत दास ने कहा कि मामले की जांच कर आवश्यक कदम उठाया जाएगा। 


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