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कमाई लाखों में और महीने का टैक्स मात्र डेढ़ रुपये प्रति वर्ग फीट

-हर साल 40 से 50 लाख रुपये की हो रही है आय -सरकारी राजस्व से कुछ लोग भर रहे हैं अपनी

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 10:00 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 06:22 AM (IST)
कमाई लाखों में और महीने का टैक्स मात्र डेढ़ रुपये प्रति वर्ग फीट
कमाई लाखों में और महीने का टैक्स मात्र डेढ़ रुपये प्रति वर्ग फीट

-हर साल 40 से 50 लाख रुपये की हो रही है आय

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-सरकारी राजस्व से कुछ लोग भर रहे हैं अपनी जेब

-एसजेडीए और एनबीडीडी को नहीं मिलता एक भी पैसा

-डिस्प्ले टैक्स के रूप में चंद रुपये पाकर ही निगम खुश सौदर्यीकरण के नाम पर धोखा-2

-सरकारी संपत्ति के दुरूपयोग का जीता-जागता उदाहरण भक्ति नगर थाने के सामने का पार्क

-सौंदर्यीकरण के लिए नहीं हो रहा है कोई काम,बस लाखों के वारे न्यारे

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी के सेवक रोड स्थित भक्ति नगर थाना के सामने पार्क जहां उपेक्षा का शिकार है, वहीं सरकारी संपत्ति के दुरूपयोग का जीता-जागता उदाहरण भी है। एक तरफ जहां राज्य सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन अपना आय बढ़ाने पर जोर देती है तो दूसरी ओर इस पार्क से हर साल लाखों रुपये की आय को कोई और ले जा रहा है। संपत्ति कर, जल कर, ट्रेड लाइसेंस शुल्क व म्यूटेशन शुल्क बढ़ाकर सरकार आम जनता पर टैक्स का बोझ लादने का प्रयास करती है। निगम व अथवा सरकार द्वारा बढ़ाए जाने वाले टैक्स के खिलाफ विपक्षी दल सत्ता पक्ष को घेरने का कोई कोर-कसर भी नहीं छोड़ते। हालांकि जहां सरकारी संपत्ति से आय अर्जित की जा सकती है, उस जगह पर पक्ष-विपक्ष का ध्यान ही नहीं जाता है।

यह पार्क जिस जगह पर स्थित इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां से चार तरफ की सड़क निकली हुई है। सिलीगुड़ी नगर निगम के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पार्क का जितना एरिया है, तथा उसमें विज्ञापन के जितने होर्डिग लगाए गए हैं, उससे हर साल करीब 40 से 50 लाख रुपये की आय होती होगी। बताया गया कि वह पार्क नगर निगम के क्षेत्र में तो है, लेकिन जमीन निगम के अधीन नहीं है। जबकि उसमें लगाए गए विज्ञापन के डिसप्ले का मामूली टैक्स ही निगम को मिलता है। निगम के आधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार उस क्षेत्र के विज्ञापन डिसप्ले का टैक्स नगर निगम को दो सौ रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से सलाना मिलता है। जबकि इस पार्क में होर्डिग और डिसप्ले विज्ञापन का अवैध धंधा जा चला रहा है,वह सलाना 40 से 50 लाख रुपये कमा रहा है।

निगम के अधिकारिक सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जिस सरकारी जमीन से इतने रुपये की कमाई होती है, उसका दस प्रतिशत भी ना तो नगर निगम,सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण या उत्तर बंगाल विकास विकास विभाग को मिलता है। ऐसा लगता है नगर निगम को मात्र दो सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रतिवर्ष के हिसाब से डिसप्ले टैक्स लेकर ही खुश है। यू कहें तो 1.53 पैसे प्रति वर्ग फीट प्रति महीने के हिसाब से नगर निगम को टैक्स हासिल होता है। इस तरह से लाखों रुपये पार्क के सौंदर्यीकरण के नाम पर लिया जा रहा है। जबकि उस पार्क के सौंदर्यीकरण की क्या स्थिति है, उसे देखने के बाद ही पता चलता है।

सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार उक्त पार्क के रख-रखाव का जिम्मा एक निजी कंपनी को दिया गया है। यही कंपनी अपने स्तर पार्क का सौंदर्यीकरण करती है तथा वाणिज्यिक विज्ञापन के रूप में उस पार्क का उपयोग करती है।

सिलीगुड़ी नगर निगम सूत्रों के अनुसार अगर यह पार्क सिलीगुड़ी नगर निगम को सौंप दिया जाए तो आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगम को साल में आय एक नया स्रोत प्राप्त होता।

भक्ति नगर थाना के सामने जिस आइलैंड की बात सामने आ रही है, वह हाइवे के बगल में है तथा उसे उत्तर बंगाल विकास विभाग ने तैयार किया है। जबकि पार्क को सौंदर्यीकरण से पूरी तरह से उपेक्षित करके रखा गया है। पार्क में लाइट नहीं जलती हैं। पार्क से विज्ञापन के रूप में अर्जित होने वाला राजस्व कहां जाता है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। यह पार्क वार्ड 42 में है। इस वार्ड के पार्षद होने के बाद भी पता नहीं है कि पार्क का उपयोग कौन कर रहा है। उस पार्क को वाणिज्यिक उद्देश्य से उपयोग करने की अनुमति किसने दी तथा इससे अर्जित होने वाला राजस्व कहां जाता है। अपने स्तर से इस मामले की जांच कराएंगे।

दिलीप सिंह, चेयरमैन, सिलीगुड़ी नगर निगम


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