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रफ्तार के जुनून से सड़कों पर पसर जाता है खून

- हाइवे पर दुर्घटना में कम उम्र लोगों की जाती है जान -एनएच 10 पर तीन साल में 150 से ज्यादा लोग

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 06:38 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 06:38 PM (IST)
रफ्तार के जुनून से सड़कों पर पसर जाता है खून
रफ्तार के जुनून से सड़कों पर पसर जाता है खून

- हाइवे पर दुर्घटना में कम उम्र लोगों की जाती है जान

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-एनएच 10 पर तीन साल में 150 से ज्यादा लोगों की मौत

-नियमित निगरानी और सिगनल नहीं होने से परेशानी ज्यादा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : एक हादसा पूरे परिवार को उजाड़ देता है। कामकाजी व्यक्ति की मौत हो गई तो पूरा परिवार सड़क पर आ जाता है। ऐसे तमाम मामले सामने हैं, लेकिन फिर भी लोग सुधरने को तैयार नहीं हैं। यह बात भी सच है कि बीमारियों और रंजिश से ज्यादा लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं से हो रही है। देश में सड़क दुर्घटनाओं की वार्षिक संख्या औसतन पांच लाख है और मौतें डेढ़ लाख के आसपास हैं। उसी प्रकार पूर्वोत्तर के इस प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी में भी सड़क दुर्घटनाओं में मौत की संख्या कम नहीं है। अंतरराष्ट्रीय व अंतरराज्यीय सीमाओं से घिरे होने के कारण यहां दूसरे देश व राज्यों से आने वाले वाहनों पर नियंत्रण करना यातायात प्रशासन के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। सुरक्षित यातायात नियमों के अनुसार धीरे चलें, सुरक्षित पहुंचें, यातायात के नियमों का पालन करें, इस तरह की चेतावनी लिखे साइन बोर्ड को सड़कों पर पढ़ा जा सकता हैं,लेकिन बाइक राइडिंग के शौकीन नवयुवकों और स्कूलों के छात्रों के लिए यह कोई महत्व नहीं रखता। युवा पीढ़ी को तेज रफ्तार में रोमाच नजर आता है। उसके खतरे नहीं दिखते। लिहाजा इन्हें समझाने सिखाने की जरूरत है, लेकिन प्रशासन और परिवार के लोग इन पर ध्यान नहीं देते। सड़कों पर ज्यादातर युवा व स्कूलों के छात्र यातायात के नियमों को हवा में उड़ा रहे हैं। ये हमउम्र तीन-तीन लोग बाइक पर सवार होकर हवा में बातें करते हैं। इनमें अधिकाश के पास न तो हेलमेट होता है और न ड्राइविंग लाइसेंस, न मास्क और न बाइक के अन्य कागजात। हालाकि शासन की ओर से यातायात की दृष्टि से बाइक के लिए गति सीमा 40 किमी प्रति घटा की रफ्तार के साथ अनाधिकृत जगहों पर रेसिंग गैर कानूनी तथा ओवर स्पीड व खतरनाक ड्राइविंग मामले में मोटर व्हीकल एक्ट की धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। परंतु संबंधित विभाग की उदासीनता के चलते इन नियम कानून का कितना पालन हो रहा है यह जग जाहिर है। युवक बगैर ट्रेनिंग व नियमों को ताक पर रख अभिभावकों से मिली फर्राटा बाइकों को सड़कों पर तेज गति से दौड़ा रहे हैं। उन्हें इस बात का अहसास नहीं है कि क्षणिक रोमाच उनकी और दूसरों की जिंदगी के लिए खतरा पैदा कर देता है।

दूसरी ओर दुर्घटनाओं का एक सबसे बड़ा कारण सिक्किम के लाइफ लाइन पर आए दिन भूस्खलन और एनएच 10 पर वाहनों का तेज रफ्तार से दौड़ना है। हर दूसरे दिन किसी न किसी की सड़क हादसे में मौत होती है। सबसे ज्यादा ट्रक और दो पहिया वाहनों के पहियों से लोग काल के गाल में समाते हैं। पिछले तीन साल में 150 से ज्यादा लोगों की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। जबकि एक हजार लोग घायल हो चुके हैं। इन सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था दुरूस्त न रहना भी हादसों का कारण बन रहा है। शहरी क्षेत्र में तो सिग्नल की व्यवस्था है भी परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में यह व्यवस्था नहीं हो पाई है। चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस को खड़ा कर खानापूर्ति जरूर की जाती है। एनएच 55, 31 और 10 पर वाहनों की नियमित जाच न होना, सिगनल का न होना, वाहनों की तेज रफ्तार पर अंकुश न लगना, नौसिखिये के हाथ वाहनों की कमान देने से हादसे हो रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार जिले में सबसे ज्यादा ओवरलोड ट्रकों और बाइक से दुर्घटनाएं होती हैं। दुर्घटना प्वाइंट चिन्हित होने के बावजूद तेज रफ्तार से चलना, आबादी वाले स्थानों पर गति धीमी न करना प्रमुख कारण है। वहीं बिना लाइसेंस चलने वाले बाइक चालकों के कारण हादसे हो रहे हैं। उनको यातायात नियमों की जानकारी न होना भी हादसे की वजह बनती है।

शहर और आसपास 18 ब्लैक स्पॉट

शहर तथा आसपास के इलाकों में 18 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए हैं,जहां सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं। वहा किन कारणों से दुर्घटना होती हैं, उसे भी इंगित किया है। आठ माइल, दार्जिलिंग मोड़, डागापुर सुकना के मध्य, विश्वविद्यालय के निकट, नौकाघाट, चंपासारी, मिलनमोड़, महानंदा ब्रिज के निकट, फांसीदेवा, सेवक का हाथीसूर,आसीघर, एनजेपी बाइपास, आमबाड़ी मोड़, चांदमुनी मंदिर के निकट, पालपाड़ा, मेडिकल कॉलेज और बीएसएफ मोड़ आदि प्रमुख ब्लैक स्पॉट है। इन सभी जगहों पर वाहनों की तेज गति, लापरवाही से वाहन चलाना, नशा में गाड़ी चलाना, रांग साइड से वाहनों को ले जाना,वाहनों को ओवरटेक करने के दौरान दुर्घटनाएं होती है। मृतकों में 15 से 34 साल की उम्र की संख्या सर्वाधिक होती है।

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पूरे क्षेत्र में सिर्फ एक ही जिले की गाड़ियां नहीं आती-जाती। विभिन्न जिलो के साथ कई राज्यों और पड़ोसी देशों की गाड़ियों की भी सिलीगुड़ी शहर में नियमित आवाजाही होती है। यातायात नियमों का पालन अनिवार्य है। पुलिस इस पर लगातार निगरानी रख रही है। यातायात नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

- अनुपम सिंह, एडीसीपी,यातायात --------------------

इन बातों का रखना होगा ध्यान

-एम्बुलेंस को सबसे पहले रास्ता दें,यातायात नियमों के अनुसार वाहन चलाएं

-गलत तरीके से या निषेध जगह पर वाहन पाìकग ना करें

-वाहन चलाते समय अन्य वाहन के रफ्तार में प्रतियोगिता ना करें

-अकारण हॉर्न न बजाएं, आगे वालों को भी जल्दी जाने की जल्दी रहती है

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-गाड़ियां चलाते समय उचित सिगनल का का प्रयोग करें और स्पीड कम रखें -सीट बेल्ट, हेलमेट का उपयोग जरुर करें, ये सभी चीजे ंहमारी सुरक्षित यात्रा के लिए ही बने होते है

-कहीं भी यात्रा करने से पहले ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन के जरुरी कागजात अपने साथ जरुर रखें


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