सोरायसिस त्वचा संबंधित गंभीर बीमारी: डॉ भोपालीका
-कहा इसको लेकर जागरूकता जरूरी यह जटिल चर्मरोग की बीमारी अशोक झा सिलीगुड़ी कोरो
-कहा इसको लेकर जागरूकता जरूरी, यह जटिल चर्मरोग की बीमारी
अशोक झा, सिलीगुड़ी:
कोरोना महामारी और बदलते मौसम में तेजी से हिल्स व समतल में सोरायसिस फैल रहा है। यह त्वचा से संबंधित, क्रॉनिक और ऑटोइम्यून बीमारी है। यह देखते हुए कि यह बीमारी कितनी जटिल है। हकीकत यह है कि बीमारी काफी ज्यादा फैली हुई है और अक्सर यह बीमारी या तो डायग्नोज ही नहीं हो पाती या फिर गलत तरीके से डायग्नोज होती है। इसके बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है। इस संबंध में सिलीगुड़ी के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण भोपालीका ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि सोरायसिस बीमारी के बारे में अधिक चर्चा करने की जरूरत क्यों है।
सोरायसिस को गंभीरता से लेना है जरूरी
डॉ भोपालीका का कहना है कि सोरायसिस को डायग्नोज करने में बहुत अधिक प्रयास या जाच की जरूरत नहीं होती, लेकिन लोग त्वचा की बीमारियों को हल्के में लेते हैं।
ज्यादातर लोग इसे केवल एक छोटी फुंसी या चकत्ता मान लेते हैं और सोचते हैं कि इसका उनकी सेहत पर खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। सोरायसिस की वजह से कौन-कौन सी बीमारिया हो सकती हैं इसका अनुमान लगाना मुश्किल है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप इस बीमारी को गंभीरता से लें। यदि किसी युवा मरीज को सोरायसिस हो जाता है और वह इसकी अनदेखा कर देता है तो इसका न सिर्फ व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव पड़ता है बल्कि व्यकि अक्षम भी हो सकता है।
बीमारी को फैलने से कैसे रोकें
डॉ भोपालिका का कहना है कि भले ही आप सोरायसिस के जेनेटिक कारणों को नियंत्रित न कर पाएं लेकिन पर्यावरण से जुड़े उन कारकों का प्रबंधन कर सकते हैं। यह बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन बीमारी को अधिक तेजी से फैलता है। मोटापा और वजन प्रबंधन की कमी भी इसका कारण है। सíदयों के मौसम में अपनी त्वचा की देखभाल करने से सोरायसिस रोगियों को बीमारी के बेहतर प्रबंधन में मदद मिल सकती है। तनाव भी सोरायसिस को बढ़ाता है और हमने विशेष रूप से कोरोना महामारी के दौरान ऐसे कई मामले देखे हैं। लिहाजा खुद को तनावमुक्त रखें, योग और मेडिटेशन करें और डेली रूटीन को फॉलो करें।
क्या किया जाएं जिससे रहें नियंत्रण में
डाक्टर भोपालिका के अनुसार यह लंबे समय तक रहने वाली क्रॉनिक बीमारी है, लेकिन अब कॉíटकोस्टेरॉयड, विटामिन डी व्युत्पन्न क्रीम, इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स आदि उपचार के विकल्प मौजूद हैं। हालाकि, यह महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर मरीजों के साथ इलाज के इन विकल्पों पर चर्चा करें। इलाज को पेशट के हिसाब से कस्टमाइज करें ताकि वे इलाज के कोर्स को अपना सकें। फॉलो-अप के लिए डॉक्टर के पास जाना भी जरूरी है क्योंकि सभी दवाइया सोरायसिस के लिए लंबे समय तक प्रभावी नहीं होतीं।
इस बीमारी का बीमा में भी जगह नहीं है
डाक्टर भोपालिका के अनुसार सोरायसिस के इलाज में जो सबसे बड़ी समस्या मैंने देखी है वो ये है कि बीमारी का सबसे अच्छा उपचार बहुत महंगा है और इंश्योरेंस द्वारा कवर भी नहीं किया जाता है। मुझे लगता है कि बीमा योजनाओं और रीइम्बर्समेंट जैसी चीजों में सोरायसिस को भी शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण है। सोरायसिस कोई कॉस्मेटिक बीमारी नहीं है, जो पिंपल्स की तरह अपने आप गायब हो जाएगी।
स्किन की बाहरी सतह तक ही सीमित नहीं होता
सोरायसिस में आमतौर पर त्वचा पर पपड़ीदार पैच बन जाते हैं जो बहुत तेजी से बढ़ते हैं और फिर जल्दी ही उतर भी जाते हैं, बावजूद इसके सोरायसिस कोई साधारण स्किन डिजीज नहीं है। हृदय से संबंधित काíडयोवस्कुलर सिस्टम मेंमेटाबॉलिक सिंड्रोम भी हो सकता है जिसमें संबंधित रोगों की एक पूरी श्रृंखला शामिल है।
डायग्नोसिस, गलत डायग्नोसिस और डायग्नोसिस में देरी
चूंकि सोरायसिस के लक्षण त्वचा रोग से संबंधित अन्य बीमारियों से मिलते जुलते होते हैं, इसलिए जब तक आप किसी विशेषज्ञ के पास नहीं जाते तब तक बीमारी आसानी से डायग्नोज नहीं हो पाती। जिस व्यक्ति को सोरायसिस है तो शुरुआती डायग्नोसिस और उचित उपचार आवश्यक है। अक्सर यह देखते हैं कि अगर सोरायसिस के मरीज अपनी बीमारी की पहचान करने या उसे नियंत्रित करने में असमर्थ रहते हैं, तो लंबे समय में उन्हें मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग होने का भी खतरा बढ़ जाता है। सोरायसिस के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह व्यक्ति के आत्मविश्वास को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है।