राशन को लेकर माकपा का शुरु होगा आंदोलन
-गरीबों को राहत नहीं बल्कि वंचित हो रहे परिवार जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी खाद्य सुरक्षा
-गरीबों को राहत नहीं बल्कि वंचित हो रहे परिवार
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : खाद्य सुरक्षा योजना के तहत जिले में गरीबों को दिया जाने वाला राशन पात्रता सूची के फेर में उलझ कर रह गया है। शहरी के साथ ग्रामीण इलाकों में भी इस योजना को पूरी तरह लागू नहीं किया गया। योजना लागू होने के दो वर्ष से भी अधिक समय गुजर गया परंतु अब तक पात्र गृहस्थियों की सूची दुरुस्त नहीं हो पाई है। जो सूची पूरा होने के बाद भी डिजीटल कार्ड बने भी है उसमें 50 प्रतिशत लोगों के नाम ही नहीं है। इसको लेकर माकपा की ओर से लगातार आंदोलन किया गया था। सरकार के कान पर इसको लेकर जूं तक नहीं रेंगा। अब इसको लेकर प्रत्येक वार्ड में आंदोलन होगा। यह कहना है माकपा नेता दिलीप सिंह का। उन्होंने कहा कि आंदोलन के बाद दोबारा फार्म दिए गये है परंतु वह कब डिजीटल कार्ड में तब्दील होगा राम ही जाने। प्रारंभ में ऑनलाइन आवेदन के बाद भी सूची में नाम शामिल न होने को लेकर ग्रामीणों कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकार ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के हर गरीब व जरूरतमंद को को सस्ती राशन योजना का लाभ पहुंचाने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम को मंजूरी दी है। योजना के तहत सरकार ने गेहूं व चावल खाद्यान्न को बेहद सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने का फैसला किया है। कोटे की दुकान से गेहूं दो रूपये प्रति किलोग्राम तो चावल तीन रूपये प्रति किलोग्राम की दर से दिया जा रहा है। नगर निगम व ग्रामीण क्षेत्र में जहा कुल आबादी के लगभग 80 फीसदी आबादी को इसके तहत पात्र सूची में शामिल किया जाना है। वहीं शहरी क्षेत्र की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा के दायरे में लाया जाना है। आधी अधूरी तैयारियों के साथ लागू हुई खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन वितरण का फैसला तो ले लिया गया लेकिन राशन देने के लिए पात्रों का निर्धारण पूरा नहीं हो सका है। बड़ी संख्या में लोग जहा पात्रता सूची में नाम शामिल न होने के कारण राशन के हक से वंचित हो रहे हैं वहीं इनकी जगह पर अपात्र लोगों का नाम शामिल करके सरकार की मंशा पर पानी भी फेरा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी के इशारे पर ही यह सब कुचक्र रचा जा रहा है। इंटक नेता आलोक चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा जो राशन अप्रवासी मजदूर के नाम पर सिलीगुड़ी महकमा में आया उसका भी बंदरबांट हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित चाय बगान के श्रमिक हो रहे है। इसको लेकर श्रमिकों के साथ बातचीत किया जाएगा। उसके बाद इसे आंदोलन का रुप दिया जाएगा।