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विमल गुरुंग के साथ गुप्त डील क्या,बताएं ममता: अशोक भट्टाचार्य

आर-पार -राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग -गोरखालैंड के नाम पर बंगाल विभाजन की

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 07:38 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 07:38 PM (IST)
विमल गुरुंग के साथ गुप्त डील क्या,बताएं ममता: अशोक भट्टाचार्य
विमल गुरुंग के साथ गुप्त डील क्या,बताएं ममता: अशोक भट्टाचार्य

आर-पार

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-राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग

-गोरखालैंड के नाम पर बंगाल विभाजन की कोशिश जागरण संवाददाता ,सिलीगुड़ी: गोरखा जनमुक्ति मोर्चा सुप्रीमो विमल गुरुंग और ममता बनर्जी के बीच गोरखालैंड के मुद्दे पर क्या डील हुई है इसका खुलासा करना होगा। जरूरत पड़े तो इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र मुख्यमंत्री बुलाएं। यह बताया जाए कि क्या बंगाल विभाजन के लिए गुरुंग के साथ मुख्यमंत्री या उनकी टीम ने कोई समझौता तो नहीं किया है। यह कहना है माकपा के वरिष्ठ नेता तथा स्थानीय विधायक अशोक नारायण भट्टाचार्य का। गुरुवार को वे माकपा कार्यालय में पार्टी नेता जीवेश सरकार के साथ पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। भट्टाचार्य ने कहा कि जिस प्रकार राष्ट्रद्रोह समेत दर्जनों मामले के आरोपी भूमिगत गोरखा नेता विमल गुरुंग बेखौफ होकर कोलकाता आते हैं और खुलेआम पत्रकार वार्ता कर मुख्यमंत्री को समर्थन देने की बात करते हैं, यह अपने आप में आश्चर्य है। विमल गुरुंग यह कहते नहीं थकते कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जो कहती है वह करती हैं। जबकि भाजपा और केंद्र सरकार ने गोरखालैंड मुद्दे पर उनको ठगने का काम किया है। गुरुंग ने पत्रकार वार्ता में यह भी कहा कि गोरखालैंड की मांग से वह पीछे नहीं हटे हैं। इससे स्पष्ट है कि अलग राज्य गोरखालैंड के मुद्दे पर ही ममता बनर्जी और विमल गुरुंग के बीच गुप्त समझौता हो चुका है ।

अशोक भट्टाचार्य ने आगे कहा कि 2008 में जंगल महल दाíजलिंग हिल्स, कूचबिहार, तराई और समतल में लगातार आदोलन के नाम पर हिंसा फैलाई गई। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ तत्कालीन विपक्ष की नेता रहीं ममता बनर्जी का हाथ था। क्योंकि वर्ष 2008 में दाíजलिंग हिल्स को लेकर विधानसभा मैं सर्वसम्मति से बिल पारित कर केंद्र को भेजा गया था। बाद में उसे मंजूरी के लिए संसदीय समिति के पास भेजा गया। जिसकी चेयरपर्सन सुषमा स्वराज और बतौर सदस्य ममता बनर्जी थी। संसदीय समिति की एक भी बैठक में ममता बनर्जी ने भाग नहीं लिया। उसके बाद ही ममता बनर्जी के साथ विमल गुरुंग की मीटिंग हुई थी और विमल गुरुंग ने नया संगठन तैयार कर अलग राज्य गोरखालैंड का आदोलन शुरू किया। उस समय भी विमल गुरुंग ने कहा था कि ममता बनर्जी को राज्य की मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं।

जीटीए संचालन में दखल से बिगड़ी स्थिति

उन्होंने कहा सत्ता परिवर्तन के साथ ही आनन-फानन में जीटीए का गठन किया गया। उसके बाद जीटीए के संचालन में ममता बनर्जी अपना समानातर सत्ता चलाने लगीं। गतिरोध बढ़ा और भाषा के नाम पर 107 दिनों तक हिंसा का दौर जारी रहा। इस दौरान एक सब इंस्पेक्टर तथा 1 दर्जन से अधिक आदोलनकारी मारे गए। आज आज विधानसभा चुनाव से पूर्व भूमिगत नेता का फिर से महिमामंडन किया जा रहा है। लक्ष्य एक ही है। तीसरी बार ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बनना है।

प्रशांत किशोर ने बनाई रणनीति

भट्टाचार्य ने कहा जो सूचनाएं मुझे मिल रही हैं उसके अनुसार तृणमूल काग्रेस के राजनीतिक रणनीतिकार प्रशात किशोर और अभिषेक बनर्जी के उत्तर बंगाल दौरे में विमल गुरुंग की वापसी का ताना-बाना बुना गया। अशोक भट्टाचार्य ने फिर दोहराया कि इस मामले को लेकर वे जनता के बीच जाएंगे और बताएंगे कि अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कैसे ममता सरकार बंगाल विभाजन को आमादा है।


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