कोरोना वायरस के कैरेक्टर पर रिसर्च करने की तैयारी
-माइक्रो बायोलॉजी विभाग ने राज्य सरकार को भेजा प्रस्ताव -चीन के वुहान में मिले वायरस के साथ क
-माइक्रो बायोलॉजी विभाग ने राज्य सरकार को भेजा प्रस्ताव
-चीन के वुहान में मिले वायरस के साथ की जाएगी समीक्षा
-वीआरडीएल लैब ने भी टेस्ट में बनाया नया रिकार्ड जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के माइक्रो बायोलॉजी विभाग ने कोरोनो वायरस के कैरेक्टर और इसमें आ रहे बदलाव पर शोध की योजना बनाई है। इस बीच एनबीएमसीएच में वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (वीआरडीएल) ने कोविड -19 से संबंधित 50,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया है, जो राज्य में सबसे अधिक है। एनबीएमसीएच के वीआरडीएल में इस वर्ष 29 मार्च के बाद से कोरोना वायरस की सैंपल की जाच शुरू हुई है। अबतक लैब ने 55 हजार से ज्यादा नमूनों का परीक्षण किया है।
माइक्रो बायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो डॉ अरुणव सरकार ने कहा कि जूनियर डॉक्टर इस तरह के रिसर्च कार्य करने के लिए काफी उत्सुक हैं। इसे देखते हुए शोध कार्य के लिए एक प्रस्ताव राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के पास भेजने की योजना बनाई जा रही है। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो पॉजिटिव नमूनों के प्रकृति का अध्ययन होगा। हमने वायरस के कैरेक्टर के अंतर को समझने के लिए मोलकुलर मशीन की माग की है। यह कोरोना वायरस के प्रकार को समझने के लिए अनुसंधान का संचालन करेगा। डॉ सरकार ने कहा कि वायरस के चरित्र को समझने के लिए कई परीक्षण की आवश्यकता होती है। यह एक लंबी प्रक्रिया है। राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस के साथ मेल खाते हुए प्रारंभिक वाइरस के उप प्रकृति का अध्ययन करना होता है। रिसर्च में हमें पता चल सकेगा कि चीन के वुहान में कोरोना वायरस प्रकोप की उत्पत्ति के साथ इसके उपभेदों का मिलान कितना है। दूसरी ओर एनबीएमसीएच वीआरडीएल ने कारोना वायरस के सैंपल जाच में नाइसेड और इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (आईपीजीएमई एंड आर) और एसएसकेएम अस्पताल के लैब को पीछे छोड़ दिया है। वर्तमान में वीआरडीएल में प्रतिदिन लगभग 750-800 सैंपल प्राप्त हो रहे हैं जो पहले 1400-1500 के आसपास थे। लेबोरेट्री की परीक्षण क्षमता 2000 है। एनबीएमसीएच के वीआरडीएल में एक दिन में अधिकतम 21 सौ सैंपल की जाच की गई है।