भारत- चीन तनाव का असर उत्तर बंगाल मोबाइल मार्केट पर
- ग्राहक के साथ कारोबारी भी उठा रहे कदम कहा पहले देश का सम्मान नही चाहिए चीन का सामान जागर
- ग्राहक के साथ कारोबारी भी उठा रहे कदम , कहा पहले देश का सम्मान नही चाहिए चीन का सामान
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी:
चीन को भारतीय बाजार ने सबक सिखाना शुरू कर दिया है। चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का असर मोबाइल से लेकर टैब और लैपटॉप पर भी नजर आ रहा है। मोबाइल मार्केट में 70 फीसदी चीन का हिस्सा होने के बावजूद लोग अब उसे ठुकरा कर महंगा विकल्प अपना रहे हैं। लैपटॉप और टैब में स्थिति बेहतर है, जहा ग्राहकों के पास चाइनीज उत्पादों के मुकाबले मार्केट में अच्छे ब्राड उपलब्ध हैं। इस संबंध में उत्तर व दक्षिण बंगाल में मल्टी ब्राड मोबाइल चेन फोनो स्टोर के संस्थापक प्रवेश मोर ने जागरण से बात करते हुए बताया कि ग्राहक अचानक मोबाइल लेने के किये में इन इंडिया पर जोड़ दे रहे है। ग्राहकों की माग को देखते हुए अलीपुरद्वार, मयनागुड़ी, कुचविहार, वीरपाड़ा,फालाकाटा,वारोबिसा, कुचविहार तथा सिलीगुड़ी के सभी स्टोर पर चीन के मोबाइल को बाय-बाय कर दिया है। कोरोना काल में ग्राहक की सुरक्षा को लेकर जिस प्रकार हमारे सभी स्टोर सजग है उसी प्रकार देश के प्रति भी। पहले हो देश का सम्मान नही चाहिए चीन का सामान। सरकार से एक ही माग है कि चीन को मात देने कर लिए इंडियन मोबाइल का मूल्य भी बाजार ज्यादा से ज्यादा दाम पर नियंत्रण रखा जाय। मोर का कहना है कि अब लोग भारतीय ब्राड भी तलाश रहे हैं, लेकिन विकल्प न होने के कारण वे दूसरे उत्पाद ले रहे हैं। एसेसरीज में स्थिति कुछ बदली है। दिल्ली के करीब कई भारतीय कंपनिया अब एसेसरीज बनाने का काम करने लगी हैं। इसलिए इनकी डिमाड ज्यादा हो रही है।
चीन का सामान लेने से कर रहे इन्कार: पूर्वोत्तर के उत्तर बंगाल में मोबाइल और उसकी एसेसरीज का बाजार करोड़ रुपये का है। इसमे विधानमार्केट का चटाल भी प्रमुख है। इन दिनों चाइनीज आइटम के खिलाफ लोगों का गुस्सा दिखने लगा है। अब बाजार में आने वाले लोग मोबाइल खरीदने से पहले यह जरूर पूछ रहे हैं कि यह कहा का बना है। चीन निíमत सामान खरीदने से लोग परहेज करने लगे हैं। एमआइ, रीयलमी का क्रेज तेजी से बढ़ा है। 35 फीसदी लोग अब सीधे चीन का सामान लेने से इन्कार कर रहे हैं। महंगे कोरियाई या अन्य देशों के मोबाइल खरीद रहे हैं। सैमसंग, नोकिया, मोटोरोला आदि की माग बढ़ी है। ग्राहक महंगा की परवाह नही कर रहे है वे चाहते है उनका समान स्वदेशी हो।