विश्व में पर्यटन क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध मिरिक झील बनी चुनौती, आए दिन मर रही मछलियां Darjeeling News
विश्व में पर्यटन क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध मिरिक झील बनी चुनौती समय रहते हल नहीं निकला तो झील का समाप्त हो जाएगा अस्तित्व।
मिरिक, संवादसूत्र। विश्व में पर्यटन क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध मिरिक झील को बचाना अब सबके लिए चुनौती का विषय बन गया है। 3.5 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले मिरिक झील में आए दिन सबसे प्रमुख आकर्षक के रूप में पहाड़ की मछलियां एवं अन्य प्रजाति की मछलियां लगातार मर रही है। जिससे में मरी हुई मछलियां झील में सफेद चादर की तरह दिख रही है।
पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही इस घटना को लेकर प्रशासन व संबंधित पूरी तरह से मौन है। झील के इंद्रेणी पुल के उस पार अर्थात डैम की ओर फैले झील में मरी ही हुई मछलियां दिख रही है। इससे यह संकेत देखा जा रहा है कि झील में किस प्रकार से गंदगी फैल रही है।
देश के पर्यटन गंतव्य के रुप में सुमार दार्जिलिंग पहाड़ का एकमात्र झील की नगरी मिरिक में सहमेंदु झील की हालत इतनी बदहाल हो गई है कि झील में रह रहे मछलियां के अलावा यहां पाए जाने वाले प्राकृतिक चीजों का अस्तित्व संकट में पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। गत पांच छह वर्ष पहले झील का गुणस्तर को मापा गया था उस समय वैज्ञानिकों ने झील का पानी 99 फीसदी प्रदूषित होने का दावा किया था, जो आज सौ फीसदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है। इसका जीता जागता उदाहरण झील में मरी हुई मछलियां है।
एक समय था, जब झील के पानी को पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। झील का पानी इतना स्वच्छ था कि लोग इस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करते थे। पानी देखने में नीले रंग का लगता था। लेकिन यह सब 70 के दशक में हुआ करता था। लेकिन 90 के दशक के बाद झील की दुर्दशा शुरू हुई। जैसे जैसे मिरिक क्षेत्र में लोगों की आवादी बढ़ती गई, वैसे वैसे झील में कुड़ा-कचड़ा पहुंचना शुरू हुआ। यह सिलसिला आज भी चल रहा है। जिससे रोकने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
झील के आसपास वाहनों के धोने, गाड़ी का तेल, मैल और कचड़े झील में प्रवेश हो रहे है। इसके अलावा नगरपालिका क्षेत्र के नागरिकों के घरों से निकलने वाली गंदगी भी इस झील में जाती है। यहां तक गंदगी से लेकर प्लास्टिक व स्थानीय दुकानदारों इस झील को गंदगी फेंकने के लिए इस्तेमाल करते है। जिसे लेकर झील के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए है।
झील पर निर्भर पर्यटन व्यवसायी भी काफी चिन्तित है, क्योंकि अगर झील नहीं रहेगा, तो झील का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। कारण झील के आसपास होटल, छोटे दुकानें से निकलने वाले कचड़े व गंदगी झील में रहने वाले जीवों के लिए जहर बन गया है। एक समय अमृत की तरह माने झील का यह पानी अब जहर बन जाएगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। लेकिन यह सच है कि झील आखिरकार पूरी तरह से प्रदूषण का शिकार हो चुका है। स्थानीय नागरिकों के अलावा अन्य इसे जुड़े लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे है। जिससे यहां का रोजगार चलता है वे ही इसको को लेकर चिन्तित नहीं है।
समुद्र सतह से पांच हजार आठ सौ फीट में स्थित इस झील में सैलानी नौका बिहार करने के लिए आते है। जहां पर काफी संख्या में सैलानियों की भीड़ लगती है। यहां पर आकर नौका बिहार न होने से वे मायूस हो जाते है। इस दिन सुबह घुमने आए छोटे से लेकर बड़े लोगों ने जो दृश्य देखा, वह काफी दुखदायी था। कारण झील में छोटी मछलियां के अलावा बड़ी मछलियां मरी हुई पड़ी थी। इस बारे में संबंधित विभाग के अधिकारी सुरज प्रधान ने इसे गंभीरता से लेने की बात कहीं। वही नगरपालिका अध्यक्ष से संपर्क नहीं हो पाया।
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