मई दिवस :मजदूरों के लिए खास है यह दिन
-शनिवार को श्रमिकों को एकजुट करने का होगा आह्वान -रक्तदान शिविर के साथ कोरोना ब
-शनिवार को श्रमिकों को एकजुट करने का होगा आह्वान
-रक्तदान शिविर के साथ कोरोना बचाव के लिए जनजागरुता
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : मई दिवस यानि मजदूरों का दिन। यह दिन मजदूरों और उससे जुड़े ट्रेड यूनियन के लिए काफी खास है। कहते है कि मजदूरों का किसी भी देश के विकास एवं उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान होता है। मजदूरों के बल पर ही बंगाल में 34 वर्षो तक वामपंथ ने सत्ता संभाला था। अब एक बार फिर उनसे दूर जा रहे मजदूरों को अपने पास बुलाने के लिए मई दिवस को उनके पास होंगे। इस मौके पर रक्तदान शिविर के साथ कोरोना के खिलाफ जनजागरुकता अभियान चलाया जाएगा। सीटू नेता समन पाठक का कहना है कि मजदूरों के बिना किसी भी देश में औद्योगिक ढाचे के निर्माण की कल्पना करना संभव नहीं है। पना श्रम बेचकर न्यूनतम मजदूरी प्राप्त करते हैं। रोज कुआ खोदकर प्यास शात करना ही उनका नित्य क्रम है। यही कारण है कि कड़ी मेहनत करने वाले मजदूर कभी नींद की गोली नहीं लेते बल्कि हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में संघर्ष उनका नारा होता है।
मजदूरों की लड़ाई लड़ने वाले भाकपा माले के केंद्रीय समिति सदस्य अभिजीत मजुमदार का कहना है कि मजदूरों का यह संघर्ष हमें 1886 को अमेरिका में देखने को मिलता है। जहा के मजदूरों ने संगठित होकर काम की अधिकतम समय सीमा आठ घटे तय करने की माग की थी। अपनी यह माग मनवाने के लिए उन्होंने हड़ताल का सहारा लिया और इसी हड़ताल के दौरान एक अज्ञात शख्स ने शिकागो के हेय मार्केट में बम फोड़ दिया। पुलिस ने गलतफहमी में मजदूरों पर गोलिया चला दी जिसके कारण सात मजदूरों की जान चली गई। इस रक्तरंजित घटना के बाद मजदूरों की माग मान ली गई और उनके काम की समय सीमा अधिकतम आठ घटे तय कर दी गई। तभी से हर साल 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे मई दिवस भी कहा जाता है। इन सब के साथ यह दिवस मजदूरों की निष्ठा, लगन, परिश्रम व कर्तव्यपरायणता को दर्शाता है। भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1923 को चेन्नई में हुई थी। मशीनी क्राति के बाद भी मजदूरों की महत्ता कम नहीं हुई है। अधिकतम आठ घटे की समय सीमा का कानूनी प्रावधान लागू है। आज भी ग्रामीण ्रहो शहरी क्षेत्र आज भी 12 घटे तक काम करवाया जाना देश में मजदूर संबंधित कानून का हनन है और 12 घटे काम के बदले केवल 8 घटे की मजदूरी देना मजदूरों के साथ खुल्लम खुल्ला अन्याय है।