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Bengal Assembly Elections 2021: भाजपा व टीएमसी को सांप्रदायिक पार्टी कह रही माकपा और कांग्रेस

West Bengal Assembly Elections 202 राज्य के मंत्री और नेता -भाजपा और कांग्रेस का अपना-अपना दावा सट्टा बचाने और पाने की जुगत में इन नेताओं का कहना है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ चुनाव जीतने को आमादा है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 01:00 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 01:00 PM (IST)
Bengal Assembly Elections 2021: भाजपा व टीएमसी को सांप्रदायिक पार्टी कह रही माकपा और कांग्रेस
पूर्व मंत्री व सिलीगुड़ी के विधायक अशोक भट्टाचार्य कर रहे जनसंपर्क अभियान

 सिलीगुड़ी, अशोक झा। विधानसभा चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। चुनाव को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और बीजेपी आमने-सामने है। टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को अपनी कुर्सी बचाने की चुनौती है, तो बीजेपी बंगाल में पहली बार कमल खिलाने का लक्ष्य रखा है। इस बीच ही कांग्रेस और लेफ्ट ने चुनाव में गठबंधन का एलान होने के साथ ही गठबंधन भारतीय जनता पार्टी और टीएमसी से दो-दो हाथ करने को तैयार है। राज्य के पूर्व शहरी विकास मंत्री और वर्तमान में सिलीगुड़ी के विधायक अशोक नारायण भट्टाचार्य और विधायक शंकर मालाकार का कहना है कि बीजेपी और टीएमसी के मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार है। दोनों नेता का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ चुनाव जीतने को आमादा है। 

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 सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने की क्षमता मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के पास है इसलिए आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी मिल कर सकता बनाएगी। मुस्लिम और हिंदू वोटों में कांग्रेस और लेफ्ट की भी पैठ है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में ये वोट उनके साथ कितना जाएगा। इसे लेकर पार्टी के अंदर ही शंका है।

 केंद्र और राज्य के दोनों दल लगातार जनता के साथ सिर्फ धोखाधड़ी कर रहे हैं। झूठ के बुनियाद पर ऐसे महल ज्यादा दिन तक कायम नहीं रह सकता। वोट की लूट रोकने के लिए जनता से एक झूठ होने का आह्वान शुरु किया गया है जो चुनाव के दिन तक जारी रहेगा।

 प्रबल हुई त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना 

 विधानसभा चुनाव में अब मुकाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है। मुकाबला टीएमसी, बीजेपी और लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन के बीच होना लगभग तय माना जा रहा है। साल 2011 में ममता बनर्जी ने लेफ्ट को सत्ताच्युत किया था और 34 वर्षों के लेफ्ट के लाल किले को ध्वस्त कर बंगाल में ‘मां, माटी, मानुष’ की सरकार बनाई थी। उस समय कांग्रेस और टीएमसी साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। उनका मुकाबला लेफ्ट के साथ था। लेकिन 2011 के चुनाव के बाद लेफ्ट और कांग्रेस लगातार हाशिये पर हैं। बंगाल में बीजेपी का उत्थान हो रहा है। लेकिन 2011 के चुनाव के बाद लेफ्ट और कांग्रेस लगातार हाशिये पर हैं और बंगाल में बीजेपी का उत्थान हो रहा है।

  भारतीय जनता पार्टी ने याद दिलाया 2016 का गठबंधन

 मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने 2016 गठबंधन की याद नेताओं को दिलाई है। उन्होंने कहा किऐसा नहीं है कि प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस और लेफ्ट के बीच गठबंधन हो रहा है। साल 2011 के विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी से तकरार के बाद कांग्रेस ने टीएमसी से अपना रास्ता अलग कर लिया था और लेफ्ट-कांग्रेस साल 2016 के चुनाव में एक साथ आये थे। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में कुल 294 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस 211 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और ममता बनर्जी के नेतृत्व में बंगाल में फिर से टीएमसी की सरकार बनी थी। कांग्रेस को 44 सीटें, लेफ्ट को 32 सीटें और बीजेपी को 3 सीटों पर ही जीत मिली थी। टीएमसी को तकरीबन 45 फीसद मत मिले। लेफ्ट को 25 फीसद, कांग्रेस को 12 फीसद और बीजेपी को 10 फीसद मत मिले थे। 

 2019 में बदल गया पूरा राजनीतिक समीकरण

वेस्ट का कहना है कि लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सारे समीकरण धरे के धरे रह गए। लोकसभा की कुल 42 सीटों में से तृणमूल ने 22 सीटें जीतीं, बीजेपी ने 18 और कांग्रेस 2 पर सिमट गई और सबसे आश्चर्य की बात है कि कभी बंगाल पर राज करने वाली लेफ्ट पार्टियों का खाता भी नहीं खुल पाया। टीएमसी को 43 प्रतिशत, बीजेपी का 40 प्रतिशत वोट शेयर मिले, जबकि कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी का वोट शेयर 10 फीसद से नीचे आ गया। यदि विधानसभा की सीटों के हिसाब से देखें तो बीजेपी 126 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। मत प्रतिशत में भी मात्र तीन फीसद का अंतर रहा था।यही वजह है कि इस बार बीजेपी बंगाल में बहुमत से सरकार बनाने का दावा कर रही है। भाजपा के अंदरूनी सर्वे में उत्तर बंगाल से 50 और दक्षिण बंगाल से 160 के आसपास सीटें मिलने की उम्मीद है।

  तृणमूल कांग्रेस को सत्ता बचाने के सता रही चिंता

 लोकसभा चुनाव के परिणाम भले ही बीजेपी के पक्ष में रहे हों। इसके बीच चिंता जितनी टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को अपनी कुर्सी बचाने की है, उतनी ही चिंता बीजेपी को फिर से लोकसभा के प्रदर्शन को दोहराने की है। दोनों ही पार्टी लगातार अपने तरकश में रखें नित नए वनों का प्रयोग जनता को रिझाने और लुभाने में लगी हुई है। भारतीय जनता पार्टी  कोशिश कर रही है कि किस तरह से राज्य में टीएमसी विरोधी भावना को हवा दे रही है। लगातार भ्रष्टाचार, कुशासन और कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठा रही है।

   केंद्र सरकार की नीतियों को जनता के समक्ष रख रही है। तृणमूल कांग्रेस के उत्तर बंगाल पर्यवेक्षक और राज्य के खेल युवा निर्माण मंत्री अरूप विश्वास का कहना है कि  ममता बनर्जी भी केंद्र सरकार की नीतियों को निशाना बना रही हैं। राज्य में अपने विकास को एजेंडा के रूप में पेश कर रही है। जनता इस प्रकार ममता सरकार के कार्यों के प्रति लगातार उन्हें सराहना कर रही है उससे तय है कि ममता बनर्जी 2021 विधानसभा चुनाव में अपनी हैट्रिक लगाएगी।दोनों ही पार्टियां हिंदुओं और मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है। देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी और बंगाल की जनता अपना फैसला देती है। चुनाव नतीजे कुछ भी हो पर यह तय है कि 2021 का चुनाव बंगाल के लिए काफी दिलचस्प होगा।


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