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पहली बार सीमांचल का कोई मंत्री नहीं होगा ममता मंत्रीमंडल में

-पहले माकपा तो बाद में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के मंत्री रहें मंत्री मंडल में जागरण सं

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 07:39 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 07:39 PM (IST)
पहली बार सीमांचल का कोई मंत्री नहीं होगा ममता मंत्रीमंडल में
पहली बार सीमांचल का कोई मंत्री नहीं होगा ममता मंत्रीमंडल में

-पहले माकपा तो बाद में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के मंत्री रहें मंत्री मंडल में

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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : बंगाल की नवगठित 17 वीं विधानसभा में पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी सीमांचल से कोई चिर परिचित विधायकों के चेहरे नजर नहीं आएंगे। इस क्षेत्र से मंत्री को उत्तर बंगाल का मुख्य मंत्री के रुप में देखते हुए उनको मान सम्मान मिलता रहा है। यह पहली बार है कि यहां के सभी छह विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा किया है जो भाजपा अब विधानसभा में सिर्फ विपक्ष की भुमिका में है। अपने लंबे राजनीतिक अनुभव से संसदीय राजनीति को समृद्ध करने वाले नेताओं की फिर से सदन में वापसी की संभावना चुनाव में हार के साथ सभी संभावना खत्म हो गयी। लंबे समय तक सदन की गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले सिलीगुड़ी के पूर्व विधायक सह माकपा के वरिष्ठ नेता अशोक नारायण भट्टाचार्य तकरीबन पाच दशक से भी अधिक समय से राजनीति में सक्रिय रहे थे। सदन में कई राजनीतिक उत्थान व पतन के साक्षी बनें। क्योंकि वाममोर्चा के शासनकाल में वे 20 वर्षो तक शहरी विकास मंत्री रहे थे। बरसों बाद ऐसा होगा जब सदन में यह अनुभवी नेता नजर नहीं आएंगे।

सिलीगुड़ी सीट से चुनाव हार चुके माकपा के दिग्गज नेता अशोक भट्टाचार्य की गिनती जेंटलमैन राजनीतिज्ञों में होती रही है। उत्तर बंगाल में वाम राजनीति के स्तंभ माने जाने वाले भट्टाचार्य ने 1991 में पहला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। 1996 से 2011 तक वे लगातार चुनाव जीतते रहे। उन्होंने राज्य सरकार में शहरी विकास मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी भी निभाई। पिछले 20 सालों में एकमात्र 2011 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जबकि 2016 में उन्होंने फिर से जीत हासिल की। 2021 के चुनाव में सातवीं बार प्रतिद्वंदिता कर रहे अशोक भट्टाचार्य को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा है। इसी प्रकार तृणमूल कांग्रेस की बात करें तो 2011 में सत्ता में आने के बाद डाबग्राम फूलबाड़ी से विजयी रहे गौतम देव को उत्तर बंगाल उन्नयन मंत्रालय की बागडोर थमाया गया था। 2016 में उन्हें राज्य का पर्यटन मंत्री बनाया गया। इस बार वे भाजपा नेत्री शिखा चटर्जी से चुनाव हार गये है। हालांकि हारने के बाद उन्हें नगर निगम का प्रशासक बनाया गया है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो कांग्रेस-तृणमूल गठबंधन में 2011 में फांसीदेवा से चुनाव जीतने वाले सुनील तिर्की को राज्य को उपभोक्ता राज्य मंत्री बनाया गया था। वे भी इस बार चुनाव हार गये है। यही कारण है कि अब यहां के किसी नेता को मंत्री के रुप में यहां की जनता नहीं देख पाएगी।

ममता बनर्जी के हाथों नार्थ बंगाल की कमान

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नार्थ बंगाल विकास परिषद समेत पहाड़ मामले के मंत्रालय का अपने पास ही रखा है। इससे ऐसा लगता है कि नार्थ बंगाल की कमान वह स्वयं ही संभालने का काम करेगी। ममता के कैबिनेट में 9 राज्य मंत्रियों सहित कुल 43 मंत्रियों के शपथ लेने की संभावना है। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक संक्षिप्त समारोह में मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। तृणमूल काग्रेस के अमित मित्रा, ब्रत्य बासु और रतिन घोष को डिजिटल तरीके से शपथ दिलाई गई। मित्रा इस समय अस्वस्थ हैं और बासु तथा घोष कोविड-19 से उबर रहे हैं। इनके अलावा पार्थ चटर्जी, सुब्रत मुखर्जी, फरहाद हकीम और साधन पाडेय ने समारोह में पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार के अधिकारी भी उपस्थित थे।


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