मंदिर को बंद कर पुजारी कर रहे हैं पूजा
-कोरोना के कारण भक्तों का प्रवेश बंद -दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की हुई आराधना जागरण स
-कोरोना के कारण भक्तों का प्रवेश बंद
-दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की हुई आराधना
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन के कारण सिलीगुड़ी में भी मंदिरों के गेट को बंद कर पूजा अर्चना की जा रही है। कुछ ऐसा ही नजारा शहर के कंबलपट्टी हनुमान मंदिर में देखने को मिला। मंदिर में लोग प्रवेश न कर पाए इसके लिए मंदिर गेट को बंद कर दिया गया है। शहर के दूसरे मंदिरों में भी अंदर से गेट बंदकर मां की पूजा अराधना की जा रही है। चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन गुरुवार को मा दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की आराधना की जा रही है। कहते है कि नवरात्रि शक्ति उपासना का त्योहार है। लेकिन मा ब्रह्मचारिणी त्याग और तपस्या की देवी हैं। यहा ब्रह्मचारिणी का आशय तपस्या और आचरण करने वाली से है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ ही तप का आचरण करने वाली माता है। आइए इस अवसर पर मा ब्रह्मचारिणी से जुड़ी बातों को जानते हैं। आचार्य पंडित यशोधर झा में बताया कि जैसे कौन हैं मा ब्रह्मचारिणी और मा से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है। भविष्य पुराण में मा ब्रह्मचारिणी का वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, मा ब्रह्मचारिणी की कथा इस प्रकार है- ऐसा कहा जाता है कि मा ब्रह्मचारिणी अपने पूर्व जन्म में पर्वतराज हिमालय के घर पर जन्मी थीं।
दुर्गा के नौ स्वरूपों में देवी ब्रह्राचारिणी का दूसरा स्वरूप है। मा ब्रह्राचारिणी हमेशा कठोर तपस्या में लीन रहती है। मा के हाथों में माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। मा ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए हजार सालों तक कठिन तप और उपवास किया था।