National Register of Citizens: एनआरसी व सीएबी पर पार्टी लाइन निर्धारित करने को बैठक करेंगी ममता
लोकसभा के बाद बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीएबी) राज्यसभा में पास हो गया। तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। लोकसभा के बाद बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीएबी) राज्यसभा में पास हो गया। तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रही है। तृणमूल सुप्रीमो व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) व सीएबी को एक ही सिक्के के दो पहलू करार दे रही हैं। इस बीच एनआरसी व सीएबी पर पार्टी लाईन निर्धारित करने तथा विरोध का तौर तरीका तय करने के लिए सुश्री बनर्जी ने 20 दिसंबर को एक बैठक बुलाई है।
बैठक में सभी सांसदों व विधायकों को उपस्थित रहने को कहा गया है। पार्टी सूत्रों की माने तो संभवत: तृणमूल भवन में आयोजित होने वाली इस बैठक में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी उपस्थित रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि ममता का यह निर्णय ऐसे समय में आया जब सीएबी को लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध चल रहा है। माना जा रहा है कि अगले साल कोलकाता नगर निगम सहित 91 स्थानीय नगर निकायों के चुनाव तथा 2021 में होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ममता बनर्जी बैठक में भाजपा के प्रचार तंत्र का काट निकालने की जुगत में हैं।
एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने नाम नहीं उजागर करने के शर्त पर बताया कि बीते गुरुवार को नदिया जिला नेतृत्व के साथ हुई बैठक में यह निर्देश दिया गया कि उक्त मुद्दे पर जो भी बोलना होगा केवल ममता बनर्जी ही बोलेंगी। कहा गया कि पार्टी इस मुद्दे पर नजर रख रही है और नेताओं को ममता बनर्जी का अनुसरण करना होगा। जहां तक सवाल एनआरसी का है तो भाजपा के देश भर में एनआरसी लागू करने पर ममता बनर्जी कई बार पलटवार करते हुए यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि राज्य में एनआरसी लागू नहीं होने दिया जाएगा और इससे किसी को भयभीत होने की जरुरत नहीं है।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से जनसंपर्क के लिए संचालित 'दीदी के बोलो' अभियान दिसंबर में समाप्त हो रहा है। स्थानीय निकायों और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 20 दिसंबर को होने वाली बैठक में तृणमूल प्रमुख पार्टी नेताओं और सक्रिय कार्यकर्ताओं को वार्म अप करने के लिए अगली रणनीति की घोषणा कर सकती हैं। ताकि पार्टी की ग्रहणयोग्यता जनता में बनी रहे। खास कर तब जब भाजपा यह प्रचार करने में जुट गई है कि कैब का विरोध करने वाली पार्टियां कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और माकपा सहित वाम दल बांग्लाभाषी शरणार्थियों के विरोधी हैं।