West Bengal Election: ममता ने खेला निर्दलीय दांव, भाजपा, वाम-कांग्रेस विधायकों पर है तृणमूल की नजर
बंगाल से राज्यसभा (रास) की पांच सीटों में से चार पर तृणमूल की जीत पक्की है। परंतु पांचवीं सीटें भी झटककर तृणमूल रास में अपनी शक्ति पढ़ाने की जुगत में है।
कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। बंगाल से राज्यसभा (रास) की पांच सीटों में से चार पर तृणमूल की जीत पक्की है। परंतु, पांचवीं सीटें भी झटककर तृणमूल रास में अपनी शक्ति पढ़ाने की जुगत में है। इसके लिए तृणमूल विपक्षी दल खासकर भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी विधायकों में सेंधमारी के साथ-साथ उनसे क्रास वोटिंग कराने की रणनीति पर काम कर रही है।
मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने बड़ी चालाकी से पूर्व विधायक व बिजनेसमैन दिनेश बजाज को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पांचवीं सीट पर उतार दिया। पहले तो ममता ने कांग्रेस व माकपा में फूट डालने की कोशिश की और लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार को प्रत्याशी बनाने का कांग्रेस को प्रस्ताव दिया। परंतु, वहां काम नहीं बनने के बाद अंतिम समय में ममता ने बजाज को मैदान में उतार दिया। क्योंकि ममता नहीं चाहती हैं कि पांचवीं सीट से कांग्रेस समर्थित वामपंथी उम्मीदवार विकास रंजन भट्टाचार्य जीते। इसीलिए तृणमूल ने विकास के सामने बजाज को खड़ा कर दिया है। अपने निर्दलीय प्रत्याशी को जिताने के लिए तृणमूल ने चाल चलना शुरू कर दिया है।
..तो ऐसे निकलेगी जीत की राह
वर्तमान समय में तृणमूल के टिकट पर जीतकर आने वाले विधायकों की संख्या 207 है। कांग्रेस, वाममोर्चा व निर्दलीय विधायकों में से 17 लोगों ने तृणमूल का दामन थाम रखा है। इसके अलावे तृणमूल के साथ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (तमांग गुट) के दो विधायक हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पास 25 व वाममोर्चा के पास 26 विधायक हैं। इन दोनों को मिलाकर कुल 51 विधायक हैं। भाजपा के टिकट पर जीतने वाले विधायकों की संख्या 6 है। तृणमूल, वाममोर्चा व कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले विधायकों की संख्या 10 है। इस तरह विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 293 हो जाता है। साधारण नियम के अनुसार एक प्रत्याशी को जिताने के लिए 49 विधायकों के वोट चाहिए। इस तरह तृणमूल को अपने चार प्रत्याशियों को जीतने के लिए कुल 196 विधायकों को मतदान करना होगा। इसके बाद तृणमूल के पास अतिरिक्त 30 विधायक बच जाएगा। यह 30 विधायकों के वोट बजाज के खाते में जाएगा। वहीं जीतने के लिए बजाज को चाहिए होगा और 19 विधायकों के वोट। इसी 19 वोट के लिए तृणमूल गेम प्लान किया है। कुछ वर्ष पहले इसी तरह की परिस्थिति में तृणमूल के नेताओं ने विरोधी दल के विधायक को तोड़कर अपने प्रत्याशी को जीता ले गए थे।
भाजपा विधायकों से संपर्क का प्रयास
इस चुनाव में भाजपा ने अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। इसका फायदा तृणमूल उठना चाहता है। खबर है कि भाजपा में शामिल होने वाले पार्टी विधायकों से तृणमूल नेता इस मुद्दे पर संपर्क साध रहे हैं, ताकि वे तृणमूल समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करे। हालांकि, यहां सवाल यह भी है कि भाजपा में शामिल विधायक मतदान में हिस्सा लेते हैं या नहीं? इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि भाजपा के टिकट पर जीते विधायक मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे लेकिन अन्य दलों से आए विधायक क्या करेंगे इसका दायित्व वह नहीं लेंगे। ऐसे में वह वोट बजाज के पक्ष में जा सकता है।
रास चुनाव में व्हिप का नियम लागू नहीं होता
राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए व्हिप जारी नहीं होता है। इसीलिए क्रासवोटिंग की संभावना काफी है। तृणमूल विपक्षी विधायकों को मतदान से बाहर रहने को कह सकता है। ऐसे में विधायकों संख्या कम होने से आवश्यक वोट की संख्या भी कम जाएगी। या फिर क्रास वोटिंग के लिए भी कहा जा सकता है। एक और नियम है। एक विधायक पहली, दूसरी या तीसरी पसंद में पांच उम्मीदवारों को वोट दे सकता है। इसमें तृणमूल खेल कर सकती है।