कोरोना के कारण इस साल घर में ही कलश स्थापना
-नवरात्र पर मां की अराधना जारी -पुजारियों ने भक्तों से बनाई दूरी जागरण संवाददातासिलिगुड
-नवरात्र पर मां की अराधना जारी
-पुजारियों ने भक्तों से बनाई दूरी जागरण संवाददाता,सिलिगुड़ी :
हिंदू नव वर्ष और चैत्र नवरात्र को लेकर इस वर्ष सिलीगुड़ी और उसके आसपास मंदिरों और सार्वजनिक जगहों पर उत्साह नहीं के बराबर है। कोरोना वायरस से आतंकित दुर्गा के भक्तों घर में ही कलश स्थापना कर बुधवार को पूजा प्रारंभ किया। शहर के एनजीपी, गोपाल मोड़, मिलनपल्ली, दार्जिलिंग मोड़ नवग्रह मंदिर, गोशाला रोड,खालपाड़ा,कुलीपाड़ा, शीतलापाड़ा आदि जगहों पर कलश स्थापन के साथी चंडी पाठ की गूंज सुनाई पड़ने लगी है। प्रत्येक वर्ष बनारस और देवघर से पंडितों को बुलाकर दुर्गा पूजा कराने वाले गोपाल मोड़ निवासी भोलानाथ चक्रवर्ती ने बताया कि कोरोना के कारण हुए इस वार परिवार के साथ चैत्र नवदुर्गा पूजा कर रहे हैं। पुराना का डर इस कदर फैला हुआ है पुरोहित में घरों में पूजा के लिए मना कर चुके है। नवग्रह मंदिर के पुजारी ध्रुव उपाध्याय ने बताया कि 9 दिनों तक चलने वाले इस पवित्र नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा-आराधना की जाती है। देवी पुराण के अनुसार हर नवरात्रि पर मा 9 दिनों के लिए पृथ्वी पर पधारती हैं। देवी दुर्गा का वाहन शेर होता है, लेकिन नवरात्रि पर अलग- अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। शास्त्रों के अनुसार माता का अलग-अलग वाहनों की सवारी से देश-दुनिया में इसका प्रभाव पड़ता है। आचार्य पंडित यशोधर झा ने बताया कि देवी दुर्गा नाव पर सवार होकर आ रही है।
मा की सवारी नाव होने का मतलब यह है कि इस साल खूब वर्षा होने वाली है। जिसकी वजह से आम लोगों का जीवन प्रभावित होने के साथ बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक आपदा भी आ सकती है। जिसकी वजह से जन-धन को बड़ा नुकसान हो सकता है। चैत्र नवरात्रि का समापन 2 अप्रैल, वीरवार को होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता की विदाई हाथी पर होने वाली है। माता का वाहन हाथी होने का मतलब है कि इस साल बारिश अच्छी होने वाली है। जो कृषि के लिहाज से बेहतर होगा। इसके अलावा नववर्ष के मंत्री चंद्रमा और राजा बुध होने का मतलब है कि आने वाला वर्ष अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर रहेगा। इस साल के नवरात्र पूरे 9 दिनों के हैं। न तो इस साल कोई नवरात्र कम हो रहे हैं और नहीं बढ़ रहे हैं। जो काफी शुभ माना जाता है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जब भी नवरात्र पूरे 9 दिनों की होती है तो उसमें शुभता और खुशहाली होती है और इससे जनकल्याण होता है। नवरात्र के साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरूआत हो गयी है और आज से ही संवत 2077 शुरू हो गया है। नवरात्र के पहले दिन आज मा शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मा शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और इनका वाहन वृषभ है। इसके साथ ही मा शैलपुत्री को देवी वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मा शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। मा शैलपुत्री को प्रथम दुर्गा भी कहा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक मा शैलपुत्री सती के नाम से भी जानी जाती हैं।