याद किए गए हजरत हुसैन, मना मुहर्रम
-ताजिया के माध्यम से पर्यावरण को हरा-भरा रखने का दिया गया संदेश -उन्होंने अपनी जान दे दी,
-ताजिया के माध्यम से पर्यावरण को हरा-भरा रखने का दिया गया संदेश
-उन्होंने अपनी जान दे दी, लेकिन अधर्म के आगे नहीं झुके
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : शहर में मातम का त्योहार मुहर्रम परंपरागत तरीके से मनाया गया। इस पवित्र और ऐतिहासिक दिन का इस्लाम धर्म में बहुत महत्व है। इराक के कर्बला में हजरत इमाम हुसैन शहीद हुए थे। उन्हीं के शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। उन्होंने अपनी जान तक दे दी, किंतु अधर्म के आगे नहीं झुके। यह मातम का त्योहार है। इस अवसर को लेकर कोयला डिपो, डांगीपाड़ा, हिलकार्ट रोड, दरभंगा टोला, अशरफनगर, एनजेपी, चंपासरी समेत कई इलाकों से ताजिये निकाले गए। इस मौके पर तलवार और लाठियां भांजी गई। बड़ों के साथ बच्चे भी लाठियां भांजते हुए नजर आए। या अली या हुसैन का नारा लगाते रहे। कई प्रकार के करतब दिखाए गए। ताजियों के माध्यम से कई संदेश दिए गए। हिलकार्ट रोड, वर्दवान रोड में ताजियों की कतार लगी रही। हरे-भरे पौधों और रोशनी से विशेष रूप से सजावट की गई थी। इमामबाड़ा पहुंच कर ताजिये ठंडे किए गए। जिसको देखने के लिए सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचे। महिला-पुरुष और बच्चों की भीड़ देखी गई। विभिन्न जगहों से निकलते हुए ताजिया-अखाड़ा वर्दवान रोड स्थित कर्बला पहुंचे। जहां पर फातिआ व दुआ के साथ मुहर्रम संपन्न हुआ। इसी क्रम में श्रद्धालुओं ने उपवास भी रखा। दान-पुण्य किया गया। जरूरतमंदों को खाना खिलाया गया। कुरान का पाठ किया गया। नमाज अदा की गई। इस अवसर पर कई जगह पर सेवा शिविर भी लगाए गए थे। शिविर में शीतल पेयजल और खाने पीने की व्यवस्था की गई थी।