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वामपंथी संगठनों ने किसान आंदोलन के समर्थन में मनाया काला दिवस, 471 आंदोलनकारियों की जा चुकी है जान

केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ पिछले 6 माह से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में बुधवार को सिलीगुड़ी बागडोगरा नक्शलवाड़ी एनजीपी माटी गाड़ा समेत अन्य जगहों पर वामपंथी संगठनों ने काला दिवस मनाया। आंदोलन के दौरान 471 आंदोलनकारियों की मौत हो गई है

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 05:12 PM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 05:12 PM (IST)
वामपंथी संगठनों ने किसान आंदोलन के समर्थन में मनाया काला दिवस, 471 आंदोलनकारियों की जा चुकी है जान
सिलीगुड़ी और बागडोगरा में कृषि कानून के खिलाफ काला दिवस मनाते वामपंथी

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ पिछले 6 माह से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में बुधवार को सिलीगुड़ी बागडोगरा, नक्शलवाड़ी, एनजीपी माटी गाड़ा समेत अन्य जगहों पर वामपंथी संगठनों ने काला दिवस मनाया। इस मौके पर वामपंथी ट्रेड यूनियन सीटू नेता सुमन पाठक, भाकपा माले नेता अभिजीत मजूमदार, प्लान चंद्र, विमल पाल, गौतम घोष आदि ने काला दिवस मनाते हुए कहा कि केंद्र और राज्य दोनों ही श्रम विरोधी और किसान विरोधी सरकार है।

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पिछले 6 माह से दिल्ली में किसानों की एक बड़ी संख्या लगातार आंदोलन कर रही है इस आंदोलन के दौरान 471 आंदोलनकारियों की मौत हो गई है उसके बाद भी केंद्र की सरकार कृषि कानून को वापस नहीं ले रही है। ना जाने कब और कितनी मौत को केंद्र सरकार देखेगी। वामपंथी नेताओं ने कहा कि किसान विरोधी कानून के कारण ही बंगाल समेत पंजाब में निचले स्तर के चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है इसके बाद भी सरकार नहीं बात सुनने को तैयार है। 

बामपंथी नेताओं ने कहा कि कोविड-19 महामारी के समय भी आज किसान और मजदूर दोनों परेशान है। पश्चिम बंगाल में उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। इलाज के नाम पर लूट मचा हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार फिर से श्रमिक विरोधी कानून लाने की तैयारी में है। अविलंब इस कानून को सरकार रद्द करें और श्रमिकों और रोज कमाकर रोज खाने वाले छोटे दुकानदारों को मुफ्त में वैक्सीन समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराएं। ऐसा नहीं होता है तो कोरोना महामारी के नियमों का पालन करते हुए वाद्य होकर सड़क पर मजदूर उतरने के लिए तैयार होंगे।


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