वामो ने राज्य की ममता सरकार पर हल्ला बोला
-कोरोना और तूफान से निपटने में विफल होने का आरोप -केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा घा
-कोरोना और तूफान से निपटने में विफल होने का आरोप
-केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
-काफी देर तक किया सांकेतिक विरोध प्रदर्शन
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: लॉकडाउन 4 के बीच बाममोर्चा की ओर से गुरुवार को सुभाषपल्ली चौक पर राज्य सरकार के खिलाफ घटो साकेतिक प्रदर्शन किया गया। इसका नेतृत्व विधायक व पूर्व मंत्री अशोक नारायण भटाचार्य व माकपा नेता जीवेश सरकार कर रहे थे। उनके साथ सहयोगी दलों के तापस गोस्वामी, अनिमेष बसु, विकास सेन राय, अभिजीत मजूमदार, राम भजन महतो, आदि मौजूद थे। पूर्व मंत्री व सिलीगुड़ी के विधायक अशोक नारायण भटाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक आपदा से निपटने में पूरी तरह विफल है। चाहे वह स्वास्थ आपदा हो या चक्रवाती तूफान। केंद्र सरकार को चक्रवात की वजह से पूरे बंगाल और ओडिशा में जो नुकसान हुआ है उसे देखते हुए राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए। उसके अनुसार ही सभी प्रकार की सहायता राज्य को मुहैया कराई जानी चाहिये। भटाचार्य ने कहा कि दोनों प्राकृतिक आपदा से निपटने में सरकार इसलिए फेल है क्योंकि आपदा आने के पहले और बाद में भी सरकार की तैयारी ठीक नही है। इससे लोगों की जान को खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने फिर कहा कि राज्य सरकार चक्रवात से निपटने में विफल है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के बाद भी राज्य के लोग परेशानी में हैं। क्योंकि कई इलाकों में अब भी बिजली और पानी नहीं है। विपक्ष के साथ सरकार और पुलिस पक्षपातपूर्ण काम कर रही है। लोगों के बीच अनाज वितरण से भी रोका जा रहा है। राशन वितरण व्यवस्था पूरी तरह विफल है। तूणमूल के कार्यकर्ताओं ने खाद्यान्न वितरण में गड़बड़ी की और उसे काला बाजार में ऊंची कीमतों पर बेचा। ऐसा लगातार आरोप सामने आ रहे है। आखिर ममता सरकार आईला, बुलबुल जैसे चक्रवाती तूफानों से शिक्षा लेते हुए एम्फन चक्रवात से निपटने की अग्रिम तैयारी क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि ओडिशा हो या केरल यहा लगातार आने वाले चक्रवात से बचाव के लिए काफी कुछ सकारात्मक कदम उठाया था। वहां की सरकारों ने पूर्ववर्ती तूफानों से शिक्षा ली है। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार नहीं चेती और इसकी सजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। माकपा नेता जीवेश सरकार ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। प्रवासी मजदूरों के लौटने का जिक्र करते हुए कहा कि अगर महाराष्ट्र पश्चिम बंगाल के लोगों को वापस भेजना चाहता है तो यहां की सरकार क्यों इंकार कर रही है। उन्होंने उन आशकाओं को खारिज किया कि प्रवासी मजदूरों के लौटने से कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। घोष ने कहा कि प्रवासी मजदूर नहीं लौटेंगे तब भी राज्य में मामले बढ़ेंगे। आने वाले दिनों में जनता इस सरकार को माफ नहीं करेगी।